सिंधिया ने जिस सीट को खाली किया, उस पर बीजेपी किसे भेजेगी राज्यसभा? ये नाम सबसे ज्यादा चर्चा में
Rajya Sabha elections: मप्र की एक मात्र खाली हुई राज्यसभा सीट के चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है. अब चर्चा इस बात की हो रही है कि जिस सीट को सिंधिया ने खाली किया है, उस सीट पर बीजेपी अब किसे राज्यसभा भेजेगी.
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Rajya Sabha elections: मप्र की एक मात्र खाली हुई राज्यसभा सीट के चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है. अब चर्चा इस बात की हो रही है कि जिस सीट को सिंधिया ने खाली किया है, उस सीट पर बीजेपी अब किसे राज्यसभा भेजेगी. देश भर के राज्यों की कुल 12 सीटों पर ये चुनाव होना है. मध्यप्रदेश में भी सिंधिया के लोकसभा में जाने के बाद से राज्यसभा की एक सीट खाली हो गई है, इस पर अब चुनाव होगा. निर्वाचन आयोग ने असम , बिहार , हरियाणा , मध्य प्रदेश , महाराष्ट्र , राजस्थान , त्रिपुरा , तेलंगाना , ओडिसा से खाली हुए राज्यसभा सीटो के लिए चुनाव की घोषणा की है.
बीजेपी में सिंधिया के कद के बड़े नेताओं की लंबी फेहरिस्त है. इसमें कई बीजेपी आलाकमान की ओर देख रहे हैं कि इस बार उनको राज्यसभा जाने का मौका मिल सकता है. मध्यप्रदेश बीजेपी में कई नेता हैं जो फिलहाल किसी बड़ी जिम्मेदारी के न मिलने से असंतुष्ट भी हैं. कुछ साइड लाइन किए जा चुके हैं. लेकिन सभी को उम्मीद है कि बीजेपी आलाकमान उनके बारे में विचार कर सकता है.
इनमें सबसे बड़ा नाम है नरोत्तम मिश्रा का. कभी बीजेपी के लिए ऑपरेशन लोटस की कमान संभालने वाले नरोत्तम मिश्रा दतिया विधानसभा सीट पर अपना चुनाव हार गए थे, तभी से पार्टी में वे साइड लाइन चल रहे हैं. लेकिन गृहमंत्री अमित शाह से करीबी उनका राजनीति में पुनर्वास करा सकती है.
इन नेताओं के नाम की भी चर्चा
गोपाल भार्गव एक बड़ा नाम है, जो रहली विधानसभा क्षेत्र से लगातार 9 बार से विधायक चुनकर आ रहे हैं. विधानसभा चुनाव में सीएम पद के उम्मीदवार थे लेकिन चुनाव के बाद उनको कैबिनेट मंत्री तक नहीं बनाया गया है. अब सिर्फ विधायक हैं और पार्टी नेतृत्व से नाराज हैं. बीजेपी गोपाल भार्गव जैसे कद्दावर नेता को यह जिम्मेदारी देकर उनकी नाराजगी दूर सकती है.
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यशवंत इंदापुरकर भी संघ बैकग्राउंड से आने वाले नेता हैं, जिनको लेकर बीच-बीच में ये आवाज उठी हैं कि उनको राज्यसभा में भेजा जा सकता है. लेकिन इसे लेकर फिलहाल कुछ भी स्पष्ट नहीं है. नरेंद्र सिंह तोमर गुट से आने वाले कई नेता भी इस लाइन में हैं कि उनको राज्यसभा भेजे जाने का मौका दिया जा सकता है.
जिस तरह से भिंड, मुरैना, ग्वालियर में नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने समर्थक नेताओं को लोकसभा का टिकट दिलाया और चुनाव जितवाया, ठीक उसी तरह राज्यसभा के लिए भी वे अपने किसी चहेते का नाम आगे कर सकते हैं. कुल मिलाकर अभी कई नामों की चर्चा शुरू हो गई है, देखना होगा कि बीजेपी किस नाम पर सहमत होकर उसे राज्यसभा भेजती है.