Rajasthan: सरकारी अस्पताल में दम तोड़ रही योजना, कई महीनों से जिला हॉस्पिटल में क्रिटिकल जांचें बंद
Rajasthan: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आमजन के स्वास्थ्य को लेकर नई-नई योजना लागू कर रहे हैं. अभी हाल ही में आरटीएच बिल भी लागू कर दिया है. बिल को लेकर प्रदेश भर के निजी अस्पताल बंद पड़े हैं और उनका समर्थन सरकारी अस्पताल में तैनात डॉक्टर भी दो घंटे का कार्य बहिष्कार कर रहे […]
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Rajasthan: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आमजन के स्वास्थ्य को लेकर नई-नई योजना लागू कर रहे हैं. अभी हाल ही में आरटीएच बिल भी लागू कर दिया है. बिल को लेकर प्रदेश भर के निजी अस्पताल बंद पड़े हैं और उनका समर्थन सरकारी अस्पताल में तैनात डॉक्टर भी दो घंटे का कार्य बहिष्कार कर रहे हैं तो वहीं सरकारी अस्पतालों में मुख्यमंत्री निःशुल्क जांच योजना दम तोड़ रही है.
मामला धौलपुर जिले के सबसे बड़े डॉ. मंगल सिंह चिकित्सालय का है. जहां राजस्थान तक ने आरटीएच बिल के विरोध के दौरान जांच पड़ताल की तो चौकाने वाली बात सामने आई. जिला अस्पताल में मरीजों को मिलने वाली थायरायड समेत 40 प्रकार की जांचें कई माह से बंद पड़ी हुई है. मरीजों को बाजार में महंगे दामों पर निजी पैथलॉजी पर जांचें करानी पड़ रही है.
बता दें कि गहलोत सरकार की ओर से अस्पतालों में मरीजों को क्रिटिकल जांच सुविधा देने के लिए पीपीपी मोड पर कृष्णा डायग्नोस्टिक प्राइवेट सेन्टर को टेंडर दिया हुआ था. इसकी अवधि समाप्त हो जाने के बाद 16 प्रकार की क्रिटिकल जांचे जिला अस्पताल में बंद हो गई है.
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राजस्थान तक ने जब जिला अस्पताल के पैथालॉजी प्रभारी सियाराम से बात कि तो उन्होंने बताया कि 16 प्रकार की जांचें वर्तमान में नहीं हो रही हैं और दिसम्बर 2022 से बंद है. जांचों को लेकर जिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. समरवीर सिंह ने बताया कि पीपीपी मोड पर दी गई 16 प्रकार जांचें दिसम्बर 2022 से नहीं हो रही है. इसको लेकर हमारे द्वारा आला अधिकारियो को पत्र व्यवहार किया और जल्द शुरू होने का आश्वासन मिला है.
वहीं धौलपुर जिले के सैंपऊ उपखंड मुख्यालय के सरकारी अस्पताल में करीब 15 माह से लीवर, किडनी, कोलेस्ट्रॉल समेत 13 प्रकार की जांचे बंद पड़ी हैं. इन जांचों के उपयोग में आने वाली बायोकेमिस्ट्री एनालाइजर मशीन खराब पड़ी हुई है. प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के ये हालात बने हुए हैं और सीएम गहलोत आमजन को निःशुल्क स्वास्थ्य देने के लिए योजनाओ को लागू कर रहे हैं, लेकिन अस्पतालों में निःशुल्क जांच योजनाएं दम तोड़ रही है. अब देखना होगा कि सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थाएं कब सुधरेगी, यह तो आने वाला समय बताएगा.
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