भक्तों के लिए खुले हेमकुंड साहिब के कपाट, यात्रा से पहले इन बातों का रखें ध्यान
भगवान हेमकुंड को समर्पित यह पवित्र गुरुद्वारा हिमालय की गोद में 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. बता दें, हर साल बर्फबारी के कारण छह महीने के लिए बंद रहने के बाद, गुरुद्वारे के कपाट अप्रैल के आखिरी सप्ताह में खुलते हैं और नवंबर के पहले सप्ताह में बंद हो जाते हैं.
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सिख धर्म के सात प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक, श्री हेमकुंड साहिब, उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है. भगवान विष्णु के अवतार भगवान हेमकुंड को समर्पित यह पवित्र गुरुद्वारा हिमालय की गोद में 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. हर साल, बर्फबारी के कारण छह महीने के लिए बंद रहने के बाद, गुरुद्वारे के कपाट अप्रैल के आखिरी सप्ताह में खुलते हैं और नवंबर के पहले सप्ताह में बंद हो जाते हैं. जानकारी के मुताबिक, इस साल हेमकुंड साहिब के कपाट 30 अप्रैल 2024 को खुल गए हैं और 10 नवंबर 2024 तक खुले रहेंगे.
हेमकुंड साहिब में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की संख्या हुई सीमित
हेमकुंड साहिब के कपाट खुलने के साथ ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है. इसी को देखते हुए गुरुद्वारा प्रबंधन ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. अब हर दिन केवल 3500 श्रद्धालुओं को ही हेमकुंड साहिब में दर्शन के लिए प्रवेश दिया जाएगा. यह निर्णय भीड़भाड़ को नियंत्रित करने और श्रद्धालुओं को सुगम दर्शन प्रदान करने के लिए लिया गया है.
हेमकुंड साहिब कैसे जाएं?
हेमकुंड साहिब तक पहुंचने के लिए दो मुख्य रास्ते हैं
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- गोविंदघाट से- ऋषिकेश से बस या टैक्सी द्वारा गोविंदघाट पहुंचें, जो हेमकुंड साहिब का बेस कैंप है. गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 13 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होगी.
- हवाई मार्ग- देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट यहां का नजदीकी एयरपोर्ट है. यहां से गोविंदघाट तक टैक्सी या बस के जरिए पहुंच सकते हैं. गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 19 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ती है.
हेमकुंड साहिब यात्रा करते समय ध्यान रखने योग्य बातें-
- पहले से बुकिंग कराएं:- हेमकुंड साहिब एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है, इसलिए आवास और परिवहन के लिए पहले से बुकिंग कराना महत्वपूर्ण है.
- मौसम के अनुकूल कपड़े पहनें:- हेमकुंड साहिब में ठंड का मौसम रहता है, इसलिए गर्म कपड़े और जलरोधी जूते अवश्य पहनें.
- स्वास्थ्य का ध्यान रखें:- ऊंचाई की बीमारी से बचने के लिए धीरे-धीरे ऊपर चढ़ें और पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें.
- पर्यावरण का ध्यान रखें:- कूड़ा-कचरा न फैलाएं और प्रकृति का सम्मान करें.
- स्थानीय नियमों का पालन करें:- गुरुद्वारे में प्रवेश करते समय नियमों का पालन करें और शांति बनाए रखें.