हरियाणा का जाट कैसे बना IITian बाबा, पहली बार परिवार ने खोले सारे राज
प्रयागराज के महाकुंभ में सोशल मीडिया पर छाए झज्जर के IITian बाबा अभय सिंह का मूल रूप से पैतृक गांव सासरौली हैं. इनके पिता पेशे से वकील हैं और झज्जर बार के प्रधान भी रह चुके हैं.
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प्रयागराज के महाकुंभ में सोशल मीडिया पर छाए झज्जर के IITian बाबा अभय सिंह का मूल रूप से पैतृक गांव सासरौली हैं. इनके पिता पेशे से वकील हैं और झज्जर बार के प्रधान भी रह चुके हैं. अभय सिंह के सांसारिक और भोग वस्तुओं का त्याग कर अध्यात्म का रास्ता अपनाने की जानकारी उनके पिता कर्ण सिंह को सोशल मीडिया के माध्यम से ही मिली.
पिता ने बताई अभय सिंह के संन्यासी बनने की कहानी
अभय सिंह का जन्म झज्जर जिले के सासरौली गांव में ग्रेवाल गोत्र के जाट परिवार में हुआ और वर्तमान में उनकी उम्र लगभग 34 साल है. अभय सिंह बचपन से पढ़ाई में अव्वल रहा लेकिन दुनियादारी में उसकी रुचि शुरू से नहीं थी. शुरुआती पढ़ाई झज्जर जिले से ही हुई. परिवार IIT की कोचिंग के लिए उसे कोटा भेजना चाहता था लेकिन अभय सिंह ने कहा कि वो दिल्ली में ही कोचिंग करेगा.

कोचिंग के बाद अभय सिंह ने IIT Exam Crack कर लिया और IIT Bombay में उसका एडमिशन हो गया. IIT Bombay से Aerospace Engineering की पढ़ाई पूरी करने के बाद परिवार ने अभय सिंह को कनाडा भेज दिया, जहां उसकी छोटी बहन पहले से रहती थी. कनाडा में अभय सिंह ने कुछ समय तक एक एरोप्लेन बनाने वाली कंपनी में काम किया, उसके बाद जब लॉकडाउन लगा तो अभय सिंह कनाडा में ही फंस गया. अध्यात्म में तो उसकी बचपन से ही रुचि थी लेकिन लॉकडाउन ने उसको खुद की लाइफ के साथ एक्सपेरिमेंट करने के और करीब लाकर खड़ा कर दिया.
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शादी की बातें नहीं थी पसंद
अभय सिंह के पिता आगे बताते हैं कि लॉकडाउन के बाद वो भारत वापस आ गया और फोटोग्राफी करने लगा, घर में ध्यान लगाने लगा. परिवार सांसारिक जीवन में आगे बढ़ने या शादी-ब्याह की बात करता तो उसको अच्छा नहीं लगता था. अभय सिंह को घूमने का बहुत शोक है, वो केरल और उज्जैन भी घूम चुका है. करीब 11 महीने पहले उसने परिवार से पूरी तरह संपर्क तोड़ लिया और बाहर ही रहने लगा. परिवार के लोगों ने उस से सम्पर्क करने की कोशिश की तो उसने 6 महीने पहले अपने पिता, मां, बहन आदि सब का नंबर ब्लॉक कर दिया.

बेटे को वापस परिवार में लाने पर क्या बोले पिता कर्ण सिंह?
अभय सिंह के पिता से जब पूछा गया कि क्या वो अपने बेटे को वापस परिवार के साथ आने की अपील करेंगे? इस पर वो कहते हैं कि मैं अपील तो कर दूंगा लेकिन इस से उसको तकलीफ होगी, अब उसने जो निर्णय ले लिया वो ही सही है. हालांकि इकलौते बेटे के यूं संन्यासी बन जाने से उसकी मां खुश नहीं है, पिता अभय सिंह मां का हाल बताते हुए रोने लगते हैं.
बाबा अभय सिंह ने अपने परिवार को लेकर बताई थी ये बात
अभय सिंह से महाकुंभ मेले में जब हमारे संवाददाता कुमार अभिषेक ने परिवार को लेकर सवाल किया तो उनका कहना था कि परिवार का माहौल तो अलग ही था, वो जो करना चाहते थे परिवार को वो पसंद नहीं था. परिवार से दूर जाने के लिए ही IIT Bombay में पढ़ाई की थी. मेरे घरवाले वही शादी-ब्याह की बात करते हैं जिसमें मेरी कोई रुचि नहीं है, मैं हमेशा से घर से भाग जाना चाहता था.