वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती और समर्थन देने वाली 73 याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई
Waqf Amendment Act: कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सूचीबद्ध सभी मामलों की सुनवाई बुधवार दोपहर 2 बजे की जाएगी. मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ दोपहर 2 बजे मामले की सुनवाई करेगी.
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सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधिनियम को चुनौती देने या समर्थन देने वाली याचिकाओं पर बुधवार दोपहर बाद 2 बजे सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस की अगुआई में तीन जजों की विशेष पीठ 73 याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. ये अलग बात है कि मंगलवार देर शाम तक कोर्ट की कार्यसूची में केवल 10 याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था, लेकिन अब अन्य याचिकाएं भी विभिन्न आइटम नंबरों के तहत सूचीबद्ध कर दी गई हैं.
हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सूचीबद्ध सभी मामलों की सुनवाई बुधवार दोपहर 2 बजे की जाएगी. मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ दोपहर 2 बजे मामले की सुनवाई करेगी. कुल 73 याचिकाएं कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध की गई हैं. इन याचिकाओं में 1995 के कानून के खिलाफ हिंदू पक्षों द्वारा दायर दो याचिकाएं भी शामिल हैं. कुछ याचिकाकर्ताओं ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह निर्णय आने तक कानून पर अंतरिम रोक लगाए.
याचिका दायर करने वाले राजनीतिक दलों में कांग्रेस, टीएमसी, सीपीआई, वाईएसआर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, टीवीके, आरजेडी, जेडीयू, एआईएमआईएम, आप, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग सहित विभिन्न दलों के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. महाराष्ट्र, असम, राजस्थान जैसे कुछ राज्य सरकारों ने भी कानून का समर्थन करते हुए हस्तक्षेप याचिकाएं दाखिल की हैं और मामले में पक्ष बनने का अनुरोध किया है.
केंद्र सरकार ने इस मामले में केवियट दाखिल की है. केवियट वह याचिका होती है, जिसमें पक्षकार यह आग्रह करता है कि अदालत किसी आदेश से पहले उसकी भी बात सुने.
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इन्होंने दायर की है याचिका
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले प्रमुख याचिकाकर्ताओं में असदुद्दीन ओवैसी, AIMIM अध्यक्ष एवं सांसद, आप विधायक अमानतुल्लाह खान,जमीअत उलमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी, समस्त केरल जमीयतुल उलमा एवं इसके महासचिव अलीकुट्टी मुसलियार भी शामिल हैं. इनके अलावा राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा और फैयाज अहमद भी हैं. मोहम्मद शफी और अन्य तीन मुस्लिम नागरिक के अलावा एनजीओ - असोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स और उत्तर प्रदेश के मदरसे के प्रबंधक अंजुम कादरी भी हैं. मोहम्मद फ़ज़लुरहीम, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव के अलावा आईयूएमएल सांसद पीके कुन्हालिकुट्टी, मोहम्मद बशीर, अब्दुस्समद समदानी, और राज्यसभा सांसद वी. अब्दुल वहाब ने भी अर्जी लगाई है.
मोहम्मद जावेद, कांग्रेस सांसद (किशनगंज, बिहार), महुआ मोइत्रा, टीएमसी सांसद, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP), तमिलगा वेत्रि कज़गम (TVK) – अभिनेता विजय की पार्टी, जिया उर रहमान, समाजवादी पार्टी सांसद (संभल, उत्तर प्रदेश), मोहम्मद नेहालुद्दीन, आरजेडी नेता और पूर्व बिहार सुन्नी वक्फ़ बोर्ड अध्यक्ष भी शामिल हैं.
नूरुल हसन, मणिपुर के विधायक, नेशनल पीपल्स पार्टी नेता, अफ़ताब अहमद, विधायक, नूंह, हरियाणा, परवेज़ सिद्दीक़ी, जनता दल यूनाइटेड नेता, मोहम्मद मक़सूद इमरान, बेंगलुरु जामिया मस्जिद के मुख्य इमाम, महबूब अब्दुल गफ़्फार शेख, पुणे निवासी, सामाजिक कार्यकर्ता आसिफ निज़ामुद्दीन सिद्दीक़ी और अनवर अहमद आज़मी और तैय्यब ख़ान सलमानी, दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतिम वर्ष के कानून के छात्र ने भी अर्जी लगाई है. सुप्रीम कोर्ट में पारुल खेड़ा सहित कई याचिकाकर्ताओं ने इस अधिनियम के समर्थन में भी अर्जियां लगाई हैं.