मुख्यमंत्री की योजनाओं से बदल रही जिंदगियां, उद्यमी भर रहे ऊंची उड़ान

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मुख्यमंत्री की योजनाओं ने बिहार में युवाओं, महिलाओं और जरूरतमंदों को आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया है. मुख्यमंत्री उद्यमी योजना जैसी पहलों से लोग न सिर्फ अपने सपने साकार कर रहे हैं, बल्कि दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं.

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बिहार सरकार की योजनाएं अब केवल कागज़ों तक सीमित नहीं रह गई हैं, बल्कि जमीनी स्तर पर आम लोगों के जीवन में बड़े बदलाव ला रही हैं. शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और युवा उद्यमिता के क्षेत्र में हो रहे सकारात्मक परिवर्तन इसका प्रमाण हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूरदर्शिता से बनाई गई योजनाएं राज्य के गांव-गांव तक पहुंच रही हैं और लोगों को आत्मनिर्भर बना रही हैं.

इसी कड़ी में उद्योग विभाग द्वारा संचालित मुख्यमंत्री उद्यमी योजना ने कई युवाओं को अपने पैरों पर खड़ा होने का अवसर दिया है. गोपालगंज जिले के तीन युवा उद्यमियों की कहानियां इस योजना की सफलता का सजीव उदाहरण हैं.

रीमा देवी: जूते-चप्पलों में खड़ी की अपनी पहचान

गोपालगंज की रीमा देवी ने “रीमा एंटरप्राइजेज” के नाम से पीआरपी फुटवियर ब्रांड की शुरुआत की. आर्थिक तंगी के कारण जो सपना अधूरा था, वह मुख्यमंत्री उद्यमी योजना से मिले वित्तीय सहयोग से साकार हुआ. आज उनके बनाए टिकाऊ और किफायती जूते-चप्पल पूरे जिले में लोकप्रिय हैं. वे कहती हैं, “गुणवत्ता, मेहनत और सरकार का सहयोग मेरी सफलता की कुंजी रहे हैं.”

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विषंबर कुमार: सरसों तेल के शुद्ध उत्पादन से मिली पहचान

विषंबर कुमार ने योजना के तहत 10 लाख रुपये की सहायता प्राप्त कर शुद्ध सरसों तेल उत्पादन शुरू किया. उन्होंने बताया, “बाजार में शुद्ध तेल की कमी थी. योजना से मुझे मशीनें और संसाधन मिले, जिससे ऑयल मिल की शुरुआत हो सकी. अब मैं गोपालगंज के साथ-साथ सिवान, छपरा और मोतिहारी तक अपने उत्पाद पहुंचा रहा हूं.”

भागीरथी कुमार: फैशन के साथ रोजगार भी

कटैया प्रखंड के भागीरथी कुमार गुप्ता ने रेडीमेड गारमेंट्स की यूनिट शुरू कर न केवल खुद को स्थापित किया, बल्कि कई लोगों को रोजगार भी दिया. उन्होंने फैशन की मांग को समझते हुए उचित मूल्य पर अच्छी गुणवत्ता वाले कपड़े बाजार में उपलब्ध कराए. मुख्यमंत्री उद्यमी योजना की मदद से शुरू हुआ उनका व्यवसाय आज गोपालगंज में लोकप्रिय है.

विवाह सहायता योजना बनी संबल

वहीं, गोपालगंज के प्रभुनाथ शर्मा को विवाह सहायता योजना के तहत 50,000 रुपये की मदद मिली, जिससे उन्होंने अपनी बेटी की शादी संपन्न की. पहले वे बिहार भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में पंजीकृत थे, लेकिन योजनाओं की जानकारी नहीं थी. सही समय पर मिली जानकारी और सहायता ने उनके जीवन में उम्मीद की नई किरण जगा दी.

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