‘भाया रे भाया एक गांव तो पूरा खाया’ कांग्रेस विधायक ने अपने ही मंत्री के खिलाफ लगाया अनोखा पोस्टर, जानें
Rajasthan News: कोटा के सांगोद से कांग्रेस विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने अपनी ही सरकार के खान मंत्री प्रमोद जैन भाया को भ्रष्टाचारी बताते हुए अपने घर के बाहर पोस्टर लगाया है. पोस्टर में लंबा चौड़ा लिखा है- भाया रे भाया खूब खाया एक गांव तो पूरा ही खाया. इतना ही नहीं, उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक […]
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Rajasthan News: कोटा के सांगोद से कांग्रेस विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने अपनी ही सरकार के खान मंत्री प्रमोद जैन भाया को भ्रष्टाचारी बताते हुए अपने घर के बाहर पोस्टर लगाया है. पोस्टर में लंबा चौड़ा लिखा है- भाया रे भाया खूब खाया एक गांव तो पूरा ही खाया. इतना ही नहीं, उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और बारां जिला कलेक्टर को चिट्ठी भी लिखी है. यह चिट्ठी उन्होंने बारां में खान की झोपड़ियां इलाके को कोटा में सम्मिलित करने को लेकर लिखी है.
विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि बारां मैं अवैध खनन के कारण मौतें हो रही हैं. बारां जिला खनिज मंत्री प्रमोद जैन भाया का जिला है. यह वह जिला है जहां खुलेआम अवैध खनन होता है. ग्राम खान की झोपड़ियां में 6 महीने में तीन मौतें हुई हैं. मैं पहले भी आपको पत्र लिख चुका हूं लेकिन खनन विभाग व जिला प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है. इस अवैध खनन के खिलाफ मैं 23 जनवरी को बारां जिला के कलेक्टर ऑफिस के बाहर धरना प्रदर्शन करूंगा।
उन्होंने मंत्री प्रमोद जैन भाया के खिलाफ अपने घर के बाहर लगाए पोस्टर में लिखा है – भाया रे भाया, खूब खाया एक गांव पूरा खाया, जो भी खाया उसे पचाया, मंदिर बनवाया ब्याह रचाया, अधर्म कर धर्म का सांग सजाया, भाड़े की भीड़ कर खूब नाम कमाया, जो भी नेता आया वह भाया की माया को कभी समझ नहीं पाया, वाह रे भाया गजब तेरी माया एक गांव पूरा खाया.
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भरत सिंह कुंदनपुर पहले कह चुके हैं कि मैं चुनाव नहीं लडूंगा. जब उनसे सवाल पूछा गया कि क्या आप राजनीति से संयास ले रहे हैं तो उन्होंने कहा कि मैं यह चाहता हूं कि कोई युवा चेहरा आए. जब उनसे फिर पूछा गया कि जिस तरीके की आप सोच रखते हैं युवाओं को मौका देने की तो क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी किसी युवा को मौका मिलना चाहिए. इस पर भरत सिंह ने कहा कि कैसे मुख्यमंत्री गहलोत सोच नहीं रखते, वह भी तो अपने बेटे को राजनीति के लिए तैयार कर रहे हैं. अब बड़ा सवाल यह है कि क्या राजनीति से कांग्रेस के वरिष्ठ लोग संन्यास लेंगे तो क्या वह अपने ही परिवार के लोगों को मौका देंगे और अगर ऐसा है तो जो कार्यकर्ता सालों से संघर्ष कर रहे हैं उनका क्या होगा. अगर यह युवा हमें धक्का देकर बाहर निकाल देंगे तो हमारी क्या इज्जत रह जाएगी.