राजस्थान विधानसभा में रो पड़े स्पीकर वासुदेव देवनानी, बोले- मैंने कभी भी पक्षपात नहीं किया
यह कहते हुए देवनानी फफक पड़े और बोले- 'आपने पहुंचाया. ऐसे शब्द सुनने के लिए आसन पर नहीं बैठा हूं. अध्यक्ष नहीं बना हूं. ये अब आप लोगों पर छोड़ता हूं कि इसपर क्या किया जाए.'
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राजस्थान विधानसभा में मंगलवार यानी 25 फरवरी को तो गजब ही हो गया. विपक्ष के विरोध और खींचतान के बीच जो कुछ हुआ उसके बाद स्पीकर वासुदेव देवनानी दुखी होकर रो पड़े. उन्होंने कहा- मैं तो एक छोटा सा कार्यकर्ता था. 'कॉलेज में पढ़ाता था. कभी कल्पना नहीं की थी कि यहां तक पहुंच पाउंगा.'
यह कहते हुए देवनानी फफक पड़े और बोले- 'आपने पहुंचाया. ऐसे शब्द सुनने के लिए आसन पर नहीं बैठा हूं. अध्यक्ष नहीं बना हूं. ये अब आप लोगों पर छोड़ता हूं कि इसपर क्या किया जाए. कैसे किया जाए और कौन करे. वे (गोविंद सिंह डोटासरा) टीवी पर जिस तरह के शब्दों का उपयोग कर रहे हैं... क्या सदन के लिए, आसन के लिए ऐसे वातावरण में ऐसी बात होना उचित है ये सदन तय करे.'
क्या है पूरा मामला?
सदन में मंत्री अविनाश गहलोत ने कहा- 'आपकी दादी इंदिरा गांधी के नाम पर योजना का नाम रखा था'. इस बयान के बाद विपक्ष गुस्से में आ गया और डोटासरा समेत कई नेता विरोध करते हुए वेल में चले गए और आसंदी की तरफ बढ़ने लगे. वहां शोर-शराबे के बीच कांग्रेसी विधायक अड़े रहे. इसपर विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के 6 विधायकों के निलंबन का प्रस्ताव किया. इसपर विपक्ष ने कहा कि बिना किसी वार्निंग के निलंबन का प्रस्ताव लाया गया है. ये तानाशाही है.
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इधर कांग्रेस विधायक विधानसभा परिसर में धरने पर बैठे गए. उनकी मांग है कि मंत्री अविनाश गहलोत माफी मांगे. उधर बीजेपी का आरोप है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने आसंदी की तरफ इशारा कर अपशब्द कहे. बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की है. वे माफी मांगे. उधर स्पीकर के चैंबर में दोनों पक्षों में समझौता हो गया. निलंबित विधायकों की बहाली पर सहमति बनी पर डोटासरा माने नहीं. मार्शल की घेराबंदी में कार्यवाही चली और केवल सत्ता पक्ष सदन में मौजूद रहा. इधर विपक्ष ने सदन में घुसने की कोशिश की पर मार्शल ने रोक लिया.
स्पीकर बोले- डोटासरा विधायक बनने योग्य नहीं
इधर मंगलवार को डोटासरा के अपशब्दों पर स्पीकर वासुदेव देवनानी भावुक होकर रो पड़े. बोले- 'आप सब मेरे व्यक्तिगत नहीं. यहां की परंपराएं जिंदा रहें. यहां की मर्यादाएं बने, यहां के जो नियम हैं उसका पालन हो, इसके लिए आपने हमें आसन पर बैठाया. विरोध होता है... बातचीत भी होती है...लेकिन बातचीत का भी आधार क्या हो और किन बातों पर हो? मुझे इतना ही आपने से निवेदन करना है कि सदन के आसन की मर्यादाएं रखने के लिए सदन की मर्यादाएं रखने के लिए हम सब कृतसंकल्प हैं.'
स्पीकर ने आगे कहा- 'कल जो दृश्य खड़ा हुआ ये शर्मसार करने वाला है. ये बार-बार कहा जाता है कि बाप को बड़ा मन रखना होता है. बाप बड़ा मन तब रखता है जब बेटा भी बेटे का कर्तव्य निभाए. यदि बेटा नहीं निभाए तो बाप भी उसे घर से अलग कर देता है. मैंने बड़ा मन करके सबको बुलाया. वहां मैंने सारी बातों को भूलकर परमिशन दी. वरिष्ठ व्यक्ति थे... सर्वसम्मति बनी कि उनको बुलाकर वे खेद प्रकट करेंगे. उसके बाद जब वे खेद प्रकट कर लेंगे तो उनके निलंबन को निरस्त करने का विचार करेगा. मंत्री ने भी कहा कि उनकी ऐसी भावना नहीं थी.'
स्पीकर ने नई व्यवस्था लागू की
5 बार से मैं भी विधायक हूं. आज मैं ये व्यवस्था दे रहा हूं... आगे से कोई भी सदस्य किसी भी दल का होगा तो वो यहां पर खड़े होकर सदन और असान की अवहेलना करेगा तो वो स्वत: ही निलंबित माना जाए. एक दल का प्रदेश का अध्यक्ष भाषण करे उन शब्दों को दोहरा नहीं सकता. सदन में बोले जाने वाले शब्द बहुत गंभीर हैं. मेरा अपमान नहीं हुआ है. इस आसन का हुआ है. ऐसा व्यक्ति इस सदन के सदस्य बनने के योग्य नहीं है. मैंने कोशिश की सबको संरक्षण देते हुए सदन चलाऊं... ये आज मैं अपने आत्मा के साथ कह सकता हूं...रोते हुए... मैं कभी भी पक्षपात नहीं किया और न करूंगा.