2018 के चुनाव में हारे थे MP के 12 से अधिक मंत्री, इस बार क्या होगा हाल, जानें
मीडिया के कई प्लेटफॉर्म पर उन मंत्रियों की चर्चा शुरू हो गई है, जिनको 2018 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. बीजेपी के इन हारे हुए मंत्रियों की चर्चा के जरिए लोग सवाल खड़े कर रहे हैं कि क्या इस बार के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के कुछ मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ सकता है.
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MP Election 2023: मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव का रिजल्ट 3 दिसंबर को सामने आना है. लेकिन कयासों के दौर जारी हैं. कोई बीजेपी को तो कोई कांग्रेस को जीतता हुआ बता रहा है. इस बीच मीडिया के कई प्लेटफॉर्म पर उन मंत्रियों की चर्चा शुरू हो गई है, जिनको 2018 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. बीजेपी के इन हारे हुए मंत्रियों की चर्चा के जरिए लोग सवाल खड़े कर रहे हैं कि क्या इस बार के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के कुछ मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ सकता है.
हालांकि सीएम शिवराज सिंह चौहान एक कार्यक्रम में इन सभी कयासों को खारिज कर रहे हैं. सीएम शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि अब बीजेपी और कांग्रेस के बीच कोई कांटे का मुकाबला नहीं है. बीजेपी के सभी कांटे चुनाव में हारेंगे यानी कांग्रेस की हार होगी और बीजेपी आसानी से सरकार बना लेगी.
लेकिन सीएम शिवराज सिंह चौहान के दावों को पूर्व मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ कमलनाथ खारिज करते हैं और आरोप लगाते हैं कि बीजेपी सत्ता, पुलिस, धन की पावर से चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है.
खैर, यहां हम आपको बता रहे हैं, उन मंत्रियों के बारे में जो 2018 के विधानसभा चुनाव में हार गए थे और उसके बाद कई मंत्रियों को बीजेपी में भी साइडलाइन कर दिया गया था, जो अब तक साइडलाइन ही हैं तो कुछ की वापसी बीजेपी की मुख्यधारा में हो गई थी, वहीं इन हारे हुए मंत्रियों में से कुछ बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस में चले गए.
2018 के विधानसभा चुनाव में ये मंत्री हारे थे
अर्चना चिटनिस, उमाशंकर गुप्ता, ललिता यादव, जयंत मलैया, शरद जैन, अंतर सिंह आर्य, जयभान सिंह पवैया, लाल सिंह आर्य, रुस्तम सिंह, दीपक जोशी, नारायण सिंह कुशवाहा, ओमप्रकाश धुर्वे, बालकृष्ण पाटीदार जैसे मंत्री 2018 के चुनाव में हार गए थे. इनमें से अर्चना चिटनिस, जयंत मलैया, अंतर सिंह आर्य, लाल सिंह आर्य, नारायण सिंह कुशवाहा जैसे नेताओं को बीजेपी ने दोबारा से टिकट देकर चुनाव लड़ाया है. वहीं रुस्तम सिंह, दीपक जोशी जैसे नेता बीजेपी में उपेक्षा किए जाने के आरोप लगाकर कांग्रेस और बसपा में चले गए. दीपक जोशी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ रहे हैं.
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अब देखना होगा कि इन हारे हुए मंत्रियों में से जो फिर से चुनावी मैदान में उतरे हैं, उन पर मध्यप्रदेश की जनता ने क्या इस बार ऐतबार जताया है. क्या इस बार उनको मौका मिलेगा या एक बार फिर से वे चुनाव हारेंगे तो उसके लिए तीन दिसंबर का इंतजार करना होगा.
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