राम मंदिर के बनने से 2024 के चुनाव में बीजेपी को मिलेगी जीत? जानिए राजदीप सरदेसाई की राय

देवराज गौर

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RAm mandir, ayodhya
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News Tak : साल 2024 वक्त की दहलीज पर दस्तक दे रहा है, और 2023 बस जाने को है. साल 2024 मे देश के आम चुनाव होने हैं. इसलिए सियासी नजरिए से यह बहुत ही अहम साल है. लेकिन, साल 2024 के पहले से ही कई बड़ी राजनैतिक घटनाएं हमारे सामने आ रही हैं, जो देश की राजनीति पर बड़ा असर डाल सकती हैं. इन राजनैतिक घटनाओं को समझने, देश के आम चुनाव के हालात जानने के लिए न्यूज तक ने इस हफ्ते की अपनी साप्ताहिक सभा में बात की इंडिया टुडे ग्रुप के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई और “Tak” समूह के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर से..

2024 के लिए देश की जो सबसे बड़ी सियासी घटना है वो राहुल गांधी की भारत न्याय यात्रा है, जो 14 जनवरी से शुरू हो रही है, इसका देश की सियासी तस्वीर पर क्या असर होने वाला है?

राजदीप कहते हैं कि “भारत न्याय यात्रा ऐसे समय में निकल रही है, जब उसके एक हफ्ते बाद ही राम मंदिर का उद्घाटन होना है. 22 जनवरी को आपके सामने दो तस्वीरें होंगी. पहली प्रधानमंत्री मोदी की मंदिर का उद्घाटन करते हुए, दूसरी राहुल गांधी की सड़कों पर भारत न्याय यात्रा की. कांग्रेस भारत न्याय यात्रा के जरिए अपने काडरों को उत्साहित करना चाहती है, कि कम से कम वह बीजेपी को टक्कर दे पाएं. राजदीप कहते हैं “यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है, जहां कांग्रेस का पूरा ध्यान होना चाहिए, आम चुनाव की राजनीति और रणनीति पर. क्या भारत न्याय यात्रा की वजह से उनके संसाधन और उनकी शक्ति उनकी यात्रा और चुनावों में बंट नहीं जाएगी?

इस पर “Tak” समूह के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर कहते हैं कि “भारत न्याय यात्रा से चुनाव का फायदा तो अपनी जगह है, लेकिन इससे बीजेपी को विचारधारा के स्तर पर जवाब दिया गया है. कांग्रेस इस यात्रा के जरिए यह कहना चाहती है कि हम सेक्युलिरज्म में भरोसा करते हैं.”

राहुल गांधी की यात्रा के समय ही अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम चल रहा होगा. बीजेपी अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर हर घर को राम मंदिर बनाने की बात कर रही है. बीजेपी इससे चुनावी फायदा उठाने की कोशिश कर रही है, तो ये कितनी बड़ी कामयाबी आपको नजर आ रही है?

इस सवाल पर राजदीप कहते हैं कि बीजेपी भावनाओं पर खेल रही है. कांग्रेस न्याय की बात करती है तो लगता है कि वो वैचारिक लड़ाई लड़ना चाहती है. क्या आज की राजनीति में भावनात्मक मुद्दे चलेंगे? अब तक तो बीजेपी को इसका लाभ मिला है. लेकिन राजदीप यह भी कहते हैं कि असली लड़ाई जो होती है वो भावनाओं पर नहीं बल्कि “गवर्नेंस ट्रैक रिकॉर्ड” पर होती है. 2019 के लोकसभा चुनावों में भी “किसान सम्मान निधि” के माध्यम से लोगों के बैंक अकाउंट में जब राशि आई उसका ज्यादा लाभ मिला. राजदीप कहते हैं कि राम मंदिर आपके लिए एक एडवांटेज तो हो सकता है, लेकिन आप उसी के भरोसे चुनाव नहीं जीत सकते.

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राम मंदिर के बहाने बीजेपी राजनीति करने की कोशिश कर रही है! इस पर मिलिंद कहते हैं कि आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) और विहिप (विश्व हिंदू परिषद) ये बताने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं कि हमने जो वादा किया था उसे पूरा कर रहे हैं. इसलिए इसका हिंदी भाषी प्रदेशों में निश्चित तौर पर असर पड़ेगा. मिलिंद आगे कहते हैं कि जैसा प्रधानमंत्री ने एक मीटिंग के दौरान अपने सांसदों से कहा था कि आपको जनता को लाभार्थी के बारे में बताना है. इसीलिए ऐसा नहीं है कि बीजेपी सिर्फ राम मंदिर के भरोसे है, वह लाभार्थी वाले कैंपेने को भी एड्रेस कर रही है.

कुछ ही दिन बचे हैं जब देश में आम चुनाव की घोषणा हो जाएगी. आने वाले लोकसभा चुनावों को लकर आए ओपिनियन पोल्स में बीजपी को बंपर जीत बताई गई है. वहीं हिंदी पट्टी के राज्यों में विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी ने बंपर जीत हासिल की है. ऐसी सूरत में आपको क्या होता नजर आ रहा है?

इस सवाल पर राजदीप कहते हैं कि “यह बड़ी इंटरेस्टिंग बात है. पिछली बार करीब 160 सीटें ऐसी थीं जहां बीजेपी नंबर दो या नंबर तीन आई थी. वहां बीजेपी ने इस बार अपने केंद्रीय मंत्री तैनात किए हैं. राजदीप कहते है कि बीजेपी ने बूथ लेवल तक जाकर अपनी “माइक्रो मैनेजमेंट” किया है. कांग्रेस ने वो अभी तक नहीं किया है. यही कांग्रेस की कमजोरी रह सकती है.

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मिलिंद कहते हैं कि इंडिया अलायंस को बहुमत मिल जाएगा या कांग्रेस को बहुमत मिल जाएगा, ऐसा तो दूर-दूर तक अभी नहीं दिख रहा है. मिलिंद कहते हैं जो संभावना नजर आ रही थी वो यह थी कि विपक्ष शायद “एनडीए” को बहुमत के पास जाने से रोक दे. लेकिन, खासकर से विधानसभा चुनावों के बाद से बीजेपी ने जो हवा बनाई है, उसके बाद से अब यह बात हो रही है कि कांग्रेस कितनी सीट तक जा सकती है.

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