वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक का हार्ट अटैक से निधन, इंदौर में होगा अंतिम संस्कार

एमपी तक

Senior journalist Dr. Vedpratap Vaidik died: मातृभाषा उन्नयन संस्थान के संरक्षक, वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक का हार्ट अटैक से निधन हो गया. उन्होंने दिल्ली स्थित निज निवास में अंतिम सांस ली, उनका अंतिम संस्कार इंदौर किया जाएगा. डाॅ. वैदिक करीब 78 साल के थे. बताया जा रहा है कि वह मंगलवार सुबह नहाने के […]

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Senior journalist Dr Vedpratap Vaidik died of heart attack breathed his last in Delhi
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Senior journalist Dr. Vedpratap Vaidik died: मातृभाषा उन्नयन संस्थान के संरक्षक, वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक का हार्ट अटैक से निधन हो गया. उन्होंने दिल्ली स्थित निज निवास में अंतिम सांस ली, उनका अंतिम संस्कार इंदौर किया जाएगा. डाॅ. वैदिक करीब 78 साल के थे. बताया जा रहा है कि वह मंगलवार सुबह नहाने के समय बाथरूम में गिर गए और बेसुध हो गए थे. काफी देर तक बाहर न आने के बाद परिजनों ने दरवाजा तोड़ा और उन्हें बाहर निकाला. इसके बाद तत्काल उन्हें नजदीक में ही प्रतीक्षा अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

डाॅ. वेदप्रताप वैदिक की गणना उन राष्ट्रीय अग्रदूतों में होती है, वह सही मायने में हिंदी के योद्धा थे, जिन्होंने हिंदी को मौलिक चिंतन की भाषा बनाया और भारतीय भाषाओं को उनका उचित स्थान दिलवाने के लिए सतत संघर्ष और त्याग किया था. महर्षि दयानंद, महात्मा गांधी और डाॅ. राममनोहर लोहिया की महान परंपरा को आगे बढ़ाने वाले योद्धाओं में वैदिकजी का नाम अग्रणी है.

पत्रकारिता, राजनीतिक चिंतन, अंतरराष्ट्रीय राजनीति, हिंदी के लिए अपूर्व संघर्ष, विश्व यायावरी, प्रभावशाली वक्तृत्व, संगठन-कौशल आदि अनेक क्षेत्रों में एक साथ मूर्धन्यता प्रदर्षित करने वाले अद्वितीय व्यक्तित्व के धनी डाॅ. वेदप्रताप वैदिक का जन्म 30 दिसंबर 1944 को इंदौर में हुआ था. वे रूसी, फारसी, जर्मन और संस्कृत के भी जानकार थे. उन्होंने अपनी पीएचडी के शोधकार्य के दौरान न्यूयार्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी, मास्को के ‘इंस्तीतूते नरोदोव आजी’, लंदन के ‘स्कूल ऑफ ओरिंयटल एंड अफ्रीकन स्टडीज़’ और अफगानिस्तान के काबुल विश्वविद्यालय में अध्ययन और शोध किया था.

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वैदिक जी ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के ‘स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज’ से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की थी. वे भारत के ऐसे पहले विद्वान थे, जिन्होंने अपना अंतरराष्ट्रीय राजनीति का शोध-ग्रंथ हिन्दी में लिखा था.

पिछले 60 सालों में लिखे हजारों लेख 
वे लगभग 10 वर्षों तक पीटीआई भाषा (हिन्दी समाचार समिति) के संस्थापक-संपादक और उसके पहले नवभारत टाइम्स के संपादक (विचारक) रहे थे. फिलहाल दिल्ली के राष्ट्रीय समाचार पत्रों तथा प्रदेशों और विदेशों के लगभग 200 समाचार पत्रों में भारतीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर डाॅ. वैदिक के लेख हर सप्ताह प्रकाशित होते रहते थे.

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