EVM बनाने वाली कंपनी में BJP से जुड़े 4 डायरेक्टर्स? पूर्व IAS के दावे ने मचाया सियासी बवाल

रूपक प्रियदर्शी

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EVM and VVPAT Controversy: मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जीत के बाद ये शोर तेज हुआ कि EVM गड़बड़ है. बीजेपी ईवीएम के कारण ही जीत रही है. दिग्विजय सिंह समेत कई नेता ईवीएम में घोटाला साबित करने पर तुले हुए हैं. हालांकि अब जो विवाद हुआ है, उसमें कांग्रेस सीधे शामिल नहीं है. ईवीएम पर नया विवाद खड़ा हुआ है, भारत सरकार में सचिव रहे रिटायर्ड आईएएस ईएएस सरमा की एक चिट्ठी से.

ईएएस सरमा ने दावा किया है कि चुनाव आयोग के लिए ईवीएम बनाने वाली सरकारी कंपनी में 4 इंडिपेंडेंट डायरेक्टर बीजेपी से जुड़े हुए हैं. सरमा ने मुख्य चुनाव आयुक्त को चिट्ठी लिखकर मांग की है कि बीजेपी से जुड़े लोगों को कंपनी से हटाया जाए. हालांकि सरमा ने भी अपनी चिट्ठी में ऐसे चार इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स के नाम नहीं लिखे हैं. उन्होंने दावा किया कि मनसुख खाचरिया एक डायरेक्टर हैं बीजेपी राजकोट के जिला अध्यक्ष हैं. वैसे ये पहली बार नहीं है जब ईएएस सरमा ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखा है. मोदी सरकार की विकसित भारत संकल्प यात्रा में सरकारी अधिकारियों को रथ प्रभारी बनाने के खिलाफ भी उन्होंने आवाज उठाई थी.

ईवीएम पर उठने वाले सारे सवाल चुनाव आयोग से किए जाते हैं लेकिन सवाल उठते हैं भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के काम करने पर, जो ईवीएम मैन्युफैक्चरिंग, सॉफ्टवेयर, प्रोग्रामिंग सबके लिए जिम्मेदार है. ईएएस सरमा ने चिट्ठी लिखकर यही इशारा किया है कि, अपने लोगों को बिठाकर बीजेपी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स को अपने फायदे के लिए कंट्रोल कर रही है.

कौन हैं ईएएस सरमा?

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक 1965 बैच के आंध्र प्रदेश कैडर के आईएएस ईएएस सरमा की ईमानदार अफसर वाली इमेज रही है. 35 साल की सरकारी नौकरी में उनका 26 बार ट्रांसफर हुआ. वाजपेयी सरकार के वक्त वित्त मंत्रालय में सचिव थे. सरकार की नीतियों से असहमत होकर उन्होंने मंत्रालय छोड़ दिया था. आंध्र यूनिवर्सिटी से न्यूक्लियर फिजिक्स में और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में पोस्ट ग्रेजुएट सरमा ने आईआईटी दिल्ली से डॉक्टोरेट किया.

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EVM पर कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला का ये हैं सवाल

ईएएस सरमा की चिट्ठी मनी लाइफ डॉट इन वेबसाइट में पब्लिश की है जिसे कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने शेयर करते हुए सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा हैं कि, बीजेपी आरोप लगाती है कि, कांग्रेस चुनाव हार जाती है इसलिए ईवीएम पर दोष मढ़ती है लेकिन 19 अगस्त को इंडिया गठबंधन ने प्रस्ताव पारित करके ईवीएम और वीवीपैट को लेकर चिंता जताई थी. तब मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार नहीं हुई थी. इंडिया गठबंधन ने मांग की थी कि, ईवीएम के वोटों की काउटिंग के साथ वीवीपैट के वोटों की भी गिनती कराई जाए. कांग्रेस ने चुनाव आयोग से मांग की थी कि, मिलने का समय दीजिए. हम सुझाव देना चाहते हैं. आज तक चुनाव आयोग ने समय नहीं दिया. ईवीएम वाला विवाद तब और तेज हुआ जब कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने भविष्यवाणी कर दी कि लोकसभा चुनावों से पहले अगर ईवीएम को ठीक नहीं किया गया तो भाजपा 400 से ज्यादा सीटें जीत सकती है.

EVM VVPAT Controversy
EVM and VVPAT

दिग्विजय सिंह भी खोले हुए मोर्चा

भोपाल में एक हफ्ते पहले दिग्विजय सिंह ने गुजरात के अतुल पटेल के साथ ईवीएम को हैक करने का डेमो किया था. दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि ईवीएम हैकिंग से 30 से 40 प्रतिशत वोटों में हेरफेर हो सकता है. दिग्विजय सिंह चुनाव आयोग से सवाल पूछते हैं कि, ईवीएम सॉफ्टवेयर की जानकारी पब्लिक डोमेन में क्यों नहीं है. सॉफ्टवेयर कौन डाल रहा है, ये बताते क्यों नहीं? ईवीएम की वीवीपैट वाली पर्ची वोटर के हाथ में क्यों नहीं देते.

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ईवीएम हैकिंग के आरोपों पर चुनाव आयोग का क्या रहा है रुख

हैकिंग के आरोपों के बाद 2019 में चुनाव आयोग ने एक जांच कमेटी बनाई थी. जांच कमेटी ने रिपोर्ट दी थी कि, चुनाव आयोग जिस EVM का इस्तेमाल करता है, वो स्टैंड अलोन मशीनें होती हैं. उसे न तो किसी कम्प्यूटर से कंट्रोल किया जाता है और न ही इंटरनेट या किसी नेटवर्क से कनेक्ट किया जाता है. EVM में जो सॉफ्टवेयर इस्तेमाल होता है, उसे रक्षा मंत्रालय और परमाणु ऊर्जा मंत्रालय से जुड़ी सरकारी कंपनियों के इंजीनियर बनाते हैं. सॉफ्टवेयर के सोर्स शेयर नहीं होते. मैनुफैक्चरर्स को नहीं पता होता कि कौन सी मशीन कहां जाएगी, उम्मीदवार कौन होगा. इसलिए भी छेड़छाड़ नहीं हो सकती.

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