चिनाब ब्रिज के शुरू होने से क्या फायदा होगा? इसकी ये 7 खासियतें हैं कमाल

ललित यादव

Chenab Rail Bridge Benefit: चिनाब रेल ब्रिज एक इंजीनियरिंग का कमाल है, जो नदी के तल से 359 मीटर की ऊंचाई पर बना है. यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल है, जो पेरिस के एफिल टॉवर से भी ऊंचा है.

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Chenab Rail Bridge Benefit
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Chenab Rail Bridge Benefit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर बने 1315 मीटर लंबे ऐतिहासिक रेलवे ब्रिज का उद्घाटन कर दिया है. यह पुल सिर्फ एक ढांचा नहीं, बल्कि कश्मीर घाटी को भारत के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला एक मजबूत रास्ता है. यह टूरिज्म, बिजनेस और इंडस्ट्रियल ग्रोथ को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा. 

16 साल का सफर, 1486 करोड़ की लागत

चिनाब रेलवे ब्रिज इंजीनियरिंग का अनोखा नमूना है. 1486 करोड़ की लागत से 16 साल में तैयार हुआ यह ब्रिज भारतीय रेलवे का सबसे मुश्किल प्रोजेक्ट रहा. यह उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक का हिस्सा है, जिसकी कुल लागत 35 हजार करोड़ रुपए है. 

एफिल टावर से भी ऊंचा

रियासी जिले में बना यह धनुष के आकार का ब्रिज 359 मीटर ऊंचा है. यह पेरिस के एफिल टावर से 35 मीटर ज्यादा ऊंचा है. अगर एफिल टावर को इसके नीचे खड़ा करें, तो वह पुल को छू भी नहीं पाएगा. इसकी मजबूती भी कमाल की है. 29 हजार मीट्रिक टन स्टील से बना यह पुल 120 साल तक टिका रहेगा. 

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कश्मीर तक वंदे भारत की सैर

अब श्रीनगर से जम्मू तवी तक वंदे भारत ट्रेन चलेगी. PM मोदी इस रूट पर ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे. रेलवे बोर्ड के मुताबिक, श्रीनगर-जम्मू तवी और जम्मू तवी-श्रीनगर के बीच दो-दो वंदे भारत ट्रेनें चलेंगी. इससे यात्रियों को तेज और आरामदायक सफर मिलेगा.

कैसे बना यह चमत्कार?

चिनाब ब्रिज का प्रोजेक्ट 2003 में मंजूर हुआ था. 2009 तक बनने का लक्ष्य था, लेकिन सेफ्टी और कंस्ट्रक्शन की चुनौतियों ने इसे 2010 तक रोके रखा. 2017 में बेस सपोर्ट और फिर 2022 में पूरा ब्रिज तैयार हुआ. 20 जून 2024 को रामबन से रियासी के बीच मेमू ट्रेन का ट्रायल रन हुआ. 16 जून को इलेक्ट्रिक इंजन का टेस्ट भी सफल रहा.

भूकंप और तेज हवाओं को झेलने की ताकत

यह ब्रिज सिस्मिक जोन 4 में है, लेकिन इसे जोन 5 के हिसाब से बनाया गया है. यह रिक्टर स्केल पर 8 तीव्रता का भूकंप भी झेल सकता है. चिनाब घाटी में तेज हवाएं चलती हैं. ब्रिज को 266 किमी/घंटा की रफ्तार वाली हवा झेलने के लिए डिजाइन किया गया है. इसके लिए 3 लाख बोल्ट के साथ सर्कुलर विंड ब्रेसिंग दी गई है.

कोंकण रेलवे का अनुभव

कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड को इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी दी गई. उनके अनुभव ने इस मुश्किल काम को मुमकिन बनाया. इसके अधिकारी बताते हैं कि यह मैकेनिकल, सिविल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का शानदार मेल है. 2200 मजदूरों ने दिन-रात मेहनत की.

चिनाब ब्रिज के शुरू होने से क्या फायदा होगा?

इस ब्रिज के चालू होने से कटरा और श्रीनगर के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस से यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा. अभी जहां 5-6 घंटे लगते हैं, वहीं यह सफर सिर्फ 3 घंटे का रह जाएगा. इससे न सिर्फ स्थानीय लोगों को फायदा होगा, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा.

चिनाब ब्रिज के शुरू होने से कश्मीर घाटी देश के बाकी हिस्सों से सीधे रेलमार्ग के जरिए जुड़ जाएगी. यह एक ऐतिहासिक कदम है, क्योंकि इससे पहले कश्मीर घाटी में रेल कनेक्टिविटी सीमित थी. अब यह ब्रिज कश्मीर को पूरे भारत के रेल नेटवर्क से जोड़ेगा, जिससे हर मौसम में कश्मीर तक पहुंच आसान हो जाएगी. यह रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे आपात स्थिति में सेना की आवाजाही भी आसान होगी.

चिनाब ब्रिज की 7 प्रमुख खासियतें

1. असाधारण ऊंचाई: चिनाब नदी के तल से 359 मीटर ऊंचा, यह ब्रिज एफिल टावर से भी ऊंचा है और 1315 मीटर लंबा है, जो 272 किमी लंबे रेल मार्ग का हिस्सा है.

2. मजबूत निर्माण: 1486 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित, यह 266 किमी/घंटा की हवाओं और रिक्टर स्केल पर 8 तीव्रता के भूकंप (भूकंपीय क्षेत्र V और IV) को सह सकता है.

3. सुरक्षा का प्रतीक: उच्च तीव्रता वाले विस्फोटों को झेलने की क्षमता और 24x7 CCTV निगरानी के साथ सुरंगों और पटरियों की कड़ी सुरक्षा.

4. कनेक्टिविटी में क्रांति: कश्मीर घाटी को भारतीय रेल नेटवर्क से जोड़कर कटरा-श्रीनगर की यात्रा को 3 घंटे से कम में संभव बनाता है.

5. तेज यात्रा: दिल्ली-श्रीनगर रेल यात्रा का समय घटकर 13 घंटे हो जाएगा, जिससे पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा.

6. सफल ट्रायल रन: जून 2024 में पहला ट्रायल रन और जनवरी 2025 में वंदे भारत ट्रेन का ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा हुआ.

7. सामरिक और आर्थिक महत्व: यह ब्रिज सामरिक दृष्टिकोण से सेना की आवाजाही को सुगम बनाएगा और कश्मीर के स्थानीय उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने में मदद करेगा.
 

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