जयपुर में मिठाईयों के नाम से हटा 'पाक' शब्द, अब ‘मोती श्री’, ‘मैसूर श्री’ से होगी पहचान!
भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव का असर अब केवल सीमाओं और कूटनीतिक संबंधों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसका प्रभाव आम जनजीवन और बाजारों पर भी देखा जा रहा है.
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भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव का असर अब केवल सीमाओं और कूटनीतिक संबंधों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि इसका प्रभाव आम जनजीवन और बाजारों पर भी देखा जा रहा है. जयपुर में मिठाई की दुकानों पर देशभक्ति की एक अनोखी लहर दौड़ पड़ी है. अब दुकानदार अपनी मिठाइयों के नामों से ‘पाक’ शब्द हटाकर उसकी जगह ‘श्री’ या ‘भारत’ जोड़ रहे हैं. जैसे कि ‘मोती पाक’ अब ‘मोती श्री’, ‘आम पाक’ को ‘आम श्री’, ‘गोंद पाक’ को ‘गोंद श्री’ और ‘मैसूर पाक’ को ‘मैसूर श्री’ के नाम से बेचा जा रहा है.
यह बदलाव केवल नामों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक गहरी देशभक्ति की भावना भी जुड़ी हुई है. दुकानदारों का कहना है कि हाल के दिनों में कई ग्राहक दुकान पर आकर यह अनुरोध कर रहे थे कि मिठाइयों के नाम से ‘पाक’ शब्द हटाया जाए क्योंकि यह शब्द अब उन्हें पाकिस्तान की याद दिलाता है और मौजूदा हालातों में यह उन्हें खटकता है. इसके बाद दुकानदारों ने आपसी चर्चा के बाद मिठाइयों के नामों में बदलाव करना शुरू किया.
‘बीकानेरी मोती पाक’ अब ‘बीकानेरी मोती श्री’, ‘चांदी भस्म पाक’ अब ‘चांदी भस्म श्री’ और ‘स्वर्ण भस्म पाक’ को ‘स्वर्ण भस्म श्री’ के नाम से पेश किया जा रहा है. ग्राहकों को भी यह बदलाव पसंद आ रहा है और वे इसे एक तरह की देशभक्ति के रूप में देख रहे हैं. उनका कहना है कि जब मिठाई के नाम में ‘श्री’ जैसा भारतीय शब्द सुनाई देता है तो एक सुकून और आत्मसंतोष की भावना उत्पन्न होती है, जिससे यह एहसास होता है कि हम देश के प्रति कुछ सकारात्मक कर रहे हैं.
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स्वीट्स एसोसिएशन के कई सदस्य भी इस नाम परिवर्तन का समर्थन कर रहे हैं और जल्द ही पूरे राजस्थान में मिठाइयों के पारंपरिक नामों से ‘पाक’ शब्द हटाकर ‘श्री’ या ‘भारत’ जैसे शब्द जोड़े जा सकते है. खास बात यह है कि यह निर्णय केवल मिठाई व्यापारियों द्वारा नहीं लिया गया, बल्कि ग्राहकों की मांग और देशप्रेम की भावना ने इसे जन्म दिया.
सोशल मीडिया पर भी इस बदलाव की काफी चर्चा हो रही है, जहां लोग दुकानदारों के इस कदम की सराहना कर रहे हैं. यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह कोई मार्केटिंग स्ट्रेटेजी नहीं है, बल्कि यह शुद्ध रूप से देश के प्रति प्रेम और वर्तमान हालातों को देखते हुए लिया गया एक भावनात्मक निर्णय है. वैसे तो ‘पाक’ शब्द का मूल अर्थ ‘पकाया गया’ या ‘पकवान’ होता है, लेकिन मौजूदा राजनीतिक और सामाजिक संदर्भों में आमजन इसे पाकिस्तान से जोड़ने लगे हैं, जिस कारण लोगों को यह शब्द मिठाई के नाम के साथ स्वीकार्य नहीं लग रहा. यही वजह है कि ‘मोती पाक’, ‘मैसूर पाक’, ‘गाजर पाक’, ‘गोंद पाक’ और ‘आम पाक’ जैसी पारंपरिक मिठाइयों के नाम अब नए रूप में सामने आ रहे हैं. इस बदलाव को लोग केवल एक नाम परिवर्तन नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन का माध्यम मान रहे हैं.
जयपुर के कई बड़े हलवाइयों और कैटरिंग सर्विस संचालकों ने भी इस पहल का समर्थन किया है और कहा है कि जल्द ही वे भी अपनी मिठाइयों के नाम बदलकर देशभक्ति से जुड़े नए नाम रखेंगे. यह बदलाव दर्शाता है कि भारतीय समाज में भावनाएं केवल भाषणों या पोस्टरों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे रोजमर्रा की चीजों में भी दिखाई देती हैं – चाहे वह एक मिठाई का नाम ही क्यों न हो.
Report: Rytham jain