SC से रिटायर जस्टिस अरुण मिश्रा को मिला ये पद तो क्यों होने लगा हंगामा?

रूपक प्रियदर्शी

जस्टिस अरुण मिश्रा को क्रिकेट की सबसे बड़ी बॉडी BCCI में लोकपाल यानी Ombudsman और Ethics Officer बनाया गया है. BCCI गैर-सरकारी संगठन है. उसमें होने वाली नियुक्तियों में सरकार का सीधा हाथ नहीं होता लेकिन बीसीसीआई में पोस्टिंग को भी सरकारी फेवर कहा जा रहा है. 

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Justice Arun Mishra: सुप्रीम कोर्ट के जज रहते समय जस्टिस अरुण मिश्रा दिल्ली में 13 अकबर रोड वाले बंगले में रहते थे. 2014 से 2020 तक 6 साल जज रहने के बाद 3 सितंबर 2020 को रिटायर हो गए. एक महीने में बंगला खाली हो जाना चाहिए था. जस्टिस अरुण मिश्रा के पास बंगला रिटायर होने के 9 महीने बाद रहा. सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने के बाद जून 2021 में सरकार ने उनका बड़ा पद दे दिया. 6 महीने से खाली राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष बनाया तो आरोप लगे कि मोदी सरकार ने जस्टिस अरुण मिश्रा को बड़ा पद देने का मन बनाया हुआ था इसीलिए सरकारी बंगला खाली नहीं कराया.

खूब विवाद हुआ जब सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने के बाद मिली NHRC में पोस्टिंग. करीब 4 साल तक पद पर रहने के बाद जस्टिस अरुण मिश्रा NHRC से फिर रिटायर हुए. कुछ महीने इंतजार के बाद फिर नई पोस्टिंग मिल गई. इस बार मिला पद सरकारी तो नहीं लेकिन विवाद जमकर हो रहा है.

BCCI में मिला बड़ा पद 

जस्टिस अरुण मिश्रा को क्रिकेट की सबसे बड़ी बॉडी BCCI में लोकपाल यानी Ombudsman और Ethics Officer बनाया गया है. BCCI गैर-सरकारी संगठन है. उसमें होने वाली नियुक्तियों में सरकार का सीधा हाथ नहीं होता लेकिन बीसीसीआई में पोस्टिंग को भी सरकारी फेवर कहा जा रहा है. 

सरकार के खिलाफ बोलने वाले कई बड़े लोगों ने सवाल उठाए हैं. तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने जस्टिस अरुण मिश्रा को बीसीसीआई का लोकपाल बनाने पर सवाल खड़े किए हैं. महुआ मोइत्रा ने सोशल मीडिया पर लिखा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश को शर्मसार करने वाले BCCI Ombudsman & Ethics officer बनाए गए हैं.  

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पद मिलने पर लगे आरोप

प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि court vacations में भी जस्टिस अरुण मिश्रा ने अदाणी को फेवर करने वाले जजमेंट दिए. मोदी को विजनरी कहकर पब्लिकली तारीफ की.  NHRC Chief के बाद Ethics Ombudsman of BCCI बनाया है. सरकार ने जस्टिस अरुण मिश्रा को रिवॉर्ड दिया है. 

प्रशांत भूषण देश के उन वकीलों में हैं जो खुलकर जस्टिस अरुण मिश्रा के खिलाफ बोलते रहे. एक किस्सा भी प्रशांत भूषण और जस्टिस अरुण मिश्रा से जुड़ा है. 2020 में अदालत की अवमानना के मामले में प्रशांत भूषण पर एक रुपये का सांकेतिक जुर्माना लगा था. 82 पेज के अदालती आदेश में जुर्माने का आदेश देने वाली बेंच में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस कृष्ण मुरारी  के साथ एक जज जस्टिस अरुण मिश्रा थे. प्रशांत भूषण ने महंगी बाइक पर बैठे तत्कालीन चीफ जस्टिस बोबडे की फोटो और सुप्रीम कोर्ट के जजों पर अलग-अलग दो ट्वीट किए थे. 

हो रहा जमकर बवाल

सुप्रीम कोर्ट में जज रहने के बाद सरकारी पद लेना चाहिए या नहीं, इस पर देश में लंबी बहस चल रही है. मोदी सरकार पर आरोप लगते हैं कि कई जजों को बढ़िया-बढ़िया पोस्टिंग देकर रिटायरमेंट गिफ्ट दिया. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई राज्यसभा सांसद बन गए. अब्दुल नजीर आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बने. जस्टिस अरुण मिश्रा NHRC में सेट हुए. चीफ जस्टिस रहने के बाद डीवाई चंद्रचूड़ को लेकर भी बहुत चर्चा चल रही है कि उन्हें क्या बनाया जाएगा. जस्टिस अरुण मिश्रा NHRC से रिटायर हुए तो चर्चा तेज उड़ी कि सरकार चंद्रचूड़ के नाम पर विचार कर रही है. हालांकि चंद्रचूड़ ने खुद खंडन कर दिया.

जस्टिस अरुण मिश्रा जब सुप्रीम कोर्ट में रहे, जब रिटायर हुए, दोनों ही स्थितियों में खूब विवाद के शिकार बने. जज रहते हुए उन्होंने 6 ऐसे फैसले दिए जो अदाणी के पक्ष में गए. जज रहते हुए 2020 में  तारीफ करते हुए कह दिया कि पीएम मोदी को विजनरी और  जीनियस नेता कहा. उस दौर में सरकार ने करीब 1,500 अप्रचलित कानून खत्‍म किए थे. जस्टिस अरुण मिश्रा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने  मोर्चा खोल दिया. सीनियर वकील दुष्यंत दवे ने अदाणी की ओर इशारा करते हुए चीफ जस्टिस से शिकायत कर दी कि एक विशेष औद्योगिक समूह के मामले जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच को ही दिए जाते हैं. 

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