कर्नाटक में फिर भड़का हुआ है कावेरी जल विवाद, सुलझ क्यों नहीं रही आजादी से पहले की ये कॉन्ट्रोवर्सी?

देवराज गौर

ADVERTISEMENT

कावेरी नदी जल विवाद की वजह से कर्नाटक बंद बुलाया गया है.
कावेरी नदी जल विवाद की वजह से कर्नाटक बंद बुलाया गया है.
social share
google news

क्या है ताजा विवादः

कर्नाटक में एक बार फिर कावेरी नदी जल विवाद भड़का हुआ है. तमिलनाडु को कावेरी का पानी छोड़ने के फैसले के विरोध में यहां बंद का आयोजन हुआ. पिछले दिनों कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण और कावेरी जल नियमन समिति ने कर्नाटक सरकार को आदेश दिया कि तमिलनाडु को प्रतिदिन 5000 क्यूसेक कावेरी का पानी दिया जाए. फिलहाल इसी फैसले का विरोध है, लेकिन मूल रूप से यह विवाद आजादी से भी पहले का है.

अब बैकग्राउंड समझिएः

कावेरी नदी कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी से होकर बहती है. इस नदी के जल बंटवारे को लेकर इन चार राज्यों के बीच (मूल रूप से कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच) एक लंबे समय से विवाद चल रहा है. ब्रिटिश राज में 1892 और 1924 में मद्रास प्रेसीडेंसी और मैसूर रियासत के भी दो समझौते हुए. इसमें पानी का बंटवारा किया गया. 1956 में जब कर्नाटक राज्य बना, तो उसने इन समझौतों पर सवाल उठाते हुए इन्हें चुनौती दी. तमिलनाडु ने तर्क दिया कि कावेरी के पानी के हिसाब से ही खेती की डिजाइन हुई है. पानी में कटौती हुई, तो किसानों के हित प्रभावित होंगे.

1990 में इस विवाद को सुलझाने के लिए एक ट्रिब्यूनल बना. ट्रिब्यूनल ने 2007 में अंतिम फैसला सुनाया और पानी बंटवारे की एक व्यवस्था दी. कोई भी राज्य इस फैसले से संतुष्ट नहीं हुआ. बाद में सुप्रीम कोर्ट तक यह मामला पहुंचा . सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में इसे लेकर आदेश दिया और कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण, कावेरी जल नियमन समिति के गठन का निर्देश दिया. इसके बावजूद यह मामला आजतक कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच बड़े विवाद की जड़ बना हुआ है.

यह भी पढ़ें...

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT