न्यायपालिका पर खास ग्रुप बना रहा दबाव... हरीश साल्वे समेत 600 वकीलों ने CJI को लिखी चिट्ठी
सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे और पिंकी आनंद सहित भारत के 600 से अधिक वकीलों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को लिखी गई चिट्ठी चर्चा में है.
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![न्यायपालिका पर खास ग्रुप बना रहा दबाव... हरीश साल्वे समेत 600 वकीलों ने CJI को लिखी चिट्ठी CJI DY Chandrachud](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/nwtak/images/story/202403/660516295950b-cji-dy-chandrachud-28411520-16x9.jpg?size=948:533)
Letter to CJI: सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे और पिंकी आनंद सहित भारत के 600 से अधिक वकीलों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को लिखी गई चिट्ठी चर्चा में है. इस पत्र में वरिष्ठ वकीलों ने इस बात के लिए चिंता जाहिर की है कि एक खास ग्रुप न्यायपालिक पर दबाव बना रहा है और इसके निर्णयों को प्रभावित कर इसे कमजोर बनाने में जुटा है. इन वकीलों ने दावा किया है कि यह ग्रुप कोर्ट के फैसलों को प्रभावित करने के लिए दबाव की रणनीति अपना रहा है. खासकर ऐसे फैसलों के लिए जो नेताओं और उनके कथित भ्रष्टाचार के मामलों से जुड़े हुए हैं.
इस खत का शीर्षक Threat to judiciary यानी 'न्यायपालिका के लिए खतरा' रखा गया है. इसमें वकीलों ने लिखा है कि विशेष ग्रुप के ये काम लोकतांत्रिक ढांचे के लिए खतरा हैं और इससे न्यायपालिक में लोगों के भरोसे के कमजोर होने का भी खतरा है. वकीलों ने लिखा है कि यह खास तबका न्यायपालिका के कामकाज को प्रभावित करने के वाले किसी तथाकथित इसके 'गोल्डन एज' के लिए झूठे नैरेटिव गढ़ता है. ऐसा इसलिए ताकि अदालतों की मौजूदा कार्यवाहियों को बदनाम कर न्यायिक प्रक्रिया में जनता के विश्वास को कम किया जा सके.
'राजनीतिक एजेंडे के तहत कोर्ट के फैसलों की करते हैं आलोचना-तारीफ'
इस बात को लेकर भी चिंता जताई गई है कि ये ग्रुप अपने राजनीतिक एजेंडे के तहत कोर्ट के चुनिंदा फैसलों की आलोचना या सराहना करता है. यह भी लिखा गया है कि यह ग्रुप My way or Highway यानी हम जो कह रहे सिर्फ वही सही थ्योरी में विश्वास करता है. पत्र में सीधे तौर पर लिखा गया है कि, 'यह देखना परेशान करने वाला है कि कुछ वकील दिन में राजनेताओं का बचाव करते हैं और फिर रात में मीडिया के माध्यम से न्यायाधीशों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं.'
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पत्र में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि यही ग्रुप "बेंच फिक्सिंग" (कथित तौर पर मनपसंदीदा जज की बेंच के सामने मामला लाना ताकि फैसला प्रभावित किया जा सके) की पूरी थ्योरी को बढ़ावा दे रहा है. वकीलों ने लिखा है, 'यह देखना अजीब लगता है कि राजनेता किसी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं और फिर अदालत में उनका बचाव करते हैं. अगर अदालत का फैसला उनके पक्ष में नहीं होता है, तो वे तुरंत अदालत के अंदर और मीडिया के माध्यम से अदालत की आलोचना करते हैं.'
इस बात की ओर भी इशारा किया गया है कि ऐसे घटनाक्रम 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सामने आ रहे हैं. वकीलों ने आरोप लगाया है कि ये खास ग्रुप चुनाव के समय कुछ ज्यादा ही सक्रिय नजर आता है और 2019 के चुनावों से पहले भी ऐसा ही देखने को मिला था. पत्र में आगे कहा गया, "व्यक्तिगत और राजनीतिक कारणों से अदालतों को कमजोर करने और हेरफेर करने के इन प्रयासों को किसी भी परिस्थिति में अनुमति नहीं दी जा सकती है. हम सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करते हैं कि वह इन चीजों के सामने मजबूती से खड़ा हो और हमारी अदालतों को इन हमलों से बचाने के लिए कदम उठाए.'
रिपोर्ट: इंडिया टुडे.
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