चंद्रबाबू नायडू पर ED की बड़ी मेहरबानी, लेकिन इस CM को सबक सिखाने की ठानी! जानें, पर्दे के पीछे की कहानी
Chandrababu Naidu and Revanta Reddy: MUDA जमीन के कथित घोटाले में ईडी ने कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ दो हफ्ते पहले केस दर्ज किया. वहीं तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी को फांसने के लिए 9 साल पुराने 2015 के कैश फॉर वोट केस जिंदा किया लेकिन आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू को स्किल घोटाले में क्लीन चिट दे दी.
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न्यूज़ हाइलाइट्स

ED नेे चंद्रबाबू नायडू को दी स्किल घोटाले में क्लीन चिट.

लेकिन कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों को ये लग्जरी नहीं, उन पर हैं ED की टेढ़ी निगाहें.
Chandrababu Naidu and Revanta Reddy: MUDA जमीन के कथित घोटाले में ईडी ने कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया के खिलाफ दो हफ्ते पहले केस दर्ज किया. वहीं तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी को फांसने के लिए 9 साल पुराने 2015 के कैश फॉर वोट केस जिंदा किया लेकिन आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू को स्किल घोटाले में क्लीन चिट दे दी.
पहले कर्नाटक, फिर तेलंगाना-बरसों से सुन्न पड़ी कांग्रेस में जान फूंकने वाले यही दो राज्य थे. कर्नाटक में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार ने जान लड़ाकर कांग्रेस की सरकार बनवा दी. तेलंगाना में रेवंत रेड्डी ने अकेले कमाल कर दिखाया. दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकारें प्रचंड बहुमत से चल रही है. बीजेपी से देखा तो नहीं जा रहा है. अब कुछ ऐसा हुआ है कि लगभग एक ही वक्त में दोनों सरकारों के सीएम पर भयंकर खतरा मंडरा रहा है.
आंध्र प्रदेश के सीएम और बीजेपी के मित्र चंद्रबाबू नायडू स्किल घोटाले में फंसे थे. 53 दिन जेल होकर आए. आंध्र सीआईडी के साथ-साथ ईडी जांच कर रही है. अब अचानक ईडी ने चंद्रबाबू नायडू को क्लीन चिट दे दी है. इसके उलट कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया के बाद तेलंगाना सीएम रेवंत रेड्डी के खिलाफ ईडी लगी है. कॉमन बात ये है कि तीनों सीएम दक्षिण के बड़े राज्यों के सीएम हैं और प्रचंड बहुमत से चुनाव जीतकर सीएम बने हैं.
MUDA जमीन के कथित घोटाले में ईडी ने सिद्धारमैया के खिलाफ दो हफ्ते पहले केस दर्ज किया. रेवंत रेड्डी को फांसने के लिए 9 साल पुराने 2015 के कैश फॉर वोट केस जिंदा किया है. ईडी ने दावा किया है कि रेवंत रेड्डी ने 50 लाख की अवैध कमाई की थी और इसके सबूत हैं.
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रेवंत रेड्डी पर ऐसे लगे थे आरोप
रेवंत रेड्डी के खिलाफ कैश फॉर वोट वाला केस तो है. जेल भी होकर आए. ये उस वक्त की बात है जब रेवंत रेड्डी टीडीपी के विधायक होते थे. चंद्रबाबू नायडू के बेहद करीबी होते थे. तेलंगाना में केसीआर की सरकार होती थी. विधान परिषद के चुनाव में टीडीपी उम्मीदवार नरेंद्र रेड्डी के पक्ष में नॉमिनेटेड विधायक एल्विस स्टीफेंसन का वोट 50 लाख में खरीदने का आरोप लगा. आरोप ये भी लगे कि रेवंत रेड्डी ने एल्विस को ऑफर दिया कि वो नरेंद्र रेड्डी के पक्ष में वोट करेंगे तो 5 करोड़ मिलेगा. अगर वोटिंग से गायब रहेंगे तो 3 करोड़ और यरुशलम का जाने का टिकट मिलेगा.
रेवंत रेड्डी को भेजा था जेल
तब आरोप लगने पर तेलंगाना एंटी करप्शन ब्यूरो ने रेवंत रेड्डी को गिरफ्तार करके जेल भेजा था. 30 दिन रेवंत रेड्डी जेल में रहे. अगर लगे आरोप सच भी हुए तब भी जो कुछ हुआ उसके लाभार्थी चंद्रबाबू नायडू ही थे. उनको खरोंच तक नहीं आई. रेवंत रेड्डी आज तक ईडी का केस ढो रहे हैं. आगे न जाने क्या होगा. रेवंत रेड्डी के खिलाफ एल्विस स्टीफेंसन ही शिकायतकर्ता बन गए. 2018 में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस बनाया. 2019 में रेवंत रेड्डी से पूछताछ भी हुई. उसके बाद ईडी ने जांच ठंडे बस्ते में डाल दी.
रेवंता की ऐसे हुई कांग्रेस में एंट्री
इसी कांड के बाद रेवंत रेड्डी की राजनीति 360 डिग्री घूम गई. टीडीपी छोड़कर कांग्रेस में चले गए. 2021 में कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष बना दिया. उसी साल ईडी ने चार्जशीट में रेवंत रेड्डी को आरोपी नंबर बनाया. आज तक रेवंत रेड्डी पर आरोप लगे. अभी तक आरोप साबित नहीं हुए हैं. अब 9 साल पुराने केस में नामपल्ली कोर्ट ने आरोप तय करने से पहले रेवंत रेड्डी को अपना पक्ष रखने का मौका दिया लेकिन सुनवाई वाले दिन जज के नहीं आने से मामला 14 नवंबर तक टल गया. ये मामला और जटिल इसलिए बना क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट बदलने की मांग मंजूर नहीं की. रेवंत रेड्डी को भी नसीहत दी कि इस मामले में सीएम होने के नाते दखल न करें.
कांग्रेस ने ईडी की जांच को कभी निष्पक्ष माना नहीं. राहुल गांधी डंके की चोट पर बोलते रहे कि बीजेपी ने विपक्ष को डराने के लिए ईडी, सीबीआई को छोड़ा हुआ है. जब चंद्रबाबू नायडू बीजेपी से दोस्ती करने के बाद घोटाले के केस में ईडी से क्लीन चिट पा जाते हैं तब कांग्रेस और जोर से आरोप लगाती है कि मोदी की वॉशिंग मशीन में जाने के बाद सब क्लीन हो जाते हैं.