मोबाइल पर आने वाले टेक्स्ट मैसेज: कौन सा है सुरक्षित, कौन सा है स्कैम?

न्यूज तक

TRAI ने मैसेज की पहचान के लिए अंत में 'G', 'S', 'T' और 'P' कोड निर्धारित किए हैं, जिससे स्कैम और असली मैसेज में फर्क किया जा सकता है। बिना कोड वाले मैसेज से सतर्क रहें, लिंक पर क्लिक न करें और निजी जानकारी किसी से साझा न करें.

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मोबाइल में आजतक ढ़ेरो टेक्स आना आम हो चुका है. कुछ मैसेज तो आपको जरूरी जानकारी देते हैं, लेकिन कुछ स्कैमर्स द्वारा भेजे गए धोखाधड़ी वाले मैसेज हो सकते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन मैसेज को पहचानने का एक आसान तरीका भी है?

आईए इस रिपोर्ट में इसे विस्तार से समझते हैं कि कौन सा मैसेज सुरक्षित है और कौन सा नहीं.

मैसेज के प्रकार और उनकी पहचान

भारत में टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी (DLT) प्लेटफॉर्म के जरिए मैसेज को वर्गीकृत किया है. हर मैसेज के आखिर में एक कोड होता है, जो उस मैसेज की कैटेगरी बताता है. इन कोड्स को समझकर आप स्कैम से बच सकते हैं.

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1. ‘G’ कोड: अगर मैसेज के आखिर में ‘G’ लिखा है और यह सरकारी मैसेज है. यह आमतौर पर सरकारी योजनाओं, अलर्ट या महत्वपूर्ण सूचनाओं के लिए भेजा जाता है. यह पूरी तरह सुरक्षित होता है. आप इसपर भरोसा कर सकते हैं.

2. ‘S’ कोड: वहीं मैसेज के आखिर में ‘S’ लिखा होने का मतलब है कि यह सर्विस मैसेज है. इसमें बैंक से संबंधित जानकारी, जैसे ओटीपी या अकाउंट डिटेल्स, शामिल होती हैं. ये मैसेज भी विश्वसनीय हैं.

3. ‘T’ कोड: जिस मैसेज के अंत में ‘T’ होते हैं वो ट्रांजेक्शनल मैसेज होता है. यह बैंकिंग लेनदेन, जैसे डेबिट या क्रेडिट अलर्ट, के लिए होता है. इन मैसेज पर भरोसा किया जा सकता है.

4. ‘P’ कोड: ‘P’ का मतलब प्रमोशनल मैसेज है. इसमें सेल्स, ऑफर्स या मार्केटिंग से जुड़ी जानकारी होती है. ये मैसेज भले ही सुरक्षित हों, लेकिन इनका जवाब देने से पहले सावधानी बरतें.

5. कोई कोड नहीं: अगर मैसेज के अंत में कोई कोड नहीं है, तो यह खतरे की घंटी है. ऐसे मैसेज स्कैमर्स द्वारा भेजे जा सकते हैं. इनमें लिंक पर क्लिक करने या निजी जानकारी मांगने की कोशिश हो सकती है.

स्कैमर्स क्यों नहीं कर सकते कोड का इस्तेमाल?

हालांकि आप सोच रहे होंगे कि स्कैमर्स भी तो फर्जी कोड जोड़ सकते हैं, लेकिन ऐसा संभव नहीं है. TRAI के DLT प्लेटफॉर्म पर सभी मैसेज भेजने वालों को रजिस्टर करना अनिवार्य है. केवल रजिस्टर्ड और सत्यापित संस्थान ही ‘G’, ‘S’, ‘T’ या ‘P’ कोड का उपयोग कर सकते हैं. स्कैमर्स इस प्रक्रिया से बचते हैं, इसलिए उनके मैसेज में कोड नहीं होता.

खुद को कैसे रखें सुरक्षित?

इस तरह के मैसेज से खुद को बचाने के लिए किसी अगर मैसेज में किसी भी तरह का लिंक आया हो तो उसे अनदेखा करें. इसके अलावा किसी भी स्कैमर को अपनी निजी जानकारी न दें. जैसे- स्कैमर्स अक्सर ओटीपी, पासवर्ड या बैंक डिटेल्स मांगते हैं. ऐसी जानकारी कभी शेयर न करें.

इतना ही नहीं संदिग्ध मैसेज की शिकायत करें. TRAI की वेबसाइट या अपने सर्विस प्रोवाइडर को अनजान मैसेज की जानकारी दें सकते हैं. इसके साथ ही DLT रजिस्ट्रेशन चेक करें, अगर आपको इस तरह के मैसेज पर शक है तो DLT प्लेटफॉर्म पर भेजने वाले की वैधता जांच सकते हैं.

जागरूकता है जरूरी

स्कैमर्स हर दिन नए तरीके अपनाते हैं, लेकिन सही जानकारी और सावधानी से आप खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं. यह जानकारी अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ जरूर शेयर करें.

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