अजित के सबसे छोटे बेटे बारामती से लड़ेंगे उनके भतीजे के खिलाफ चुनाव? कौन हैं जय और युगेंद्र पवार
सूत्रों के हवाले से खबर है कि अजित पवार अपने बेटे जय पवार को और शरद गुट की ओर से शरद पवार के भाई के पोते युगेंद्र पवार को बारामती से उम्मीदवार बना सकते हैं.
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Maharashtra Politiics: बारामती लोकसभा सीट पर एनसीपी के दो धड़ों के बीच चुनावी गमासान देखने को मिला. शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले और अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार के बीच ये मुकाबला था. इस चुनाव में सुप्रिया सुले ने जीत हासिल की, जिससे शरद पवार के प्रति जनता का समर्थन फिर से दिखाई दिया. अब ऐसा लग रहा है कि बारामती में एक और चुनावी जंग हो सकती है, जहां फिर से परिवार के दो धड़े आमने-सामने होंगे. कहा जा रहा है कि इस सीट पर अजित पवार अपने छोटे बेटे जय पवार को टिकट दे सकते हैं.
पवार बनाम पवार
ये बात तब चर्चा में आई जब अजित पवार ने इशारों ही इशारों में कहा कि मुझे तो चुनाव लड़ने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं है. मैं 7-8 चुनाव लड़ चुका हूं. पार्टी को तय करना है कि उनके छोटे बेटे जय पवार चुनाव लड़ेंगे या नहीं. वहीं ये भी कहा जा रहा है कि शरद गुट की ओर से युगेंद्र पवार को उम्मीदवार बनाया जा सकता है जो अजित पवार के छोटे भाई श्रीनिवास पवार के बेटे हैं. तो अगर दोनों अपनी-अपनी पार्टी की ओर से उम्मीदवार बनाए जातें है तो एक बार फिर प्रदेश की सबसे चर्चित सीट बारामती पर पवार बनाम पवार की लड़ाई देखी जा सकती है.
कौन है जय पवार?
जय पवार अजित पवार के छोटे बेटे हैं. वे लंबे समय से राजनीति के गुर सीख रहे हैं. वहीं अजित इसलिए भी चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं क्योंकि शरद गुट बारामती सीट पर युगेंद्र पवार को उम्मीदवार बना सकती है. युगेंद्र रिश्ते में अजित के भतीजे हुए. अगर अजित बारामती सीट से चुनाव लड़ते हैं तो और लोकसभा चुनाव की तरह नतीजे उनके पक्ष में नहीं रहते हैं तो उनके राजनीतिक विरासत पर सवाल खड़े हो सकते हैं. इसलिए अजित खुद ना उतरकर बेटे को टिकट दे सकते हैं.
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कौन है युगेंद्र पवार?
युगेंद्र पवार शरद पवार के भाई के पोते हैं. युगेंद्र ने लोकसभा चुनाव के दौरान सुप्रिया सुले के लिए जमकर प्रचार भी किया था. उनके पिता श्रीनिवास बिजनेसमैन हैं. लोकसभा चुनाव के नतीजों से ये पता लगता है कि युगेंद्र ने काफी प्रभाव डाला है. जनसत्ता की एक रिपोर्ट के मुताबिक पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक बारामती की जनता भी चाहती है कि शरद गुट उनको वहां से उम्मीदवार बनाए. युगेंद्र अपने परिवार द्वारा चलाए जा रहे शारयू फाउंडेशन के माध्यम से सामाजिक कार्यों में शामिल रहे हैं जिनका उन्हें फायदा मिला है.