पंचकेदार का मुकुटमणि: तुंगनाथ मंदिर, जहां पांडवों ने ढूंढा था मोक्ष का मार्ग, जानिए मंदिर की खासियत

News Tak Desk

समुद्र तल से 3680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर हिमालय की अद्भुत भव्यता और धार्मिक महत्व का संगम है. आपको बता दें, केदारनाथ के बाद तुंगनाथ हिंदुओं का सबसे महत्वपूर्ण शिव मंदिर है.

ADVERTISEMENT

NewsTak
social share
google news

गगनचुंबी चोटियों और बर्फ से ढके पहाड़ों की गोद में बसा उत्तराखंड का तुंगनाथ मंदिर, पंचकेदार में से एक, भगवान शिव को समर्पित है. समुद्र तल से 3680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर हिमालय की अद्भुत भव्यता और धार्मिक महत्व का अद्भुत संगम है. सरल पत्थरों से निर्मित तुंगनाथ मंदिर अपनी भव्यता में अद्वितीय है. बर्फ से ढकी छत और नंदी की मूर्ति मंदिर की शोभा बढ़ाते हैं. आपको बता दें, केदारनाथ के बाद तुंगनाथ हिंदुओं का सबसे महत्वपूर्ण शिव मंदिर है.

मंदिर को लेकर ये है पौराणिक कथा

महाभारत युद्ध के विनाशकारी परिणामों से त्रस्त पांडव, मोक्ष प्राप्त करने के लिए भटक रहे थे. भटकते हुए वे तुंगनाथ पहुंचे, जहाँ भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और पापों से मुक्ति का मार्ग दिखाया.

तुंगनाथ मंदिर का महत्व

पंचकेदार में सबसे ऊँचा मंदिर होने के कारण, तुंगनाथ विशेष महत्व रखता है. यहां भगवान शिव के हृदय की पूजा यहां की जाती है. त्रिशूल चोटी, नाकुली, और माना पर्वत जैसी मनोरम प्राकृतिक सुंदरता से घिरा यह मंदिर पर्यटकों को भी आकर्षित करता है.

यह भी पढ़ें...

 तुंगनाथ मंदिर तक पहुंचने के दो मुख्य मार्ग हैं

सबसे पहले आपको ऋषिकेश तक आना पड़ेगा , यहाँ तक आने के लिये आप बस या ट्रेन का इस्तेमाल कर सकते है. यहां से गोपेश्वर होते हुए आपको चोपता तक जाना होगा. चोपता से तुंगनाथ मंदिर 4 किलोमीटर दूर है. यहां से आप पैदल यात्रा कर सकते हैं.

अन्य मार्ग

ऋषिकेश से बस या टैक्सी द्वारा उखीमठ जाएं, उखीमठ से बस या टैक्सी लेकर द्वारा चोपता पहुंचे. चोपता से तुंगनाथ मंदिर तक 4 किलोमीटर की पैदल यात्रा करें.

    follow on google news
    follow on whatsapp