Bikanervala के मालिक केदारनाथ अग्रवाल का निधन, दिल्ली में रहकर बनाया 2300 करोड़ का कारोबार
Bikanervala Chairman Kedarnath Aggarwal Dies: आज बीकानेरवाला और बिकानो समूह भारत और विश्व के करीब 30 देशों के 150 जगहों पर देशी मिठाइयां और नमकीन का जायजा उपलब्ध करवा रहा है,
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Bikanervala Chairman Kedarnath Aggarwal Dies: बाल्टी में रसगुल्ला और टोकरी भर बीकानेरी भुजिया के साथ दिल्ली के चांदनी चौक से आज देश और दुनिया में बीकानेरी स्वाद की पहचान बने बीकानेर वाला समूह के संस्थापक केदारनाथ अग्रवाल का सोमवार को दिल्ली में निधन हो गया. 1950 में दिल्ली के चांदनी चौक में परांठा गली के पास बीकानेर नमकीन भंडार के नाम से मशहूर हुई उनकी छोटी सी दुकान आज लगभग 2300 करोड़ के बाजार मूल्य हो गई है. अब यह बीकानेर वाला और बिकानो नमकीन के नाम से भारत समेत लगभग 30 देशों में जानी जाती है.
7 भाईयों में सबसे छोटे केदारनाथ ने अपना संघर्ष बीकानेर के स्टेशन रोड पर मिठाई नमकीन की अपनी पुश्तैनी दुकान लालचंद जुगल किशोर जो क्रमशः उनके पिता और बड़े भाई थे, से शुरू किया और 1950 में रसगुल्ला और भुजिया बनाने की पारंपरिक विधि लेकर दिल्ली पहुंच गए.
दिल्ली- एनसीआर में 75 आउटलेट्स
दो भाईयों के नाम से मशहूर अग्रवाल बंधुओं ने पहले चांदनी चौक बाद में फतेहपुरी और करोल बाग में अपनी दुकान खोली. जो रसगुल्ला और नमकीन के साथ साथ मूंग दाल के हलवे के लिए दिल्ली की पहली पसंद बन गई और इस तरह बीकानेर वाला ब्रांड का उदय हुआ. आज दिल्ली- एनसीआर क्षेत्र में ही बीकानेरवाला की लगभग 75 आउट लेटस हैं. साल 1998 के आते-आते बीकानेर में रहने वाले परिवार के अन्य सदस्यों ने भी राजधानी का रुख कर लिया और देखते ही देखते बीकानेरवाला पूरे देश भर में अपनी नमकीन और मिठाइयों के लिए एक जाना माना नाम बन गया.
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1995 में किया पेप्सिको के साथ करार
नमकीन और मिठाइयों के स्वाद को ग्लोबल बनाने के लक्ष्य के साथ उन्होंने 1988 में बिकानो के नाम से पैकेज्ड उत्पाद बनाने शुरू किए और 1995 में समूह ने पेप्सिको के साथ एक करार के तहत नमकीन का एक नया ब्रांड लहर शुरू किया जो उस वक्त बेहद पसंद किया गया.
आज विश्व में 150 जगहों पर आउटलेट्स
आज बीकानेरवाला और बिकानो समूह भारत और विश्व के करीब 30 देशों के 150 जगहों पर देशी मिठाइयां और नमकीन का जायजा उपलब्ध करवा रहा है, जो टोकरी में भुजिया और हाथ में रसगुल्ले से भरी बाल्टी लेकर दिल्ली पहुंचे केदारनाथ अग्रवाल का सपना था.