Dream11 वाले हर्ष जैन अचानक क्यों हो गए वायरल, सरकार ने कर दिया बड़ा खेल!
हर्ष जैन ने 150 बार रिजेक्शन झेलकर Dream11 जैसी 65,000 करोड़ की कंपनी खड़ी की, लेकिन अब सरकार के नए ऑनलाइन गेमिंग बिल से उनका बिजनेस खतरे में है.
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कहते हैं सफलता उन्हीं को मिलती है जो कभी हार नहीं मानते हैं. जिन लोगों के सपनों में जान होती है और खुद पर भरोसा होता है, खुद पर भरोसा करके ही हर्ष जैन ने वो कर दिखाया जिसे करने के लिए बड़े-बड़ों के पसीने छूट जाते हैं. पिता कभी अंबानी के करीबी सलाहकार थे लेकिन बेटा पिता से चार कदम आगे निकला.
जिन अंबानीज के लिए पिता कभी काम करते थे आज बेटा उन्हीं के बगल में घर खरीद कर उनका पड़ोसी बन गया. जरी सी उमर में बहुत कुछ पा लिया, लेकिन इस सफलता का जो चैनल यानी रास्ता बना अभी लगता है कि सरकार के एक फैसले से वही चैनल बंद होने वाला है.
जिस रास्ते की हम बात कर रहे हैं वो है Dream11 का, जिसके जरिए हर्ष ने 65,000 करोड़ रुपये की कंपनी शुरू की लेकिन शुरूआत आसान नहीं थी. कंपनी कभी पाई-पाई को मोहताज थी 150 वेंचर्स के पास गए, अपना आइडिया सुनाया लेकिन सभी जगह रिजेक्शन मिला. इतना सब झेला तब जाकर सफलता का स्वाद चखा लेकिन सरकार के एक फरमान इन सब पर पानी फैर देगी.
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कैसे सब बताएंगे इस रिपोर्ट में क्या है हर्ष जैन के एक सक्सेसफुल एंटरप्रेन्योर बनने की कहानी और कैसे 150 जगह रिजेक्शन पाने वाला शख्स बन गया अंबानी का पड़ोसी.
देश में बीते दिनों से ऑनलाइन सट्टेबाजी और गेमिंग ऐप्स ट्रेंड बहुत तेजी से फैल रहा है. अब केंद्र सरकार इसे रेगुलेट करने के लिए एक कानून लेकर आ रही है. सरकार ने लोकसभा में Promotion and Regulation of Online Gaming Bill 2025 बिल पेश किया है.
अगर ये बिल पास हो जाता है तो देश में चल रही तमाम ऑनलाइन कैश गेम्स जैसे. ड्रीम-11, My 11 Circle, पोकर, रमी आदि पर लगाम लग जाएगी और इन गेम्स को प्रमोशन करना भी गैर कानूनी होगा. इसका ड्राफ्ट इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने तैयार किया है. लोकसभा में इस बिल के पेश होने के बाद से सबसे ज्यादा चर्चा में आ गए है ड्रीम 11 के फाउंडर हर्ष जैन.
Dream11, आज इस ऐप के बारे में देश का बच्चा-बच्चा जानता है. शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने के लिए बना प्लेटफॉर्म भी कुछ कम फेम नहीं है. इन दोनों ही ऐप के फाउंडर हैं हर्ष जैन, लेकिन इस वक्त हर्श के Dream11 ऐप की चर्चा सबसे ज्यादा हो रही है.
ड्रीम 11 भारत में बेस्ड एक फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म है, जो यूजर्स को फैंटेसी क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल, कबड्डी और बास्केटबॉल खेलने का मौका देता है. हर्ष जैन की कहानी सिर्फ एक सफल एंटरप्रेन्योर की नहीं, बल्कि एक ऐसे नौजवान की है जिसने 150 से भी ज़्यादा बार नकारे जाने के बावजूद अपना हौसला नहीं खोया और आखिरकार एक ऐसा मुकाम हासिल किया, जिसकी लोग सिर्फ कल्पना कर सकते हैं.
भारत में क्रिकेट को एक नए मुकाम पर पहुंचा दिया
साल 2008 में IPL की शुरुआत ने भारत में क्रिकेट को एक नए मुकाम पर पहुंचा दिया. उसी साल हर्ष और उनके कॉलेज के दोस्त भावित सेठ को एक नया आइडिया आया कि क्यों न भारत में भी एक ऐसा प्लेटफॉर्म हो, जहां लोग अपनी फैंटेसी टीम बनाकर खेल का मजा ले सकें? बस यहीं से शुरू हुआ Dream11 का सफर.
हर्ष कंपनी में डिजाइन, टेक, प्रोडक्ट और मार्केटिंग का काम देख रहे थे तो भावित ऑपरेशन का काम संभाल रहे थे. कंपनी बनने के बाद शुरुआत में फंडिंग की काफी दिक्कत रही.. हर्ष और भावित ने जब Dream11 को लोगों के सामने रखा, तो 150 से ज्यादा वेंचर कैपिटलिस्ट्स ने उनका आइडिया ठुकरा दिया. हर बार उन्हें कहा गया कि यह बिज़नेस मॉडल भारत में नहीं चलेगा. कोई कहता कि लोग ऑनलाइन गेम में पैसा नहीं लगाएंगे, तो कोई कहता कि यह लीगल नहीं होगा.
रिजेक्शन से सीखा कुछ नया
150 बार नाकाम होने के बाद भी उन्होंने कोशिश बंद नहीं की. हर रिजेक्शन से उन्होंने कुछ नया सीखा और अपने आइडिया को बेहतर किया. जब कोई नहीं मानता था, तब भी उन्होंने अपने विजन पर भरोसा रखा. खेलों के लिए उनका जुनून ही Dream11 की नींव बना.
वो हर रिजेक्शन से कुछ नया सीखते गए ग्रॉस मार्जिन, Customer Acquisition Cost, Lifetime Value जैसी चीजें समझते गए और अपने आइडिया को और मजबूत बनाते गए, लगातार दो सालों की मेहनत के बाद 2012-13 में उन्हें पहला निवेश मिला.
धीरे-धीरे Dream11 की पकड़ बाजार में बनने लगी. तमाम मुश्किलों और असफलताओं के बाद हर्ष और भावित की कंपनी को बड़ी सफलता उस वक्त मिली, जब उन्हें साल 2020 आईपीएल की स्पांसरशिप राइट मिले. इसके बाद से कंपनी का नाम बच्चे-बच्चे के जुंबा पर चढ़ गया. Dream11 घर-घर में पहचाना जाने लगा फिर यह भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी का भी स्पॉन्सर बना.
2010 में रेड डिजिटल की स्थापना
हर्ष जैन सिर्फ Dream11 के सीईओ ही नहीं, बल्कि फेडरेसन ऑफ इंडियन फैंटसी स्पोर्टस के अध्यक्ष भी हैं... उन्होंने 2010 में एक सोशल मीडिया एजेंसी रेड डिजिटल की सह-स्थापना भी की थी, जिसे 2013 में Gozoop नाम की मार्केटिंग कंपनी ने खरीद लिया. हर्श अपने ऐप के जरिए करोड़ों रूपयों में डील करते हैं, आज उनकी कंपनी की वैल्यूएशन करीब 65,000 करोड़ रुपये है. इस साल की शुरुआत में, हर्ष जैन ने मुंबई के बेहद महंगे और लग्जरी Lodha Malabar प्रोजेक्ट में एक आलीशान अपार्टमेंट खरीदा है, जिसकी कीमत करीब 138 करोड़ रुपये बताई गई है. यह अपार्टमेंट मुकेश अंबानी और नीता अंबानी के आलीशान एंटीलिया के नजदीक है. इस प्रोपर्टी के लिए हर्ष जैन को सिर्फ स्टांप ड्यूटी के तौर पर करीब 8.30 करोड़ रुपये देने पड़े थे..
हर्ष को गेमिंग में आता था मजा
1986 में मुंबई में जन्में हर्ष जैन को शुरू से ही स्पोर्ट्स, टेक्नोलॉजी और गेमिंग में मजा आता था, उनकी स्कूलिंग मुंबई से हुई. उनके पिता आनंद जैन, Jai Corp Ltd. के चेयरमैन हैं और मां सुषमा जैन एक होम मेकर हैं. बचपन से ही हर्ष को खेल, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन में दिलचस्पी थी.
उन्होंने 2001 से 2003 तक इंग्लैंड के Sevenoaks School में पढ़ाई की, फिर अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ पेनिसेल्विया से 2007 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली. इसके बाद 2014 में उन्होंने कोलंबिया बिजनेस स्कूल से MBA भी किया. हर्ष ने पढ़ाई के दौरान Microsoft में समर इंटर्नशिप की और इसके बाद Jai Corp Ltd. में मार्केटिंग मैनेजर के रूप में काम किया.
बिल को लेकर सरकार का क्या है कहना
बात करें सरकार के इस बिल को लेकर तो उनका कहना है कि मनी-बेस्ड ऑनलाइन गेमिंग से लोगों को भारी नुकसान हो रहा है. गेमिंग की लत की वजह से कई लोगों ने अपनी जमा-पूंजी गंवा दी है, और कुछ मामलों में तो आत्महत्या तक की खबरें सामने आई हैं. इसके अलावा, सरकार को मनी लॉन्ड्रिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं भी हैं. जिन पर लगाम कसने के लिए यह कानून लाया जा रहा है.
केंद्र सरकार पहले भी ऑनलाइन सट्टेबाजी को रेगुलेट करने के लिए कदम उठा चुकी है. मार्च 2025 में वित्तीय लेनदेन और यूजर का डेटा सुरक्षित रखने के लिए नियम बनाए गए थे. भारतीय न्याय संहिता में अनधिकृत सट्टेबाजी के लिए सात साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान पहले से मौजूद है. अप्रैल 2023 में IT मिनिस्टरी ने ऑनलाइन गेमिंग के कुछ नियम पेश किए थे, जिन्हें मोटे तौर पर उद्योग-हितैषी माना गया था. लेकिन वह लागू नहीं हो पाए थे. अगर ये कानून लागू हो जाता है, तो ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगेगा. औसतन, लगभग 11 करोड़ लोग रोजाना ये गेम खेलते हैं. इंडस्ट्री के जानकारों के मुताबिक, इस कदम से 2 लाख से ज्यादा नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं और सरकार को भी करोड़ों रुपए के टैक्स का नुकसान होगा.