उधार के सहारे होंगी चुनावी घोषणाएं? सरकार ने लिया इतना लोन कि हर व्यक्ति हुआ 50000 का कर्जदार
MP Election 2023: मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों से पहले मध्यप्रदेश सरकार अपनी लोक-लुभावन योजनाओं के क्रियान्यवन के लिए बार-बार कर्ज ले रही है. फिलहाल मध्यप्रदेश 3 लाख 31 हजार 651 करोड़ 7 लाख रुपए के कर्ज तले दबा हुआ है. मध्यप्रदेश का बजट इस कर्ज से भी कम है, हैरानी की बात ये है कि […]
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MP Election 2023: मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों से पहले मध्यप्रदेश सरकार अपनी लोक-लुभावन योजनाओं के क्रियान्यवन के लिए बार-बार कर्ज ले रही है. फिलहाल मध्यप्रदेश 3 लाख 31 हजार 651 करोड़ 7 लाख रुपए के कर्ज तले दबा हुआ है. मध्यप्रदेश का बजट इस कर्ज से भी कम है, हैरानी की बात ये है कि बीते तीन महीनों के अंदर ही मध्यप्रदेश सरकार ने 7 हजार करोड़ रूपये का कर्ज लिया है. इस कर्ज को लेकर विपक्ष सरकार पर कई आरोप लगा रहा है. उन्होंने कहा ‘अपना चेहरा मोदी जी का चेहरा ओर सरकारी पैसा ,कर्जा ले लेकर प्रचार कर रहे हैं’.
आपको बता दें कि एमपी सरकार पर साल 2023-24 के वित्तीय वर्ष में 3.31 लाख करोड़ का कर्ज है. जिसका ब्याज ही करीब 24000 करोड़ रुपये होता है, और इस हिसाब से देखा जाये तो एमपी का प्रति व्यक्ति 50000 रुपये का कर्जदार है. मई 2023 से लेकर सितंबर 2023 तक सरकार ने 7 हज़ार करोड़ का कर्जा लिया है
चुनावी साल की प्रमुख घोषणाएं
मध्यप्रदेश में चुनावी साल है, यही कारण है कि सरकार आए दिन नई-नई घोषणाएं कर रही है. इन घोषणाओं के क्रियान्वयन के लिए सरकार को लगातार कर्ज का सहारा लेना पड़ रहा है. इस पूरे साल की बात करें तो अभी तक सीएम शिवराज कुल 23 हजार करोड़ की नई घोषणाएं कर चुके हैं. तो वहीं सीएम शिवराज की गेम चेंजर मानी जाने वाली लाड़ली बहना योजना पर सालाना 10 हजार करोड़ रूपए खर्च होंगे. अब इन घोषणाओं को चुनावी साल में पूरा करने के लिए सरकार आंख बंद करके लगातार कर्जा उठा रही है.
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कब-कब लिया कर्ज
मई 2023: 2000 करोड़
जून 2023: 4000 करोड़
सितंबर 2023: 1000 करोड़
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किन घोषणाओं पर कितना पैसों का खर्च?
इस समय मध्यप्रदेश घोषणाओं और योजनाओं का प्रदेश बन चुका है. ऐसा कोई दिन नहीं जिस दिन सीएम शिवराज कोई चुनावी घोषणा न कर रहे हों. इन घोषणाओं का क्या पूरा खर्चा जानते हैं. सीएम शिवराज के गेम चेंजर मानी जाने वाली लाड़ली बहना योजना पर सालाना 10 हजार करोड़ रूपए खर्च होगें.
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इसके अलावा प्रदेश के 87 लाख किसानों को मिलने वाली सम्मान निधि 4 हजार से बढ़ाकर 6 हजार रुपए की गई. इससे सरकारी खजाने पर 1750 करोड़ का सालाना अतिरिक्त बोझ आया बढ़ा है. पिछले दिनों सरकार ने कक्षा 12वीं के 78,641 मेधावी छात्र-छात्राओं के खाते में 25-25 हजार रुपए लैपटॉप के डाले. इससे सरकार पर 196 करोड़ 60 लाख रुपए का बोझ आया है.
सरकार की तरफ से 7800 मेधावी छात्रों को स्कूटी दी गई और इसका कुल बजट करीब 80 करोड़ रहा है, तो वहीं मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना का बजट 50 रूपये बढ़ा है. क्योंकि इस योजना के तहत अब बुजुर्ग तीर्थ यात्रियों को ट्रेन के बजाए हवाई जहाज से तीर्थ यात्रा कराई जाएगी.
प्रदेश के युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने का दावा करने वाली सीखो कमाओ योजना के लिए प्रदेश सरकार को 1000 करोड़ का बजट लगा है. इसके अलावा पीएम मातृ वंदन योजना 476 करोड़ का बजट लगा है. इन चुनावी घोषणाओं के कारण सरकारी खजाना खाली तो हुआ ही उसके साथ कर्ज और उसके ब्याज का बोझ भी झेलना पड़ रहा है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने साधा निशाना
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने मध्यप्रदेश सरकार द्वारा लगातार लिए जा रहे कर्ज को लेकर कहा, “हमे इस बात का दुख है और गुस्सा है, कि जो जनता के हित में लगना चाहिए वो शिवराज सिंह जी अपने विज्ञापनों पर खर्च कर रहे है. रोज फुल पेज एडवरटाइज मेन्ट ,अपना चेहरा मोदी जी का चेहरा ओर सरकारी पैसा ,कर्जा ले लेकर प्रचार कर रहे है. हम तो चाहेंगे कि माननीय चुनाव आयोग इसका संज्ञान में लें. ये लोग कर्जा ले लेकर कमीशन खा रहे हैं और अपनी सम्पत्ति जुटा रहे हैं.
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