Rajasthan Tourism: राजस्थान का कुंवारा किला, जहां बाबर और जहांगीर ने गुजारी थी रात, पर्यटकों के लिए खुला

Himanshu Sharma

Rajasthan Tourism: अब आप देश के कुंवारे किले में घूम सकते हैं. साथ ही यहां देख सकते हैं कि बाबर और जहांगीर ने कहां रात गुजारी थी. आम लोगों के लिए लंबे समय से बंद अलवर के बाला किला (Bala Quila Alwar) को बुधवार से खोल दिया गया है. यह किला रहस्य से भरा हुआ […]

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Rajasthan Tourism: अब आप देश के कुंवारे किले में घूम सकते हैं. साथ ही यहां देख सकते हैं कि बाबर और जहांगीर ने कहां रात गुजारी थी. आम लोगों के लिए लंबे समय से बंद अलवर के बाला किला (Bala Quila Alwar) को बुधवार से खोल दिया गया है. यह किला रहस्य से भरा हुआ है. तीसरी सबसे लंबी दीवार बाला किला में है. अरावली की वादियों से घिरे हुए इस किले से आज तक युद्ध नहीं हुआ. इसलिए इसका नाम बाला किला व कुंवारा किला पड़ा. राजस्थान का पहला हथियारों का म्यूजियम भी इसके लिए में बन रहा है.

बाला किला को कुंवारा किला भी कहा जाता है. इस किले से आज तक एक भी युद्ध नहीं हुआ. इसलिए इसका नाम कुंवारा किला पड़ा. इस किले में बाबर ने रात गुजारी थी. तो जहांगीर भी इस किले में रह चुके हैं. यह किला मुगल व राजपूत शैली से बना हुआ है. इस किले में प्रवेश के रास्ते में चार दरवाजे पड़ते हैं. पहाड़ी की चोटी पर यह किला अपनी खूबसूरती के लिए खास पहचान रखता है. चीन के बाद सबसे लंबी दीवार राजस्थान के कुंभलगढ़ जिले की है. तो उसके बाद अलवर के बाला किला की है. पर्यटन व पुरातत्व विभाग की तरफ से इस किले की मरम्मत करवाई गई है व इसको नया रंग रूप दिया गया है.

क्या है बाला किले का इतिहास

आमेर नरेश काकिल के द्वितीय पुत्र अलघुरायजी ने संवत 1108 (1049ई) में पहाड़ी की छोटी गढ़ी बनाकर किले का निर्माण प्रारंभ किया था. 13वीं शताब्दी में निकुंभों द्वारा गढ़ी में चतुर्भुज देवी के मंदिर का निर्माण कराया गया. अलावल खान द्वारा 15वीं शताब्दी में इस गढ़ी की प्राचीन बनवाकर इसको दुर्गा के रूप में पहचान दी गई. खानवा के युद्ध के पश्चात अप्रैल 1927 में मुगल बादशाह बाबर ने किले में रात्रि विश्राम किया था. 18वीं शताब्दी पूर्वोदय में भरतपुर के महाराजा सूरजमल ने दुर्ग में जल स्रोत के रूप में सूरजकुंड का निर्माण कराया था. साथ ही 1775 में इस दुर्ग पर अधिकार कर इसमें सीताराम जी का मंदिर बनवाया था. 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में महाराज बख्तावर सिंह ने दुर्ग पर प्रताप सिंह की छतरी तथा जनाना महल का निर्माण करवाया था.

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आज भी है बंदूक व तोप के निशान

जनाना महल स्थित स्तंभों के निर्माण में सफेद संगमरमर करौली का पत्थर स्थानीय स्लेटी रंग का पत्थर आदि लगाए गए थे. किले में प्रवेश के 6 दरवाजे बने हुए हैं. यह किला 5 किलोमीटर लंबा और करीब डेढ़ किलोमीटर चौड़ा है. इस किले की दीवारों में 446 छेद हैं. जिन छेदों में 10 फुट की बंदूक से गोली चलाई जाती थी. साथ ही 15 बड़े और 51 छोटे बुर्ज बनाए गए हैं.

5 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है किला

बाला किला राजस्थान में सबसे बड़े किलों में गिने जाते हैं. यह किला 5 किलोमीटर की एरिया में फैला हुआ है. किले के रास्ते पर 6 प्रवेश द्वार पड़ते हैं. इसमें चांद पोल, सूरज पोल, कृष्ण पोल, लक्ष्मण पोल, अंधेरी गेट और जय पोल हैं. इन गेटों में से प्रत्येक का नाम शासकों के नाम पर रखा गया है. यह किला कई शैलियों में बनाया गया है और किले की दीवारों में सुंदर शास्त्र और मूर्तियां बनी हुई है. इन सुंदर नक्काशियों के अलावा किले में सूरज कुंड, सलीम नगर तलाब, जल महल और निकुंभ महल पैलेस जैसे कई भवन बने हुए हैं. बाला किले के परिसर में कई मंदिर भी बने हुए हैं. किले में 15 बड़े टावर, 51 छोटे टावर बने हुए हैं. जो सुरक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण थे.

किले में बन रहा है हथियारों का म्यूजियम

बाला किला में राजस्थान का पहला हथियार का म्यूजियम बन रहा है. इसमें 550 तरह के हथियार रखे जाएंगे. जल्द ही यह आम लोगों के लिए शुरू हो जाएगा. राजा महाराजा काल के हथियार अपनी खास पहचान रखते हैं. तो लोगों को पसंद करते हैं.

लंबे समय से था बंद

किले की दीवारें जर्जर हो रही थी. तो अंदर किले में हथियारों का जखीरा रखा हुआ है. इसलिए आम लोगों के लिए इसे बंद किया गया था. केवल अनुमति के बाद ही लोग इसमें प्रवेश कर पाते थे. लेकिन अब लोग किले में घूम सकेंगे व सेल्फी ले सकेंगे. जल्द ही किले के अंदर पर्यटन विभाग अन्य एक्टिविटी भी शुरू करने की तैयारी कर रहा है.

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