अंग्रेजों के जमाने में बनी 115 साल पुरानी नैरोगेज ट्रेन का संचालन बंद, विदाई देने वाले लोग हुए भावुक, जानें
Dholpur News: राजस्थान के धौलपुर में अंग्रेजों के जमाने में बनी 115 साल पुरानी नैरोगेज ट्रेन का संचालन 1 अप्रैल से बंद हो गया. लोगों ने ट्रेन को सजाकर नम आंखों से विदाई दी. डांग इलाके के यात्रियों की लाइफ लाइन कहे जाने वाली ट्रेन के बंद होने से लोगों के साथ ट्रेन का स्टाफ […]
ADVERTISEMENT

Dholpur News: राजस्थान के धौलपुर में अंग्रेजों के जमाने में बनी 115 साल पुरानी नैरोगेज ट्रेन का संचालन 1 अप्रैल से बंद हो गया. लोगों ने ट्रेन को सजाकर नम आंखों से विदाई दी. डांग इलाके के यात्रियों की लाइफ लाइन कहे जाने वाली ट्रेन के बंद होने से लोगों के साथ ट्रेन का स्टाफ भी मायूस हो गया. इस नैरोगेज ट्रैन की शुरुआत धौलपुर स्टेट के महाराज ने वर्ष 1908 में की थी. कभी इस ट्रैन का निर्माण धौलपुर के लाल पत्थर की ढुलाई के लिए किया जाता था. उसके बाद यह यात्री ट्रेन में तब्दील हो गई.
धौलपुर से चलने वाली यह नैरोगेज ट्रैन बाड़ी, सरमथुरा और उत्तर प्रदेश के मोहारी-तांतपुर तक जाती थी. यह ट्रेन डांग इलाके के यात्रियों से ठसाठस भर कर चलती थी. यात्री इस ट्रेन की बोगियों पर बैठ कर भी सफर करते थे. ट्रेन के संचालन के आखिरी दिन स्थानीय रेलवे के अधिकारी और जिले प्रशासनिक अधिकारियो ने बोगियों में बैठ कर सफर भी किया. यह नैरोगेज ट्रैन करीब 90 किलोमीटर का सफर तय करती थी. उत्तर मध्य रेलवे मंडल आगरा ने इलाहाबाद बोर्ड के डीआरएम के निर्देश पर इस ट्रेन के संचालन को बंद करने के आदेश जारी किए हैं.
इस वजह से बंद हुई नैरोगेज ट्रेन
नैरोगेज ट्रेन से सफर करने वाले यात्रियों ने बताया कि उन्हें ट्रेन के बंद होने से दुख हुआ है. लेकिन इस बात की खुशी भी है कि यह मार्ग ब्रॉडगेज में परिवर्तित होने जा रहा है और आने वाले समय में लोगों को दूर तक जाने का एक नया रास्ता मिलेगा. गौरतलब है कि धौलपुर से करौली तक ब्रॉडगेज रेलवे लाइन स्वीकृत हुई है जिसका काम चल रहा है. इसके चलते रेलवे बोर्ड द्वारा नैरोगेज ट्रेन को बंद किया गया है.
यह भी पढ़ें...
यह है ट्रेन का इतिहास
इतिहासकारों का कहना है कि नैरोगेज ट्रेन को बच्चा गाड़ी नाम से जाना जाता था. यह धौलपुर स्टेट के राजा-महाराजाओं की संपत्ति हुआ करती थी. इस ट्रेन का प्रबंधन और संचालन उनके द्वारा ही किया जाता था. ग्रेट इंडियन पेनीसुला के झांसी-आगरा लाइन पर धौलपुर जंक्शन से ये रेलवे लाइन शुरू होती थी. इस 89 किलोमीटर रेल मार्ग का निर्माण धौलपुर महाराजा ने 1908 में शुरू कराया था. 1917 में इस रेल मार्ग पर पूरी तरह से ट्रेनों का संचालन शुरू हो गया था और उसके बाद में ये ग्वालियर लाइट रेलवे का हिस्सा बन गया. साल 1950 में धौलपुर-बाड़ी रेलवे का राष्ट्रीयकरण हो गया और यह भारतीय रेल का हिस्सा बन गई.
यह भी पढ़ें: राजस्थान के इस जिले में अजीबोगरीब पंरापरा, साल में दो बार इसलिए किया जाता है रावण दहन