राजे ने अपने जन्मदिन के लिए चुना सालासर धाम, पूनिया और राठौड़ के गढ़ में दिखाएंगी ताकत? जानें
राजस्थान में चुनावी समर 2023 के लिए सभी पार्टियों ने जोर लगाना शुरू कर दिया है. 5 साल तक विपक्ष में बैठीं पूर्व सीएम राजे भी अब चुनावी मूड में नजर आ रही हैं. इसी बीच उन्होंने अपने जन्मदिन को सालासर धाम में सेलिब्रेट करने का फैसला किया है. खास बात ये है कि उनका […]
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राजस्थान में चुनावी समर 2023 के लिए सभी पार्टियों ने जोर लगाना शुरू कर दिया है. 5 साल तक विपक्ष में बैठीं पूर्व सीएम राजे भी अब चुनावी मूड में नजर आ रही हैं. इसी बीच उन्होंने अपने जन्मदिन को सालासर धाम में सेलिब्रेट करने का फैसला किया है. खास बात ये है कि उनका जन्मदिन 8 मार्च को है पर उन्होंने 4 मार्च को ही इसे सेलिब्रेट करने का ऐलान किया है.
अब सवाल ये उठता है कि क्या महारानी अपने जन्मदिन के बहाने शक्ति प्रदर्शन की तैयारी कर रही हैं? क्या महारानी विरोधियों के गढ़ में पार्टी आलाकमान को अपनी राजनीतिक ताकत दिखाएंगी? क्या महारानी अब खुलकर 2023 के चुनावी रण में कूद चुकी हैं? ये तमाम सवाल इस वक्त राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बने हुए हैं.
पूनिया की जन्मभूमि और राठौड़ की कर्मभूमि पर करेंगी जनसभा
दरअसल, 8 मार्च को सूबे की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का जन्मदिन है, लेकिन होली के त्यौहार के चलते महारानी अपना जन्मदिन 4 मार्च को मनाएंगी. इस बार महारानी ने अपने जन्मदिन की पूजा के लिए चूरू में स्थित सालासर बालाजी धाम को चुना है. इसके साथ ही वो एक जनसभा को भी संबोधित करेंगी. चूरू जहां उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ की कर्मभूमि है तो वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां की जन्मभूमि है.
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कहा जा रहा है कि महारानी अपने जन्मदिन के बहाने अपने राजनीतिक विरोधियों को अपनी ताकत का एहसास करवाना चाहती हैं. साथ ही महारानी अपने जन्मदिन के बहाने शक्ति प्रदर्शन कर आलाकमान को ये दिखाने की कोशिश करेंगी कि उन्हें नजरअंदाज करके सत्ता हासिल करना नामुमकिन है.
इससे पहले भी देव दर्शन यात्राओं के जरिए दिखा चुकी हैं ताकत
आपको बता दें कि महारानी इससे पहले भी देव दर्शन यात्राओं के जरिए लोगों को साधती हुईं नजर आई हैं. पिछले 2 सालों में महारानी राजस्थान के लगभग सभी संभागों में यात्रा कर चुकी हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि तमान विरोधाभासों के बावजूद अभी भी वसुंधरा राजे लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं. इसलिए उनकी दावेदारी को खारिज करना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा. अगर पार्टी उन्हें सीएम फेस बनाकर चुनाव नहीं लड़ती है तो बीजेपी को इसका खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है.
राजस्थान में अब विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम का समय बचा है. ऐसे में अब महारानी चुनावी मैदान में कूद चुकी हैं. इस दौरान महारानी के दौरे भी तेज हो गए हैं. साथ ही लोगों से भी मिल रही हैं. बीते दिनों महारानी ने बीजेपी में चल रहे पोस्टर वॉर को लेकर ये तो साफ कर दिया है कि उनकी तस्वीर पोस्टर्स में नहीं बल्कि लोगों के दिल में बसती है. अब महारानी अपने शक्तिप्रदर्शन के जरिए अपने विरोधियों के साथ आलाकमान को कितना कड़ा संदेश दे पाती हैं, ये देखने वाली बात होगी.
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