चिराग पासवान के कंधे पर यूं ही नहीं रखा नीतीश कुमार ने हाथ, 2025 के लिए है ये प्लान
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिस तरह से चिराग पासवान के कंधे पर हाथ रखा हुआ है, वो बताने के लिए काफी हैं कि दोनों नेताओं के बीच अब सब ठीक है. नीतीश कुमार का यह हाथ विश्वास वाला हाथ और कंधा चिराग का यह बताता है कि हेलीकॉप्टर कितना भी ऊपर उड़ ले उसे अनुभव के सहारे ही आगे बढ़ना है.
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिस तरह से चिराग पासवान के कंधे पर हाथ रखा हुआ है, वो बताने के लिए काफी हैं कि दोनों नेताओं के बीच अब सब ठीक है. नीतीश कुमार का यह हाथ विश्वास वाला हाथ और कंधा चिराग का यह बताता है कि हेलीकॉप्टर कितना भी ऊपर उड़ ले उसे अनुभव के सहारे ही आगे बढ़ना है.
नीतीश कुमार और चिराग पासवान के राजनीतिक तौर पर नजदीक आने के पीछे कई वजहें हैं. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि चिराग पासवान ने हर मोर्चे पर खुद को साबित किया और नीतीश कुमार का बिहार की राजनीति में अभी भी कोई सानी नहीं. एक तस्वीर सामने आई जो लोक जनशक्ति पार्टी के कार्यालय की है जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के जनक स्वर्गीय रामविलास पासवान को श्रद्धांजलि देने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहुंचे थे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और चिराग पासवान के बीच की बॉडी लैंग्वेंज यह बताती है कि दोनों नेताओं के बीच अब कोई गिले शिकवे नहीं हैं.
चिराग पासवान ने की नीतीश कुमार की तारीफ
चिराग पासवान के ऑफिस पर लोक जनशक्ति पार्टी के स्थापना दिवस पर एनडीए के तमाम सहयोगी पहुंचे थे. इस मौके पर चिराग पासवान ने नीतीश कुमार की खूब तारीफ की. चिराग पासवान के कहा कि 'लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना दिवस पर जेडीयू, बीजेपी और एनडीए के हमारे मुखिया नीतीश कुमार आए थे. इससे यह लगता है की आने वाले चुनाव में एनडीए एकजुट होकर चुनाव लड़ेगी और 225 सीटों को हम जीतेंगे'
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इतिहास की भूल से सीखें हैं चिराग और नीतीश
लोकसभा चुनाव 2024 के बाद चिराग पासवान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नजदीकी बढ़ी हैं. चिराग पासवान भी यह मानने लगे हैं कि बिहार की राजनीति में बने रहना है तो बिना नीतीश कुमार यह संभव नहीं है और नीतीश कुमार भी चिराग की ताकत 2020 के विधानसभा चुनाव में ही देख चुके हैं. जब चिराग पासवान की पार्टी एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ी थी और जेडीयू को बहुत बड़ा नुकसान दिया था.
चिराग पासवान की पार्टी के चुनाव लड़ने के वजह से नीतीश कुमार की पार्टी तीसरे नंबर पर आ गई थी और उनके 21 उम्मीदवार चिराग की वजह से चुनाव हार गए. अब विधानसभा चुनाव एक बार फिर से नजदीक हैं ऐसे में दोनों नेता एक दूसरे पर विश्वास का हाथ रखकर आगे बढ़ना चाहते हैं जिससे इस बार की जीत बड़ी हो.
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