वृंदावन का जाकिर बना जगदीश, कई वर्षों से कर रहा था काली पूजा, धर्म बदलने के पीछे ये गजब कहानी पता चली
Jagdish became the Zakir of Vrindavan: उत्तर प्रदेश के वृंदावन में गुरुवार को एक अनोखा मामला सामने आया. मथुरा के जमुनापार इलाके के एक मुस्लिम परिवार के आठ सदस्यों ने वैदिक रीति-रिवाजों के साथ हिंदू धर्म अपना लिया.
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Jagdish became the Zakir of Vrindavan: उत्तर प्रदेश के वृंदावन में गुरुवार को एक अनोखा मामला सामने आया. मथुरा के जमुनापार इलाके के एक मुस्लिम परिवार के आठ सदस्यों ने वैदिक रीति-रिवाजों के साथ हिंदू धर्म अपना लिया. वृंदावन के एक आश्रम में हुए इस धार्मिक कार्यक्रम में परिवार के सभी सदस्यों ने खुशी-खुशी हिस्सा लिया. उन्होंने अपने नाम भी बदल लिए और कहा कि यह उनकी स्वेच्छा से और अपने पूर्वजों के धर्म में लौटने का फैसला है.
हिंदू धर्म अपनाने के बाद परिवार के मुखिया, 50 वर्षीय जाकिर ने अपना नाम जगदीश रखा. वह मूल रूप से शेरगढ़ के रहने वाले हैं, लेकिन सालों से अपनी ससुराल में दुकान चलाते हैं.
'मुगल काल में बदला था धर्म'
मीडिया से बात करते हुए जगदीश ने बताया कि उनके पूर्वज मुगल काल तक हिंदू थे. उन्होंने कहा, "हमारे पूर्वजों ने दबाव में आकर इस्लाम धर्म अपनाया था. लेकिन मैं हमेशा से मन, वचन और कर्म से देवी काली की पूजा करता रहा हूं. गांव के लोग भी मुझे आज तक 'भगत जी' कहते हैं." उन्होंने यह भी बताया कि उनका परिवार, जो मूल रूप से गुर्जर समुदाय से है, पिछले तीन सालों से अपनी जड़ों की ओर लौटने के बारे में सोच रहा था. जगदीश ने कहा, "हमने पूरी आस्था के साथ, बिना किसी दबाव या लालच के हिंदू धर्म अपनाया है."
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हवन के बाद बदले गए नाम
वृंदावन की श्री जी वाटिका कॉलोनी के भागवत धाम आश्रम में हिंदू युवा वाहिनी ने इस पूरे परिवार का धर्म परिवर्तन कराया. जगदीश की पत्नी, बेटे, बहुएं और पोते-पोतियों समेत सभी ने एक घंटे तक चले हवन-यज्ञ में भाग लिया. धर्म परिवर्तन के बाद सबके नाम बदल दिए गए. जाकिर अब जगदीश, उनकी पत्नी गुड्डी अब गुड़िया, बड़े बेटे अनवर अब सुमित, छोटे बेटे रनवर अब रामेश्वर, बहू सबीरा अब सावित्री और पोते-पोतियों - साबिर शत्रुघ्न, जोया सरस्वती और नेहा स्नेहा के नाम से जाने जाएंगे.
शांतिपूर्ण रही पूरी प्रक्रिया
हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता शरद सैनी ने बताया कि परिवार ने गंगाजल से शुद्धिकरण किया और भगवा वस्त्र धारण किए. उन्होंने कहा, "यह कदम उन्होंने पूरी तरह अपनी मर्जी से उठाया है. बच्चे भी अपने पैतृक धर्म में वापस आकर बहुत खुश थे." वृंदावन के पुलिस अधिकारी प्रशांत कपिल ने बताया कि पूरी प्रक्रिया शांतिपूर्ण रही और इसमें किसी भी तरह का दबाव या लालच नहीं था. इसलिए पुलिस की किसी भी कार्रवाई की जरूरत नहीं पड़ी.