पटना एयरपोर्ट पर वैट में भारी कटौती का दिखा जबरदस्त असर, एटीएफ की बिक्री में 134% की ऐतिहासिक बढ़ोतरी
पटना एयरपोर्ट पर एटीएफ पर वैट 29% से घटाकर 4% करने के फैसले से विमानन कंपनियों की रुचि बढ़ी और ईंधन बिक्री में 134% की ऐतिहासिक बढ़ोतरी हुई. इससे उड़ानों की संख्या में इजाफा हुआ और पटना एयरपोर्ट तेजी से एक प्रमुख एविएशन हब के रूप में उभर रहा है.
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पटना के जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अब पहले से कहीं ज्यादा हलचल देखने को मिल रही है. इसका सबसे बड़ा कारण है हाल ही में लिया गया एक ऐतिहासिक फैसला, जिससे विमानन उद्योग को नई रफ्तार मिल रही है. दरअसल, राज्य सरकार ने जून 2024 में एयर टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) पर लगने वाले वैट को 29 प्रतिशत से घटाकर महज 4 प्रतिशत कर दिया. इसका असर कुछ ही हफ्तों में नजर आने लगा है.
इस कदम से एयरलाइंस को पटना एयरपोर्ट से उड़ानों का संचालन करना पहले से कहीं ज्यादा लाभदायक हो गया है. इसका नतीजा यह हुआ कि अब यहां से उड़ने वाले विमानों की संख्या 100 के पार पहुंच चुकी है, जबकि पहले यह आंकड़ा करीब 80 था. यानी यात्रियों के लिए अब ज्यादा विकल्प और बेहतर कनेक्टिविटी उपलब्ध है.
आंकड़े कर रहे हैं बदलाव की पुष्टि
वाणिज्य कर विभाग के आंकड़े भी इस बदलाव की पुष्टि करते हैं. जब एटीएफ पर टैक्स 29% था, तो मई 2024 में एयरलाइनों ने पटना एयरपोर्ट से करीब 2318 किलोलीटर ईंधन खरीदा था. जून में टैक्स दर घटाने के तुरंत बाद यह आंकड़ा बढ़कर 5920 किलोलीटर तक पहुंच गया. यानी केवल एक महीने में ही 134 फीसदी की रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोतरी देखी गई है.
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इतना ही नहीं नए अत्याधुनिक टर्मिनल के शुरू होने से भी यात्रियों और एयरलाइंस दोनों को कई सुविधाएं मिल रही हैं. करीब 1,200 करोड़ रुपये की लागत से तैयार इस टर्मिनल का उद्घाटन 30 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था. 65,000 वर्ग मीटर में फैला यह टर्मिनल हर साल एक करोड़ यात्रियों को संभालने की क्षमता रखता है.
यात्रियों को भी मिलेगी अधिक और बेहतर सेवाएं
सरकार का मानना है कि एटीएफ पर टैक्स में की गई यह कटौती आने वाले समय में पटना को पूर्वी भारत के प्रमुख एविएशन हब के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी. विमानन कंपनियों की रुचि बढ़ने से यात्रियों को भी बेहतर सेवाएं और अधिक उड़ानें मिलेंगी.
कुल मिलाकर देखा जाए तो एटीएफ पर वैट घटाने का यह फैसला सरकार के एक दूरदर्शी कदम के रूप में सामने आया है, जिसने न सिर्फ विमानन सेक्टर को मजबूती दी है, बल्कि राज्य की कनेक्टिविटी और आर्थिक गतिविधियों को भी रफ्तार दी है.