CAA पर मचा था बवाल, कानून बनने के बाद नागरिकता लेने वालों की संख्या इतनी कम क्यों? समझिए

News Tak Desk

असम मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह साफ हो गया है कि बंगाली हिंदू जो राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) में शामिल नहीं हैं, वे नागरिकता के लिए CAA के तहत आवेदन नहीं करेंगे.

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Himanta Biswa Sarma on CAA: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को बेहद चौंका देने वाले आंकड़े शेयर किए हैं. उन्होंने बताया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के मुताबिक राज्य में केवल 8 लोगों ने ही आवेदन अप्लाए किए हैं. 2019 में कानून में संशोधन हुआ. 2019 में इस कानून को लेकर बड़े पैमाने पर असम में 5 लोगों की मौत भी हुई. उन्होंने बताया कि कैसे सीएए विरोधी प्रदर्शन करने वाले नेताओं ने लोगों को यह कहकर डराने की कोशिश की थी कि इस कानून के तहत 50 लाख तक अवैध अप्रवासियों को नागरिकता मिल सकती है.

असम में नागरिकता एक संवेदनशील मुद्दा है जो दशकों से बाहरी विरोधी आंदोलन की आग में झुलस रहा है. केंद्र सरकार ने 31 दिसंबर 2014 से पहले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत भागकर आए हिंदू, सिखों, ईसाइयों, जैन , बौद्धों, पारसियों को नागरिक्ता देने का ऐलान किया. 2024 में नागरिक्ता मिलनी शुरू हो गई. मुसलमानों को इस दायरे से बाहर रखा गया है.

असम में हिंदू बंगालियों की बड़ी तदाद है. राज्य में बांग्लादेश से बड़े पैमाने पर बंगाली मुसलमानों का अवैध प्रवास भी देखा गया है. हिमंत बिस्वा सरमा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "केवल आठ लोगों ने सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन किया था. उनमें से भी केवल दो ही इंटरव्यू के लिए आए."

असम के हिंदू बंगाली CAA के तहत आवेदन नहीं करेंगे: हिमंत

असम मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह साफ हो गया है कि बंगाली हिंदू जो राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) में शामिल नहीं हैं, वे नागरिकता के लिए CAA के तहत आवेदन नहीं करेंगे. क्योंकि बंगाली हिंदुओं को कहना है कि उनके पास भारतीय होने के दस्तावेज हैं. अगर उन्हें कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी तो जरूर लड़ेंगे लेकिन सीएए के तहत आवेदन नहीं करेंगे.

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'हिंदू बंगालियों के खिलाफ फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के मामले वापस नहीं लिए जाएंगे'

हिंदू बंगालियों के खिलाफ मामले वापस लेने के सवाल पर सीएम ने कहा कि मामलों को कुछ महीनों के लिए रोकना पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि  में कार्यवाही को दो-तीन महीने के लिए रोकना होगा और लोगों को CAA के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने का मौका देना होगा. जो भी शख्स 2015 से पहले भारत आया है उसे नागरिकता के लिए आवेदन करने होगा. अगर वे आवेदन नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ मामला दर्ज कर के कार्रवाई की जाएगी.

उन्होंने साफ किया कि "हम कोई मामला नहीं छोड़ सकते. हम केवल यह सुझाव दे रहे हैं कि मामला दर्ज करने से पहले आवेदकों को पोर्टल के माध्यम से आवेदन करना चाहिए. अगर मामला दायर किया जाता है, तो भी कोई परिणाम नहीं होगा क्योंकि वे नागरिकता के हकदार हैं.

आधार कार्ड की समस्या पर क्या बोले सीएम?

असम में सीएए के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका मानना ​​था कि सीएए के तहत कम से कम दो-तीन लाख लोग नागरिकता के लिए आवेदन करेंगे, लेकिन सिर्फ दो लोग इंटरव्यू के लिए आए थे. उन्होंने कहा कि सीएए विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले लोगों ने आंकड़े दिए कि 30 लाख और 50 लाख अवैध प्रवासियों को कानून से नागरिकता मिलेगी, लेकिन अब संख्या देखें."

इसके आगे उन्होंने आधार कार्ड ना होने के कारण समस्याओं का सामना कर रहे लोगों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि वे केंद्र के साथ मिलकर इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं. सीएम हिमंता ने एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे एक लड़की एक टॉप ऑडिटिंग फर्म में शामिल नहीं हो सकी क्योंकि उसके पास आधार कार्ड नहीं था.

रिपोर्ट- इंडिया टुडे

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