सुप्रीम कोर्ट में हंगामा: एडवोकेट ने CJI बीआर गवई की तरफ जूता फेंकने की कोशिश की

सुप्रीम कोर्ट में आज बड़ा हंगामा हुआ जब वकील राकेश किशोर ने CJI बी आर गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की. सतर्क सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत उसे काबू कर लिया. पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लिया.

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तस्वीर: इंडिया टुडे.

संजय शर्मा

06 Oct 2025 (अपडेटेड: 06 Oct 2025, 04:49 PM)

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सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को उस वक्त हंगामा हो गया जब एक मामले की सुनवाई के दौरान एक एडवोकेट ने चीफ जस्टिस्ट बीआर गवई की कोर्ट में हंगामा खड़ा कर दिया. उसने मुख्य न्यायाधीश गवई की तरफ जूता फेंकने की कोशिश की, लेकिन सतर्क सुरक्षाकर्मियों और आसपास बैठे वकीलों ने उसे समय रहते दबोच लिया.

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पुलिस ने आरोपी वकील को हिरासत में ले लिया है. जब पुलिस उसे अदालत कक्ष से बाहर निकाल रही थी तो आरोपी वकील राकेश किशोर ने कहा कि ⁠सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान. सनातन का अपमान नहीं सहेंगे. हालांकि पूरे घटनाक्रम के दौरान जस्टिस गवई शांत रहे और सुनवाई यथावत जारी रखी.

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के सूत्रों के मुताबिक आरोपी वकील राकेश किशोर का सुप्रीम कोर्ट बार में रजिस्ट्रेशन 2011 में हुआ है. चीफ जस्टिस का ध्यान जब इस घटना की ओर दिलाया गया तो उन्होंने कहा कि ऐसी हरकतों का उनपर कोई असर नहीं पड़ता है. ये कहने के बाद उन्होंने अगले मुकदमे की सुनवाई शुरू कर दी.

SCORA ने घटना पर जताया खेद

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस के कोर्ट में जूता उछालने की घटना पर सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीओएआरए) ने क्षोभ जताया है. एसोसियेशन ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर एक वकील के कृत्य पर अपनी गहरी पीड़ा और अस्वीकृति व्यक्त की है. उनका कहना है कि वकील ने अपने अनुचित और असंयमित हावभाव से भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश और उनके साथी न्यायाधीशों के पद और अधिकार का अनादर करने की कोशिश की है.

एसोसिएशन ने कहा कि ऐसा आचरण बार के सदस्य के लिए अनुचित नहीं है. यह पारस्परिक सम्मान की उस बुनियाद पर प्रहार करता है जो बेंच और बार के बीच संबंधों को बरकरार रखती है. यह व्यवहार कानूनी पेशे की गरिमा के विपरीत है. इस पेशे को मर्यादा, अनुशासन और संस्थागत अखंडता के संवैधानिक मूल्यों के भी विपरीत है.

कोर्ट के अधिकारों को कलंकित करने की चाल- SCOARA

SCOARA ने आगे कहा- माननीय सर्वोच्च न्यायालय इस आचरण का स्वतः संज्ञान लेकर अवमानना ​​के लिए उचित कार्रवाई करे, क्योंकि यह कृत्य माननीय सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार को कलंकित करने और जनता की नजर में उसकी गरिमा को कम करने की एक सोची-समझी चाल है. 

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