रामेश्वर दाधीच और अशोक गहलोत के बीच पारिवारिक संबंध हैं. दोनों ने शुरुआती समय में साथ में संघर्ष किया है.दोनों के बीच करीब 40 साल से भी ज्यादा समय से दोस्ती है. रामेश्वर दाधीच 2009 से 2014 तक जोधपुर के महापौर रहे. वहीं काफी समय तक राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव पद पर भी काबिज रहे. फिर जोधपुर देहात सेवादल के जिला अध्यक्ष पद पर भी रहे. लेकिन पिछले कई सालों से वह कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में सेवा दे रहे थे.
निर्दलीय नामांकन दाखिल करने से BJP की बढ़ गई थी टेंशन
रामेश्वर दाधीच ने सूरसागर विधानसभा (Sursagar Assembly) सीट से निर्दलीय के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था लेकिन बाद में नामांकन वापस ले लिया. दाधीच के नामांकन से सबसे ज्यादा बीजेपी परेशान थी. ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा के ब्राह्मण नेताओं के दबाव के चलते रामेश्वर दाधीच ने अपना नामांकन वापस लिया है. अगर रामेश्वर दाधीच सूरसागर से निर्दलीय चुनाव लड़ते तो इससे हिंदू वोट बंट सकते थे और इसका सीधा फायदा कांग्रेस के प्रत्याशी शहजाद खान को होता.