MP के सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में बांटी जा रहीं अमानक दवाएं, हंगामा मचा तो लगाई गई रोक
MP Big News: मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में अमानक जीवनरक्षक दवाओं का मामला सामने आया है, जिसके बाद हंगामा मच गया है. सरकार ने अमानक पाई गई दवाओं पर रोक लगाकर जांच बैठा दी है. वहीं डॉक्टरों ने मामले में एफआईआर की मांग कर दी है.
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न्यूज़ हाइलाइट्स

मध्य प्रदेश के जिला अस्पतालों में बांटी जा रही है अमानक दवाएं

कई जिलों से जानकारी सामने आई तो लगाई गई बांटने पर रोक

स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा- दोषियों पर कार्रवाई होगी
MP Big News: मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में अमानक जीवनरक्षक दवाओं का मामला सामने आया है, जिसके बाद हंगामा मच गया है. सरकार ने अमानक पाई गई दवाओं पर रोक लगाकर जांच बैठा दी है. वहीं डॉक्टरों ने मामले में एफआईआर की मांग कर दी है. अब कांग्रेस पूछ रही है कि अमानक दवाओं की वजह से कितनों की जान गयी सरकार वो आंकड़ा जारी करे.
आमतौर पर आपने देखा होगा कि आईसीयू और ऑपरेशन थियेटर में गंभीर रूप से भर्ती मरीज़ों के लिए अकसर दवा और दुआ दोनों की जाती है. ताकि वो जल्दी से ठीक हो सके लेकिन मध्यप्रदेश में इन्हीं मरीज़ों को दी जाने वाली दवाओं को लेकर हैरान करने वाला खुलासा हुआ है. एमपी के कई सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में मरीज़ों को जो दवाईयां दी जा रही थी वो अमानक सब स्टैंडर्ड पाई गई हैं. जिससे मरीज़ों की सेहत में तो कोई सुधार नहीं हुआ बल्कि उनकी जान पर ज़रूर बन आई है.
इंदौर में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
दरअसल, इस मामले का खुलासा इंदौर में कुछ दिनों पहले हुआ, जब एक सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने पाया कि मरीजों को इलाज के तौर पर जो दवाई दी जा रही है उसका उम्मीद के मुताबिक असर नहीं हो रहा है. इसके बाद यहां के डीन ने आपूर्ति की गई दवाओं का लैब टेस्ट करवाया तो मालूम हुआ कि जीवन रक्षक दवाओं और एंटीबायोटिक्स सहित दवाओं का एक बड़ा बैच अमानक है.
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जिसके बाद एमपी पब्लिक हेल्थ सर्विस कॉर्पोरेशन को चिट्ठी लिखी गयी जिसने इन दवाओं के वितरण पर न केवल रोक लगाई बल्कि जहां-जहां दवाईयां बंट चुकी थी, वहां से उन्हें वापस बुलाने के आदेश जारी कर दिए गए. बता दें कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक और सामुदायिक स्वाथ्य केंद्रों, सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दवाएं आपूर्ति करने के लिए एमपी पब्लिक हेल्थ सर्विस कॉर्पोरेशन ही नोडल एजेंसी है.
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इंदौर के बाद देवास, धार, बैतूल और मुरैना में भी अमानक दवाएं मिली
लेकिन यह मामला सिर्फ एक शहर का नहीं निकला. इंदौर के बाद देवास, धार, बैतूल, मुरैना से भी ऐसे मामले सामने आए. सिर्फ जीवनरक्षक दवाएं ही नहीं बल्कि डायरिया और दस्त से पीड़ित बच्चों को दिए जाने वाला ओआरएस के साथ साथ कैल्शियम और विटामिन की कई दवाएं भी टेस्ट में अमानक पायी गई है.
बड़े पैमाने पर अमानक दवाओं की जानकारी सामने आने पर सरकार के भी हाथ पांव फूल गए. जिसके बाद दवा आपूर्ति करने वाले एमपी पब्लिक हेल्थ सर्विस कॉर्पोरेशन ने अमानक दवाओं के बैच की जानकारी एमपी के सभी सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों, सभी सीएमएचओ को भेज कर उन्हें ना बांटने और यदि वो दवाएं बंट गयी है तो उन्हें वापस बुलाने के निर्देश दिए हैं.
अब एमपी सरकार इस मामले में जांच की बात कह रही है. सूबे के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने एमपी तक से बात करते हुए कहा कि उन्होंने इस ममले में बैठक भी की और रिपोर्ट भी मंगवाई है. जो दोषी होगा उसपर कार्रवाई होगी.
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बता दें कि जो दवाईयां और इंजेक्शन अमानक पाए गए हैं उनका काम क्या होता है...
- Fantanyl Citrate Injection (फेंटेनाइल का उपयोग एनेस्थीसिया के लिए किया जा सकता है। यह मरीज़ के मस्तिष्क में दर्द के संकेतों को रोकने का काम करता है)
- Atropine Sulphate Injection (यह कार्डिएक अरेस्ट के मामलों में दिल की धड़कन को सामान्य करने या दोबारा शुरू करने का काम करता है)
- Heparin Injection (हेपारिन का इस्तेमाल नसों, धमनियों, फेफड़ों या दिल में खून के थक्कों के उपचार या रोकथाम के लिए किया जाता है. ओपन-हार्ट सर्जरी, डायलिसिस में इसका इस्तेमाल आम है)
कांग्रेस ने कहा- मरीजों की मौत का आंकड़ा सार्वजनिक करे सरकार
इस मामले में कांग्रेस विधायक डॉक्टर विक्रांत भूरिया ने सरकार पर भ्र्ष्टाचार के आरोप लगाते हुए पूछा है कि इन अमानक दवाओं से राज्य में अब तक कितने मरीज़ों की मौत हुई सरकार को उसका आंकड़ा सार्वजनिक करना चाहिए.
शासकीय महासंघ ने लिखी सरकार को लिखा पत्र
इस मामले में अब सरकारी डॉक्टर भी सामने आ गए हैं. डॉक्टर राकेश मालवीय, अध्यक्ष, मध्यप्रदेश शासकीय/स्वशासी चिकित्सक महासंघ ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को चिट्ठी लिख दोषियों पर एफआईआर दर्ज कर कड़ी कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा है. बहरहाल, इस मामले ने तूल पकड़ा तो है लेकिन देखना यह है कि सरकार ICU में भर्ती गंभीर मरीज़ों और ऑपरेशन थियेटर में ज़िंदगी और मौत से जूझने वाले मरीज़ों की जान के साथ खिलवाड़ के इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है.