दृष्टि IAS कोचिंग के संचालक विकास दिव्यकीर्ति फंसे! अजमेर कोर्ट सख्त, विवाद की वजह है ये वीडियो
Vikas Divyakirti Controversy: दृष्टि IAS कोचिंग के संस्थापक विकास दिव्यकीर्ति एक वीडियो को लेकर विवादों में घिर गए हैं. वीडियो में कथित तौर पर न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक और व्यंग्यात्मक टिप्पणियां की गई हैं.
ADVERTISEMENT

Vikas Divyakirti Controversy: दृष्टि IAS कोचिंग के संस्थापक विकास दिव्यकीर्ति एक वीडियो को लेकर विवादों में घिर गए हैं. वीडियो में कथित तौर पर न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक और व्यंग्यात्मक टिप्पणियां की गई हैं. राजस्थान की अजमेर अदालत ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए विकास दिव्यकीर्ति को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है.
क्या है मामला?
विवाद का केंद्र एक यूट्यूब वीडियो है, जिसका शीर्षक है, 'IAS vs Judge कौन ज्यादा ताकतवर है Best Guidance by Vikas Divyakirti sir hindi motivation’'. यूट्यूब पर कई चैनलों पर यह वीडियो अपलोड है.
शिकायतकर्ता कमलेश मंडोलिया ने दावा किया कि इस वीडियो में IAS अधिकारियों और जजों के लिए अपमानजनक टिप्पणियां की गई हैं. उनके अनुसार, यह वीडियो न केवल कानून से जुड़े पेशेवरों की भावनाओं को ठेस पहुंचाता है, बल्कि जनता के बीच न्यायपालिका की विश्वसनीयता को भी कमजोर करता है.
अजमेर के अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश और न्यायिक मजिस्ट्रेट मनमोहन चंदेल ने 8 जुलाई को अपने आदेश में कहा, “वीडियो में न्यायपालिका का उपहास उड़ाया गया है. इससे न्यायपालिका की गरिमा, निष्पक्षता और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है.” कोर्ट ने मामले को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 356 (1), (2), (3), (4) के तहत आपराधिक रजिस्टर में दर्ज करने का निर्देश दिया.
यह भी पढ़ें...
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने प्रथम दृष्टया पाया कि वीडियो में इस्तेमाल की गई भाषा “अपमानजनक, आपत्तिजनक और नीचा दिखाने वाली” थी. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार सीमित है और इसका इस्तेमाल न्यायपालिका का अपमान करने के लिए नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के अरुंधति रॉय (2002) और प्रशांत भूषण (2020) मामलों का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह की टिप्पणियां स्वीकार्य नहीं हैं.
अधिवक्ता अशोक सिंह रावत ने बताया कि कमलेश मंडोलिया ने दृष्टि आईएएस कोचिंग संस्थान दिल्ली के संस्थापक विकास दिव्यकीर्ति के खिलाफ मानहानि का आरोप लगाते हुए परिवाद दायर किया था. अजमेर सिविल न्यायालय पश्चिम न्याय मजिस्ट्रेट मनमोहन चंदेल की अदालत ने इसे आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए 40 प्रष्टीय आदेश में संस्थापक को आगामी सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की आदेश दिया है,
विकास दिव्यकीर्ति का जवाब
विकास दिव्यकीर्ति ने सफाई दी कि विवादित वीडियो से उनका कोई संबंध नहीं है. उन्होंने दावा किया कि यह वीडियो किसी थर्ड पार्टी ने उनकी अनुमति के बिना संपादित कर अपलोड किया. उन्होंने कहा, “न तो दृष्टि IAS ने यह वीडियो प्रकाशित किया और न ही मेरी ओर से इसकी अनुमति दी गई.”
दिव्यकीर्ति ने यह भी तर्क दिया कि शिकायतकर्ता को BNS की धारा 356 के तहत ‘पीड़ित व्यक्ति’ नहीं माना जा सकता, क्योंकि वीडियो में किसी व्यक्ति या समूह का नाम नहीं लिया गया. हालांकि, कोर्ट ने उनके तर्क को खारिज कर दिया.
कोर्ट ने थर्ड पार्टी के दावे को नकारा
अदालत ने दिव्यकीर्ति के थर्ड पार्टी वाले तर्क को भी अस्वीकार किया. कोर्ट ने कहा कि एक शिक्षक और संस्था के निदेशक के रूप में, उन्हें इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि उनका भाषण रिकॉर्ड किया जा रहा है और यह सार्वजनिक हो सकता है. कोर्ट ने यह भी नोट किया कि दिव्यकीर्ति ने वीडियो अपलोड करने वाले को कोई नोटिस नहीं भेजा और न ही इस पर आपत्ति दर्ज की.
अगली सुनवाई कब?
इस मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई 2025 को होगी. कोर्ट ने विकास दिव्यकीर्ति को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है. इस मामले ने सोशल मीडिया पर भी चर्चा छेड़ दी है, जहां लोग न्यायपालिका की गरिमा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बहस कर रहे हैं.
यह मामला न केवल विकास दिव्यकीर्ति और दृष्टि IAS के लिए चुनौतीपूर्ण है, बल्कि यह सोशल मीडिया पर सामग्री साझा करने की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठाता है. क्या यह वीडियो वाकई न्यायपालिका की छवि को ठेस पहुंचाता है, या यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मामला है? इस सवाल का जवाब अगली सुनवाई में कोर्ट के फैसले से स्पष्ट हो सकता है.