बदल गईं वायनाड की मैडम कलेक्टर, इस IAS के सामने प्रियंका ने भरा नामांकन, हर तरफ है चर्चा
Wayanad by-election: प्रियंका गांधी ने नामांकन भरा तो अगल-बगल बैठे थे रॉबर्ट वाड्रा और बेटा रेहान वाड्रा. राहुल गांधी उस कुर्सी पर नहीं थे जिस पर प्रियंका गांधी बैठी थी.
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न्यूज़ हाइलाइट्स

वायनाड कलेक्टर मेघश्री चर्चाओं में हैं.

मेघश्री की निगरानी में वायनाड में लोकसभा का उपचुनाव हो रहा है.
Wayanad by-election: प्रियंका गांधी ने नामांकन भरा तो अगल-बगल बैठे थे रॉबर्ट वाड्रा और बेटा रेहान वाड्रा. राहुल गांधी उस कुर्सी पर नहीं थे जिस पर प्रियंका गांधी बैठी थी. नामांकन से पहले रोड शो में राहुल प्रियंका के साथ साथ थे. रॉबर्ट और रेहान भी पूरे समय प्रियंका के साथ रहे. राजनीति में प्रियंका गांधी की एंट्री राहुल गांधी से पहले हुई थी. प्रियंका ने कहा कि 35 साल से प्रचार कर रही हूं. पॉलिटिकल लॉन्चिंग अब जाकर बाद हुई है.
3 अप्रैल को राहुल गांधी नामांकन भरने वायनाड कलेक्ट्रेट आए तब उनका सामना कलेक्टर डॉ. रेणु राज से सामना हुआ था. आईएएस रेणु राज 2024 के लोकसभा चुनाव के समय वायनाड की जिला निर्वाचन अधिकारी थी. उनके ही सामने खड़े होकर राहुल गांधी ने नामांकन भरा था.
प्रियंका गांधी का सामना वायनाड की नई कलेक्टर आईएएस मेघश्री डीआर से हुआ. उपचुनाव से ठीक पहले रेणु राज का वायनाड कलेक्टर से ट्रांसफर हो चुका है. मेघश्री की निगरानी में वायनाड में लोकसभा का उपचुनाव हो रहा है.
जैसा कि प्रोटोकॉल है. हर उम्मीदवार चाहे वो कितने भी बड़े पद पर क्यों न हो, उसे डीएम कलेक्टर के सामने खड़े होकर ही नामांकन भरना पड़ता है. वैसे तो फॉर्म भरने का काम उम्मीदवार की लीगल टीम करके आती है, सेलिब्रिटी या बड़े उम्मीदवार तो कलेक्टर के सामने फॉर्म पर साइन करके डॉक्यूमेंट के साथ फाइल हैंडओवर करते हैं. अफसर को भी ये प्रोटोकॉल फॉलो करना पड़ता है कि उम्मीदवार के सामने बैठे-बैठे ही सारी कार्यवाही पूरी करनी पड़ती है. यही मोदी के साथ होता है. यही राहुल के साथ हुआ. यही प्रियंका गांधी के सामने भी हुआ.
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वायनाड कलेक्टर के रूप में मेघश्री के सामने आईं कई चुनौती
मेघश्री डीआर और रेणु राज की पोस्टिंग इंटर चेंज हुई है. जुलाई में केरल सरकार ने वायनाड कलेक्टर से ट्रांसफर करके रेणु राज को अनुसूचित जनजाति विकास विभाग में डायरेक्टर बनाया. अनुसूचित जनजाति विकास विभाग की डायरेक्टर मेघश्री को रेणु राज की जगह वायनाड कलेक्टर नियुक्त किया था.
वायनाड कलेक्टर बनते ही मेघश्री पर मुसीबत के ओले पड़े. 11 जुलाई को कलेक्टर का चार्ज लिया. 30 जुलाई को वायनाड में विनाशकारी लैंडस्लाइड की तबाही आ गई. करीब सवा चार सौ मारे गए. हजारों घर परिवार तबाह हो गए. इसी दौर में वायनाड का हाल देखने पहुंचे थे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी. मेघश्री डीआर से पहली बार मिलना-मिलाना तभी हो गया था.
राहुल गांधी की वजह से सुर्खियों में रहा पूरा इलाका
राहुल गांधी का चुनाव क्षेत्र होने से वायनाड में 5 साल से वीआईपी इलाका बना हुआ था. लोगों को राहत पहुंचाना मेघश्री के लिए बहुत बड़ा चैलेंज था. मेघश्री ने ऐसा काम कर दिखाया कि खुद हेडलाइन बन गईं. ये चर्चा बहुत तेजी से होने लगी कि कलेक्टर मेघश्री सुबह 6 बजे से अगली सुबह 3 बजे तक फील्ड में डटी रहीं. 24 घंटे में से 21-21 घंटे तक मेघश्री लोगों की मदद में जुटी रहीं. मलबा साफ करने से लेकर मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार तक करती रहीं मेघश्री डीआर.
मेघ श्री ऐसे बनी कलेक्टर, कहानी प्रेरणास्पद है
2017 बैच में मेघश्री सिविल सर्विसेज परीक्षा पास करके आईएएस बनी थीं. उनकी ऑल इंडिया रैंक 289 थी. मेघश्री कर्नाटक के चित्रदुर्ग जिले डोडोरी गांव की रहने वाली हैं. उनके पिता एसबीआई के चीफ मैनेजर होकर रिटायर हुए. परिवार की सामाजिक स्थिति ऐसी रही कि उनके पिता वाली पीढ़ी ने ही पहली बार पढ़ाई-लिखाई करके नौकरी की थी. चित्रदुर्ग से स्कूलिंग करने के बाद बेंगलुरू से आईटी की पढ़ाई की.
पढ़ने लिखने में होशियार मेघश्री का सॉफ्टवेयर कंपनी में कैंपस रिक्रूटमेंट हो गया था. 3 साल तक आईटी जॉब की. शादी भी हो गई लेकिन धुन थी आईएएस बनने की. पति विक्रम सिम्हा को कॉन्फिडेंस में लेकर लगी-लगाई नौकरी छोड़ दी. 2014 से पूरा फोकस आईएएस की तैयारी में लगा दिया. 2015 में पहला अटेंप्ट 1.66 अंक से रह गया. दूसरी कोशिश ने कलेक्टर की कुर्सी तक पहुंचा दिया.