धामी कैबिनेट का फैसला: मदरसा बोर्ड को खत्म कर अल्पसंख्यक शिक्षा अधिनियम लाएगी सरकार, कांग्रेस ने साधा निशाना
उत्तराखंड कैबिनेट ने अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान अधिनियम को मंजूरी दे दी है. इसके तहत अब मुस्लिम मदरसों के साथ सिख, ईसाई, जैन, पारसी और बौद्ध संस्थानों को भी मान्यता दी जाएगी. अब इसे लेकर कांग्रेस ने सरकार पर एक समुदाय को निशाना बनाने का आरोप लगाया.
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उत्तराखंड सचिवालय में रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में कैबिनेट का आयोजन किया गया. इस दौरान बैठक में 5 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई. इनमें से उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान अधिनियम की खूब चर्चा हो रही है. इस विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है. ऐसे में इसे आज से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा.
राज्य सरकार के अनुसार, प्रदेश में अभी तक अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान का दर्जा सिर्फ मुस्लिम समुदाय को दिया जाता था. लेकिन अब इस प्रस्तावित के अधिनियम लागू होने के बाद से ये सुविधा सिख, ईसाई, जैन, पारसी और बौद्ध समुदायों के लिए भी लागू हो जाएगी. सरकार ने दावा है किया है इसके लागू होने के बाद से उत्तराखंड ऐसे करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा, जिसने सभी अल्पसंख्यक समुदायों के शैक्षिक संस्थानों को मान्यता देने के लिए एकाकीकृत और पारदर्शी प्रक्रिया तैयार की है.
नया बार्ड का ये होगा काम
बताया जा रहा है कि 1 जुलाई 2026 से इस अधिनियम के लागू होने के बाद से उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड और इससे जुड़े अरबी-फारसी मदरसा मान्यता नियम 2019 को भंग कर दिया जाएगा. इस बोर्ड की जगह पर अब उत्तराखंड अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण गठित किया जाएगा. इसक बाद से ये नया प्राधिकरण प्रदेश के सभी अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों की मान्यता देने के साथ ही उनकी निगरानी करेगा.
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मदरसा बोर्ड में रजिस्टर्ड हैं 452 मदरसे
जानकारी के अनुसार, इस समय प्रदेश में मदरसा बोर्ड के अंतर्गत 452 मदरसे इस अधिनियम के लागू होने के बाद से इन सभी को नए प्राधिकरण से मान्यता लेनी होगी. सरकार ने कहना है कि इस नए ढांचे से पढ़ाई में क्वालिटी और ट्रांसपेरेंसी सुनिश्चित की जा सकेगी. इससे संस्थागत अधिकारों की रक्षा भी होगी. मान्यता पाने के लिए संस्थानों का सोसाइटी एक्ट, ट्रस्ट एक्ट या कंपनी एक्ट में रजिस्ट्रेशन करना जरुरी हाेगा. इसके साथ ही संबंधित भूमि और संपत्तियां संस्थान के नाम पर दर्ज होनी चाहिए.
सरकार के पास कोई मुद्दा नहीं: कांग्रेस
वहीं, दूसरी तरफ प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने इस विधेयक पर सवाल उठाए हैं. पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुजाता पॉल का कहा है कि विधानसभा सत्र शुरू होने जा रहा है लेकिन सरकार के पास जनता से जुड़े कोई ठोस मुद्दे नहीं हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है, लेकिन सरकार सिर्फ एक विशेष समुदाय को निशाना बनाने में जुटी है.
कांग्रेस ने अनुच्छेद 29 और 30 का दिया हवाला
सुजाता पॉल ने संविधान में अनुच्छेद 29 और 30 का हवाला देते हुए कहा कि हमारा संविधान अल्पसंख्यकों के शैक्षिक अधिकारों की गारंटी देते हैं. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने 1992 और 2004 में अल्पसंख्यक शिक्षा से जुड़े कानून बनाए थे. सुजाता ने कहा कि ये कहना गलत है कि सिर्फ मुसलमानों को ही अल्पसंख्यक होने का लाभ मिल रहा है.
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