50 से ज्यादा कत्ल का आरोपी डॉक्टर 'डेथ' साधु के भेष में दौसा से पकड़ा गया, कहानी 'क्राइम थ्रिलर वेबसीरीज' जैसी

News Tak Desk

डॉक्टर डेथ देवेंद्र शर्मा 21 टैक्सी ड्राइवर की हत्या के आरोप में दौसा से साधु के भेष में पकड़ा गया, 50 से ज्यादा हत्या का आरोप है इसपर.

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तस्वीर: न्यूज तक.
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राजस्थान के दौसा जिले से एक साधु पकड़ा गया. पता चला साधु के भेष में मोस्ट वांटेड क्रिमिल डॉक्टर डेथ है. कहते हैं डॉक्टर तो जीवनदाता होते हैं. मृत्युलोक के भगवान माने जाते हैं पर ये डॉक्टर 'डेथ' के नाम से कुख्यात हो गया. कहते हैं 100 से अधिक हत्याओं की और शव मगरमच्छों को खिला दिया. 

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो डॉक्टर डेथ कहता था- 'मारने में मजा आजा है.'  कुख्यात सीरियल किलर डॉ. देवेंद्र शर्मा (67)  पर 100 से ज्यादा हत्या और 125 किडनी ट्रांसप्लांट करने समेत कई आरोप हैं. 

कैसे पकड़ा गया डॉक्टर डेथ?

तिहाड़ जेल से अगस्त 2023 में पैरोल पर बाहर आने के बाद डॉ. देवेंद्र शर्मा फरार हो गया. उसे दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम तलाशती रही. वो छुपता फिर रहा था. आखिरकार उसे राजस्थान के दौसा में स्थित एक आश्रम से साधु के भेष में गिरफ्तार किया गया है. पुलिस श्रद्धालु बनकर आश्रम में घुसी और बाबा का चोला ओढ़े कुख्यात हत्यारे को गिरफ्तार कर लिया. 

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पहले भी कर चुका है पैरोल जंप 

डॉक्टर डेथ आदतन पैरोल जंपर है. इससे पहले 2020 में भी पैरोल जंप कर चुका है. इस बार वो दिल्ली और राजस्थान में दर्ज हत्या के मामलों में सजा काटते हुए अगस्त 2023 में मिले पैरोल को जंप कर गया था.  

क्या है डॉक्टर देवेंद्र की कहानी? क्यों कहते हैं 'डॉक्टर डेथ' 

डॉ. देवेंद्र कुमार शर्मा उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का रहने वाला है. पिता बिहार के सिवान में एक दवा कंपनी में काम करते थे. 1984 में, शर्मा ने बिहार से बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (B.A.M.S.) की डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की. स्नातक होने के बाद, उसने राजस्थान के बांदीकुई में जनता क्लिनिक नाम से अपना क्लिनिक खोला. इसे 11 वर्षों तक संचालित किया. 

अपराध जगत में ऐसे रखा कदम 

वर्ष 1994 में, गैस डीलरशिप घोटाले में 11 लाख रुपये की ठगी हो जाने के बाद उसे बड़ा आर्थिक झटका लगा. इस नुकसान के बाद, 1995 में, वह आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो गया और कथित तौर पर एक फर्जी गैस एजेंसी चलाने लगा. 

किडनी रैकेट के संपर्क में आया 

पूछताछ के दौरान, उसने कबूल किया कि वह डॉ. अमित नामक एक व्यक्ति के संपर्क में आया था. 1998 से 2004 के बीच, उसने 125 से अधिक अवैध किडनी प्रत्यारोपण किए. हर ट्रांसप्लांट में उसे 5-7 लाख रुपये तक की कमाई हुई. उसने डॉ. अमित के लिए किडनी डोनर्स का इंतजाम कर मध्यस्त की भूमिका निभाई.  

2004 में हुई पहली गिरफ्तारी 

साल 2004 में, उसे अवैध किडनी रैकेट के से जुड़े होने के मामले में गुड़गांव में गिरफ्तार किया गया. उसी दौरान, डॉक्टर देवेंद्र टैक्सी ड्राइवरों के अपहरण और सीरियल किलिंग करने लगा था. उनके वाहनों को यूपी के ग्रे मार्केट में बेचा दिया जाता था. डॉक्टर देवेंद्र को टैक्सी बेचकर 20,000 से 25,000 मिलते थे.

हत्याओं का पहली बार ऐसे हुआ खुलासा 

साल 2004 में देवेंद्र शर्मा को जयपुर की जीआरपी ने एक गुमशुदगी के मामले में पकड़ा. जब उससे पूछताछ की गई तो खुलासे ने पुलिस के होश फाख्ता कर दिए. पहली बार डॉक्टर का हैवान रूप सामने आया. साल 2002 से लेकर 2004 महज 2 साल के भीतर 100 से ज्यादा हत्या की बात सामने आई. 

हालांकि देवेंद्र पर 21 टैक्सी ड्राइवरों की हत्या का आरोप लगाया गया. उसे दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा में 7 अलग-अलग मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. उसे एक टैक्सी चालक की हत्या के लिए गुड़गांव की एक अदालत ने मौत की सजा भी सुनाई थी. 

50 से अधिक हत्याएं कबूली, पत्नी ने भी छोड़ा साथ

डॉक्टर देवेंद्र ने 50 से अधिक लोगों की हत्या करना कबूल किया है. हालांकि उसे 50 के बाद की हत्याओं की गिनती याद नहीं थी क्योंकि उसने गिनती करना ही छोड़ दिया. उसके जघन्य अपराधों का खुलासा होने के बाद 2004 में उसकी पत्नी और बच्चों ने उसे छोड़ दिया था. 

टैक्सी बुक कर करता था हत्या, शव मगरमच्छों के बीच फेंक देता था

पूछताछ में डॉक्टर देवेंद्र ने बताया कि उसने यूपी, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में टैक्सी बुक करता था. रास्ते में ड्राइवर की हत्या की और शव  नहर या नदी में फेंक देता था. ज्यादातर शवों को कासगंज के हजारा नहर में फेंक देता था. उस नहर में काफी मगरमच्छ थे जो शव निगल जाते थे. 

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