लाड़ली को ‘लक्ष्मी’ बनाने वाली वह योजना, जिसने बदल दी बेटियों की तकदीर, CM हाउस में जश्न
Ladli Laxmi Yojana: एक समय था जब बेटी के पैदा होने पर घर में मातम की स्थिति निर्मित हो जाती थी, माता-पिता के चेहरे पर चिंता की लकीरें छा जाती थी लेकिन आज स्थिति एकदम उलट है. लोग लड़की को बोझ मानते थे, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार का मकसद था कि लड़की को बाझ न […]
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Ladli Laxmi Yojana: एक समय था जब बेटी के पैदा होने पर घर में मातम की स्थिति निर्मित हो जाती थी, माता-पिता के चेहरे पर चिंता की लकीरें छा जाती थी लेकिन आज स्थिति एकदम उलट है. लोग लड़की को बोझ मानते थे, लेकिन मध्य प्रदेश सरकार का मकसद था कि लड़की को बाझ न समझा जाए, बल्कि वह लक्ष्मी मानी जाए, इसी मकसद के साथ प्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी योजना की शुरुआत की गई थी. आज इस योजना को 16 वर्ष पूरे हो गए हैं, इसका जश्न मनाया जा रहा है.
आज प्रदेश में बेटी के पैदा होने पर मातम नहीं जश्न मनाया जाता है. स्थितियों को पलटने और लोगों की मानसिकता को बदलने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है लाड़ली लक्ष्मी योजना ने. आज इस योजना ने 16 साल पूरे कर लिए हैं. आज ही के दिन 2007 में इस योजना को शुरू किया गया था. इस योजना के जरिए बेटियों के भविष्य की नींव को मजबूत कर और उनकी शैक्षिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाने की दिशा में क्रांति आई है.
कैसे हुई लाड़ली लक्ष्मी की शुरुआत
मध्य प्रदेश की आईएएस अधिकारी कल्पना श्रीवास्तव लाड़ली लक्ष्मी योजना के लॉन्च के समय महिला एवं बाल विकास विभाग की कमिश्नर थी. उन्हीं के अंडर में यह पूरी योजना बनाई गई और क्रियान्वयन किया गया था. आईएएस कल्पना श्रीवास्तव ने बताया कि जब हम यह योजना प्रारंभ कर रहे थे तो जब योजना की परिकल्पना की गई तो नाम रखा लाड़ली और लक्ष्मी. क्योंकि लड़की लाड़ली है और लक्ष्मी भी. लोग लड़की को बोझ मानते थे, लेकिन योजना का मकसद था कि लड़की को लखपति बनाएंगे, ताकि वह बोझ ना समझी जाए वह लक्ष्मी मानी जाए. घर में उसका स्वागत किया जाए.
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लाड़ली का लक्ष्मी की तरह हो स्वागत
लाड़ली लक्ष्मी योजना में अहम भूमिका निभाने वाली आईएएस अधिकारी कल्पना श्रीवास्तव ने बताया कि पहले वर्ष में हमने इसके लिए 30 करोड़ का बजट रखा था. उसमें एनएससी (राष्ट्रीय बचत पत्र) से करते थे. पूरा कार्यक्रम महिला बाल विकास विभाग के कमिश्नर की देखरेख में होता था. मॉनिटरिंग और अप्रूवल भी कमिश्नर को ही करना होता था. हमारी टीम ने योजना की लॉन्चिंग के बाद 3 साल तक मेहनत कर इस योजना को गांव-गांव तक पहुंचाया. जिसके बाद हर घर में इसका नाम हो गया की एक लाड़ली लक्ष्मी है और लक्ष्मी का स्वागत किया जाना शुरू हुआ.
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क्या हैं योजना के लाभ?
इस योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा हर साल लड़की के नाम पर 6000 मूल्य राशि के राष्ट्रीय बचत पत्र प्रमाण पत्र खरीदे जाते हैं. जो उसके जन्म के बाद 30000 तक पहुंच जाते हैं. जब लड़की छठी क्लास में एडमिशन लेती है तो 2000, नवीं क्लास में एडमिशन लेने पर 4000 और 11वीं क्लास में एडमिशन लेने पर 7500 दिए जाते हैं. वहीं 11वीं और 12वीं क्लास में पढ़ाई के दौरान उसे हर महीने 200 रुपये दिए जाते हैं और जब लड़की 21 वर्ष की उम्र की हो जाती है और 18 वर्ष की आयु से पहले उसकी शादी नहीं की जाती तो उसे एकमुश्त एक लाख रुपये की राशि का भुगतान किया जाता है.
योजना से आया बड़ा बदलाव
मध्य प्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत अभी तक 44 लाख 85 हजार से अधिक लड़कियां पंजीकृत हो चुकी हैं. इनके 21 साल उम्र पूरी करने पर प्रत्येक को 1 लाख 43 हजार रुपये मिलेंगे. अगर छत्रवृत्ति की बात की जाए तो अभी तक 366 करोड़ रुपए की राशि छात्रवृत्ति के रूप में बेटियों को दी जा चुकी है. इस योजना से लड़कियों की जन्म दर पर भी काफी असर पड़ा है. जहां पहले 1000 बेटों पर बेटियों की जन्मदर 911 थी, वहीं अब यह बढ़कर 956 हो गई है. इसके साथ ही लिंगानुपात में भी काफी सुधार आया है. जहां पहले यह 948 था, वहीं अब बढ़कर 970 प्रति हजार हो गया है.
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लाड़ली लक्ष्मी योजना का मकसद
इस योजना के पीछे दो-तीन तरह के मकसद थे. पहला ऑब्जेक्टिव था कि लड़कियों को मारने की परंपरा थी, उसको कम करना. दूसरा लड़की का स्वास्थ्य- जब पैदा होती है तो देखरेख के अभाव में बचती नहीं है उसकी मृत्यु दर को रोकना, तीसरा यह है कि जनसंख्या पर भी इस योजना से कहीं ना कहीं नियंत्रण हो रहा था. चौथा जब लड़की बड़ी हो रही थी तो उसकी पढ़ाई- हमने इसकी जो स्कॉलरशिप रखी थी, वह यह देख कर रखी थी कि मैक्सिमम जो लड़कियां स्कूल छोड़ रही थीं वह पांचवी में आठवीं में और 12वीं में मैं स्कूल छोड़ रही थीं. हमने इन तीनों क्लासेस में स्कॉलरशिप शुरू की थी. उसके बाद जब शादी करेगी तभी उसको 1 लाख रुपये मिलेंगे.
ई-लाड़ली बनाया
आईएएस अधिकारी कल्पना श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया कि पहले साल में 30000 लड़कियां थीं, अब 4800000 हो गई हैं. हमने जब पहले वर्ष में योजना शुरू की थी, उस समय जो भी नई योजना होती थी, उसके क्रियान्वयन में जो कठिनाई आती थी, उस पर हमने बहुत काम किया. योजना का संचालन ठीक तरह से हो जाए लड़की का रिकॉर्ड कीपिंग एनएससी का ग्रोथ का उसको लेकर हमने ई- लाड़ली बनाया. उसमें हमने पूरा ट्रैक किया कि लड़कियों को लाड़ली लक्ष्मी में लड़की के पैदा होने से लेकर के पढ़ाई-लिखाई और स्कॉलरशिप, जो भी जा रही थी उसको ट्रैक किया. जिसके लिए मुझे अवार्ड भी मिला. उसी से जुड़े चाइल्ड मैरिज को रोकने का अभियान चलाया. जिसको लाड़ो अभियान नाम दिया था, उसके ला.
सीएम हाउस में मनाया गया लाडली उत्सव
लक्ष्मी योजना के 16 साल पूरे होने पर सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा सीएम हाउस में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम से पहले सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बेटियों के साथ पौधारोपण किया. सीएम शिवराज ने कार्यक्रम में मौजूद बेटियों पर गुलाब के फूलों की वर्षा की. कार्यक्रम को लाडली लक्ष्मी उत्सव नाम दिया गया है. इसमें भोपाल शहर की 1100 लड़कियां और माता-पिताओं को आमंत्रित किया गया था. कार्यक्रम में भोपाल के अलावा सीहोर, विदिशा, राजगढ़ और रायसेन से भी 100-100 लड़कियों को बुलाया गया था. कुल मिलाकर कार्यक्रम में 2000 लाड़ली लक्ष्मियां मौजूद रहीं. लाड़ली लक्ष्मी उत्सव में ग्राम पंचायतों को पुरस्कार वितरित किए गए और आश्वासन प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया.
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