बाड़मेर: बसों में यात्रियों का सामान चोरी करने वाली गैंग का खुलासा, 700 KM दूर से आकर ऐसे उड़ा देते थे सामान

दिनेश बोहरा

Barmer News: राजस्थान में बसों में पैसेंजर्स के सामान चोरी करने के मामले में बाड़मेर पुलिस ने एक गैंग का पर्दाफाश कर गैंग के एक सदस्य को गिरफ्तार कर लिया है. गैंग के सदस्य पिछले काफी समय से बसों में सवार होकर पैसेंजर्स के सामान चोरी कर रहे थे. पकड़े गए आरोपी से पूलिस पूछताछ […]

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Barmer News: राजस्थान में बसों में पैसेंजर्स के सामान चोरी करने के मामले में बाड़मेर पुलिस ने एक गैंग का पर्दाफाश कर गैंग के एक सदस्य को गिरफ्तार कर लिया है. गैंग के सदस्य पिछले काफी समय से बसों में सवार होकर पैसेंजर्स के सामान चोरी कर रहे थे. पकड़े गए आरोपी से पूलिस पूछताछ कर रही है.

जानकारी के अनुसार बाड़मेर जिले के कोलू गांव निवासी मनोहरसिंह ने कोतवाली थाने में रिपोर्ट देकर बताया था कि वह और उसकी पत्नी बाड़मेर से प्राइवेट बस में सवार होकर गांव जा रहे थे. उनके पास एक सूटकेस था, जिसमे सोने चांदी के आभूषण थे. बस में सवार अज्ञात चोरों ने सूटकेस से आभूषण चोरी कर भाग गए. पुलिस ने पीड़ित की रिपोर्ट पर 23 फरवरी को मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी.

शहर कोतवाली गंगाराम खावा ने बताया कि दर्ज मामले में एसपी दिगंत आनंद के निर्देशन में टीम गठित कर अज्ञात चोरों की तलाश शुरू की. पुलिस ने चौहटन सर्किल और उसके आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले. वहीं मुखबीरी और तकनीकी सहायता के आधार पर हिसार हरियाणा निवासी संदिग्ध बीता पुत्र करतार को दस्तयाब कर 4 दिन तक गहनता से पूछताछ की तो आरोपी ने अपने साथियों के साथ वारदात को अंजाम देना कुबूल किया. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर 3 दिन के रिमांड पर लिया है. आरोपी से अन्य वारदातों और उसके साथियों के बारे में पूछताछ की जा रही है.

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700 किलोमीटर दूर से आकर देते थे वारदातों को अंजाम
पुलिस के मुताबिक गैंग के सदस्य हरियाणा के निवासी हैं जो करीब 700 किलीमीटर दूर बाड़मेर में आकर बसों में सफर करने वाले पैसेंजर्स के सामान पर नजर रखते थे. जहां भी सूटकेस या कीमती सामान के शक होता था वो उस बैग या लगेज पर नजर बना लेते थे. गैंग के सदस्य उस सामान को घेर लेते थे. उसके बाद गैंग के साथी यात्रियों की नजर से बचकर वारदात को अंजाम देकर फुर्र हो जाते थे.

पैसेंजर्स यात्री समझकर नहीं करते थे संदेह
बसों में यात्रा करने वाले पैसेंजर्स गैंग के सदस्यों को अपनी तरह ही यात्री समझते थे. इसी का फायदा उठाकर गैंग के सदस्य पहले सामान को घेर लेते थे और जब यात्रियों की नजर में चूक रहती, उसी दौरान बदमाश वारदात को अंजाम देकर बस से उतरकर भाग जाते थे.

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