बिहार के शिल्पकार सीख रहे कांसा-पीतल शिल्प की नई तकनीकें
आधुनिक डिजाइन, पॉलिशिंग और बाजार की मांग के अनुरूप शिल्पकला सीखकर शिल्पकार राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार होंगे.
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उपेन्द्र महारथी शिल्प अनुसंधान संस्थान की ओर से पश्चिम चंपारण क्लस्टर में कार्यरत 15 कांसा एवं पीतल शिल्पकारों को मुरादाबाद में 5 दिवसीय उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है. इसमें शिल्पकारों को कांसा और पीतल शिल्प निर्माण की नई तकनीकें, आधुनिक डिजाइन, फिनिशिंग, पॉलिशिंग, उन्नत औजारों का प्रयोग और बाजार की मांग के अनुसार उत्पाद तैयार करने की विधि सिखाई जा रही है.
प्रशिक्षण में शिल्पकारों को उत्पाद की गुणवत्ता सुधारने, डिजाइन में विविधता लाने और आधुनिक बाजार के रुझानों के अनुरूप काम करने की विशेष जानकारी दी जा रही है. इसका उद्देश्य उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा के लिए सक्षम बनाना है. प्रशिक्षण अवधि के दौरान सभी प्रतिभागी शिल्पकारों को नाश्ता, भोजन और आवास की सुविधा निःशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे वे पूरी तरह से प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित कर सकें. यह पहल पारंपरिक धातु शिल्प को संरक्षित करने, शिल्पकारों की आय में वृद्धि करने और ‘वोकल फॉर लोकल’ एवं ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.