राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होंगे आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी पर क्यों?

अभिषेक

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Lal Krishn Advani, murli Manohar Joshi
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Ram Mandir: अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण अब लगभग कंप्लीट है. 22 जनवरी को यहां राम लला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह होना है. इस समारोह को लेकर देशव्यापी चर्चा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्राण प्रतिष्ठा पूजा में हिस्सा लेंगे. कहा जा रहा है कि इस कार्यक्रम में करीब 7000 गणमान्य लोगों को निमंत्रण भेजा गया है. पर इस कार्यक्रम में राम मंदिर आंदोलन को धार लेने वाले पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी नहीं दिखाई देंगे. राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इन दोनों नेताओं से जुड़ी जानकारी साझा करते हुए ऐसा बयान दिया है, जो वायरल हो रहा है.

पहले ये जान लीजिए चंपत राय ने कहा क्या?

राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने प्रेस कांफ्रेंस कर पत्रकारों से कहा कि,’मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा में आडवाणी जी का होना अनिवार्य है, लेकिन उनकी उम्र को देखते हुए हम कहेंगे कि वे कृपया ना आएं’ फिर उन्होंने मुरली मनोहर जोशी को लेकर कहा कि,‘डॉ. मुरली मनोहर जोशी से मेरी स्वयं बात हुई है.मैं उनसे फोन पर यही कहता रहा कि आप मत आइए लेकिन वो जिद करते रहे कि मैं आऊंगा. मैं बार-बार निवेदन करता रहा कि गुरुजी मत आइये. आपकी उम्र और सर्दी इसके लिए इजाजत नहीं देती, आपने अभी घुटने भी बदलवाए हैं.’

गर्भगृह राम मंदिर
गर्भगृह राम मंदिर, फोटो चंपत राय (एक्स)

चंपत राय ने ये भी बताया कि दोनों ने न आने का अनुरोध स्वीकार कर लिया है. आपको बता दें कि आडवाणी की उम्र 96 साल हैं तो वहीं मुरली मनोहर जोशी 89 साल के हैं.

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इस बात पर उन्होंने मंदिर के शिलान्यास के समय उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह से जुड़े एक वाकये का जिक्र किया. उन्होंने बताया कि कल्याण सिंह मंदिर में आने के लिए जिद करते रहे कि जरूर आएंगे. मैंने उनके बेटे से कह दिया कि हां-हां करते रहो फिर आखिरी दिन हमने उन्हें कहा कि आपको नहीं आना है और उन्होंने यह बात मान ली थी. राय ने कहा कि घर के बुजुर्गों को इसी तरह समझाया जाता है.

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राम मंदिर को लेकर कैसी रही आडवाणी की भूमिका?

लाल कृष्ण आडवाणी ने पहली बार राम मंदिर के लिए व्यापक आंदोलन की शुरुआत की थी. उन्होंने राममंदिर के लिए 1990 में गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली थी. इस यात्रा को बिहार के समस्तीपुर में लालू यादव की सरकार ने रोक दिया था. लेकिन तब तक यात्रा ने अपना काम कर दिया था. राममंदिर के लिए पूरे देश में एक जनभावना को जगा दिया और लोगों के अंदर मंदिर के लिए एक आस्था भर गई. ऐसा माना जाता है कि इसी रथयात्रा के बाद के माहौल से उग्र हुई भीड़ ने 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को ढहा दिया था. इस जमीन को सदियों से विवादित माना जाता रहा. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया. इसके बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की शुरुआत हुई.

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मुरली मनोहर जोशी ने भी दी थी मंदिर आंदोलन को धार

भारतीय जनता पार्टी के लिए राममंदिर का मुद्दा 1990 के दौर से ही प्राथमिक रहा है. इसी के आंदोलन के वक्त मुरली मनोहर जोशी बीजेपी के कद्दावर नेताओं में से एक थे. ऐसा माना जाता है कि उन्होंने ही मंदिर आंदोलन के लिए पूरी प्लानिंग की थी और पूरा दम लगाकर उसे जमीन पर भी उतारा. आडवाणी के साथ जोशी पर भी बाबरी मस्जिद को ढहाने की साजिश रचने का केस चला.

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