बिहार में मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना और सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण बनी सशक्तिकरण की मिसाल
बिहार की बेटियों को शिक्षा से नौकरी तक मिल रहा साथ। कन्या उत्थान योजना और 35% आरक्षण बना बेटियों के सशक्तिकरण की मिसाल.
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यदि आप से कोई ये कहे कि अमुक प्रदेश में बेटियों के जन्म पर धनवर्षा होती है! तो आप जरूर आश्यर्च में पड़ जाएंगे, लेकिन ये कोई अतिश्योक्ति नहीं है. जी, हां, ये बात सोलह आने सच है. दरअसल, बिहार वो प्रदेश है जहां बेटियों के जन्म पर परिवार पर धन की वर्षा शुरू हो जाती है! जो बेटियों के ग्रेजुएशन करने तक जारी रहती है लेकिन इसके बाद बेटियों को सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी देकर उन्हें भी धनवर्षा के लायक बना दिया है.
बिहार वो प्रदेश है जिसने कभी बेटियों के लिए वो दौर भी देखा है, जब बेटियों के जन्म पर अभिभावकों के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आती थीं. मगर अब बिहार में बेटियों का जन्म चिंता का सबब नहीं रहा बल्कि लक्ष्मी का आगमन बन गया है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बिहार सरकार ने मां-बाप की इस परेशानी को पूरी तरह खत्म कर दिया है.
बेटी के जन्म पर ऐसे शुरू होती है ‘धनवर्षा’!
बिहार सरकार की ओर मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत बेटियों को विभिन्न चरणों में यह सहायता दी जाती है. सबसे पहले जन्म के समय 2000 रुपये की राशि दी जाती है. एक वर्ष बाद बेटी के 1 वर्ष की उम्र पर (आधार पंजीकरण के समय) 1,000 रुपये देने का प्रावधान किया गया है. ताकि अभिभावकों को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो.
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बेटी के 2 साल की उम्र पर टीकाकरण पूरा होने पर एक बार फिर 2,000 हजार रुपए की राशि दी जाती है. बेटी के स्कूल में नामांकन के समय से लेकर 12वीं तक पढ़ाई के दौरान सरकार की ओर से पोशाक और सेनेटरी पैड्स के लिए सहायता भी दी जाती है.
इंटरमीडिएट पास करने वाली अविवाहित बेटियों को बिहार सरकार की ओर से एक मुश्त 25,000 रुपये की राशि दी जाती है. जो बेटियों को प्रोत्साहित करने का काम भी करती हैं और अभिभावकों के ऊपर बेटियों के शिक्षा के बोझ को भी कम करती है. इसके बाद स्नातक उत्तीर्ण करने वाली अविवाहित छात्राओं को 50,000 हजार रुपए की एक मुश्त राशि फिर से दी जाती है. इस तरह बेटी के जन्म से स्नातक की पढ़ाई तक कुल 94,100 रुपए की सहायता राशि दी जाती है.
बालिका पोशाक एवं साइकिल योजना बनी मिसाल
नीतीश सरकार की ओर से बेटियों को आगे बढ़ाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. बेटियों के जन्म से लेकर उन्हें स्कूल तक पहुंचाने से तक और उनके लिए पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था करने से लेकर उन्हें ग्रेजुएट बनाने तक का इंतेजाम किया जा रहा है. इतना ही नहीं, बेटियों को स्कूल से जोड़ कर प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना और मुख्यमंत्री साइकिल योजना भी चलाई जा रही है.
शिक्षा और नौकरी में आरक्षण देकर बेटियों को बनाया धनवर्षा के लायक
बिहार सरकार की ओर से बेटियों को मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में 33% आरक्षण दिया जा रहा है. प्राथमिक शिक्षक नियोजन में 50% के आरक्षण की व्यवस्था की गई है. सभी सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण (केवल बिहार की महिलाओं के लिए) का प्रावधान कर दिया गया है.
पुलिस विभाग में भी महिलाओं को 35% आरक्षण दिया गया है. जिसका नतीजा ये है कि बिहार में अब तक 30,000 से अधिक महिला पुलिसकर्मी सेवा में हैं. जिसका नतीजा है कि बिहार ऐसा प्रदेश जहां महिला पुलिसकर्मी सबसे ज्यादा हैं.
आत्मनिर्भर बन रही हैं बिहार की बेटियां
राज्य सरकार की योजनाओं का असर साफ दिख रहा है. अब बिहार की बेटियां न सिर्फ पढ़-लिख रही हैं, बल्कि समाज में सशक्त भूमिका भी निभा रही हैं. बल्कि बिहार सरकार के प्रयासों का नतीजा है कि यहां बेटियों के जन्म पर खुशी मनाई जा रही है. सरकार की ओर से शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशासन और सुरक्षा दिए जा रहे हैं.