महाकुंभ भगदड़: MP से आए इस श्रद्धालु ने बच्चे और बुजुर्ग की बचाई जान, खौफनाक मंजर की पूरी कहानी बता दी
Mahakumbh Hadsa News: अपनों से बिछड़ जाने का दर्द, बच्चों से बिछड़ी माओं की चीखें मेला परिसर के उल्लास को चीर रही थीं. यूपी तक की टीम ने मौके पर अपनों को खो चुके, अपनों से बिछड़ चुके लोगों से बात की. जानना चाहा कि इस भदगड़ की असल वजह क्या थी?
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Mahakumbh Baghdad Updates: महाकुंभ में मौनी अमावस्या के पावन मौके पर ऐसा हो गया कि 144 सालों बाद इस अद्भुत संयोग के आयोजन पर दाग लग गया. करीब 10 मौते होने की बात कही जा रही है. ये आंकड़ा बढ़ भी सकता है. मरने वालों में बुजुर्ग ज्यादा हैं. कई लापता है. परिजन उनकी तलाश में भटक रहे हैं. कोई फूट-फूट कर रो रहा है. दूसरे श्रद्धालु उन्हें ढांढस बधां रहे हैं. अपने मासूमों से माएं बिछड़ गई हैं. प्रयागराज की जिस धरती पर आधी रात गुजरी और अमृत स्नान का पुण्य लेने की उम्मीदों के साथ लोग आगे बढ़े. वक्त ने करवट ली और जोश-उल्लास करुण क्रंदन में बदल गया.
अपनों से बिछड़ जाने का दर्द, बच्चों से बिछड़ी माओं की चीखें मेला परिसर के उल्लास को चीर रही थीं. यूपी तक की टीम ने मौके पर अपनों को खो चुके, अपनों से बिछड़ चुके लोगों से बात की. जानना चाहा कि इस भदगड़ की असल वजह क्या थी?
इस युवा ने बच्चे और बुजुर्ग को बचाया
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मध्य प्रदेश के पन्ना से आए जितेंद्र गोस्वामी ने बताया कि रात में करीब 1 बज रहा था. उस वक्त अनाउंस हो रहा था. अमृत वर्षा हो रही है. उसमें काफी लोग ये सोच रहे थे कि हम 3-4 बजे नहाएंगे जब मुख्य शाही स्नान होता है. बहुत सारे लोग बैठ गए थे. वे मुहूर्त का इंतजार कर रहे थे. प्रॉब्लम ये हुई कि आने वाला और जाने वाला रास्ता एक ही था. इसमें ऐसा सीन हो गया कि न जाने वाला आ पा रहा था और न आने वाला जा पा रहा है. धक्का-मुक्की हो गई. माहौल तो ये था कि तीन-चार माएं चिल्ला रही थीं जिनका बच्चा गुम गया. एक 5 साल का था. दूसरा 8 साल का और एक बच्चा तो 3 साल का था.
दो माएं गुम गई थीं, जिनका कुछ पता नहीं था. एक 18 साल की युवती की मां गुम गईं थी. लोग उसे सहानुभूति दे रहे थे. वो रो रही थी. एक मां गोद में महज 6 महीने का बच्चा लिए अपनी बुजुर्ग सास के साथ थी. मुझे लगा इन्हें नहीं बचाया तो अनहोनी हो जाएगी. फिर मैंने और अन्य लोगों ने भी उनकी मदद की. हादसे में शासन की भी चूक है. लोगों की गलती भी है. आपने (शासन) प्रयास किया होता तो शायद ये मंजर नहीं होता. आने-जाने का रास्ता एक क्यों किया गया. तमाम इंतजाम के बीच ये हादसा सबकुछ पर पानी फेरता है.
मां को बचा तो लिया था पर... पौन घंटे बाद पुलिस और एंबुलेंस आई
मध्य प्रदेश के छतरपुर से आए एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया- रात में सवा एक बजे के करीब इतनी भीड़ आई कि लोग एक दूसरे पर चढ़ने लगे. उसी में हम सभी लोग दब गए थे. परिवार के बाकी लोगों को तो निकाल लिया पर मां एकदम भीड़ से दब गई थी. जब किसी तरह से निकाला तो उनकी सांसें चल रही थीं. आधा पौन घंटे बाद पुलिस आई. एंबुलेंस आई. वहां कोई पुलिस और सिक्योरिटी नहीं थी. तब कुछ लोग गिरे तो लोग उनके ऊपर से ही चढ़कर निकलने लगे. अभी मां का पता नहीं चल पाया है. पूछने पर बोला गया है कि मेडिकल कॉलेज में हैं.
मैं नहा कर वापस आ रहा था...मैं गिरकर उठा पर वो...
यूपी के गोरखपुर से आए एक प्रत्यक्षदर्शी रविंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि 'बहुत तगड़ा रेला आया था. हम बहुत मामूली कपड़ा उतार कर पाए थे. जल्दी-जल्दी हल्का स्नान किए और लौटने लगे. इसी दौरान भीड़ के सैलाब में गिर गए. हम दोनों (पति-पत्नी) गए पर वो नहीं उठ पाई. उसका नाम आशा सिंह है...' आखें ढबढबा गईं और फिर रविंद्र प्रताप बोले- 'फिलहाल वो कहां है पता नहीं. उसे ढूंढ रहा हूं.'
अपनो से बिछड़ गई दिल्ली की महिला प्रशासन और सरकार पर भड़की
दिल्ली के प्रीतम नगर से आईं नीलम श्रीवास्तव ने बताया कि भगदड़ में गिरी तो थीं पर उठ गई हैं. हालांकि उनसे साथ वाले कहां हैं ये पता नहीं है. उन्हें खोजती हुई ये मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज पहुंची थी. उन्होंने कहा- साधु संतों का इंतजाम है. मंत्रियों का और नेताओं इंतजाम है. हिरो-हिरोइन का इंतजाम है पर आम जनता के लिए कुछ भी नहीं.
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