SDM थप्पड़कांड में गिरफ्तार नरेश मीणा को 198 दिन बाद मिली जमानत, लेकिन अभी जेल से बाहर क्यों नहीं आ पाएंगे?

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Naresh Meena: टोंक जिले के चर्चित थप्पड़कांड मामले में निर्दलीय नेता नरेश मीणा को राहत मिली है. राजस्थान हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. यह आदेश जस्टिस अनिल उपमन की अदालत ने जारी किया है.

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Naresh Meena: टोंक जिले के चर्चित थप्पड़कांड मामले में निर्दलीय नेता नरेश मीणा को राहत मिली है. राजस्थान हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. यह आदेश जस्टिस अनिल उपमन की अदालत ने जारी किया है. हालांकि, वह अभी जेल से रिहा नहीं हो पाएंगे. नरेश मीणा पर समरावता हिंसा को लेकर नगरफोर्ट थाने में एक और केस दर्ज है. इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा है.

मामला नवंबर 2024 का है. देवली-उनियारा उपचुनाव के दौरान समरावता गांव में वोटिंग का बहिष्कार हुआ था. गांव में धरने पर बैठे नरेश मीणा ने अधिकारियों पर जबरन मतदान करवाने का आरोप लगाया. इसी दौरान उन्होंने एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया था.

7 महीने से ज्यादा समय से जेल में बंद हैं नरेश मीणा

पिछले साल 13 नवंबर को देवली-उनियारा उपचुनाव के दौरान नरेश मीणा ने एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया था. यह घटना मतदान के दिन हुई थी. इसके बाद इलाके में तनाव फैल गया और हिंसा भड़क गई.

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पुलिस ने नरेश मीणा को अगले दिन गिरफ्तार किया था. तब से वह जेल में हैं. अब 7 महीने बाद उन्हें जमानत मिली है. लेकिन दूसरी एफआईआर के कारण रिहाई अभी नहीं हो सकेगी.

वकीलों ने क्या कहा?

नरेश मीणा की ओर से अधिवक्ता डॉ. महेश शर्मा और फतेहराम मीणा ने अदालत में कहा कि यह घटना अचानक घटी. पुलिस ने जानलेवा हमले का केस बना दिया, जबकि हालात ऐसे नहीं थे.

उन्होंने बताया कि नरेश पर कुल 26 मामले थे, जिनमें से 5 में वह बरी हो चुके हैं. कुछ मामले सरकार ने वापस ले लिए हैं. फिलहाल 12 केस चल रहे हैं. वकीलों ने यह भी कहा कि एसडीएम की भूमिका भी जांच योग्य है. उन्होंने जबरन वोटिंग करवाई, जिससे गांव में तनाव बढ़ा.

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कोर्ट के सामने क्या रखा गया?

अधिवक्ताओं ने बताया कि केस का चालान पेश हो चुका है और ट्रायल में समय लगेगा. नरेश घटना के दिन से ही जेल में हैं, इसलिए उन्हें जमानत दी जाए. कोर्ट ने यह तर्क मानते हुए जमानत मंजूर कर ली.

पहले खारिज हो चुकी थी याचिका

थप्पड़कांड और उसके बाद हुई हिंसा से जुड़े मामलों में पहले भी नरेश मीणा की जमानत याचिका खारिज की जा चुकी है. फरवरी 2025 में हाईकोर्ट ने समरावता हिंसा के केस में उनकी याचिका ठुकरा दी थी.

तब कोर्ट ने कहा था कि चुनाव प्रक्रिया को बाधित करना गंभीर अपराध है. अगर आरोपी ने सोशल मीडिया पर अपने समर्थकों को नहीं उकसाया होता, तो हिंसा नहीं होती.

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