मध्य प्रदेश चुनाव में ओबीसी वोट के सहारे कांग्रेस? मैनिफेस्टो से समझिए पार्टी का पूरा दांव
मध्य प्रदेश चुनाव में कांग्रेस ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वोटों को लेकर बड़ा दांव खेला है. कांग्रेस ने पिछले दिनों एमपी चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी किया, तो पार्टी की नई रणनीति की एक झलक मिली है. इसे 2024 के लिए भी एक तैयारी के रूप में भी समझा जा रहा है, क्योंकि राहुल गांधी लगातार ओबीसी वर्ग की बात कर रहे हैं.
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विधानसभा चुनाव 2023ः मध्य प्रदेश चुनाव में कांग्रेस ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वोटों को लेकर बड़ा दांव खेला है. कांग्रेस ने पिछले दिनों एमपी चुनाव के लिए अपना घोषणापत्र जारी किया, तो पार्टी की नई रणनीति की एक झलक मिली है. इसे 2024 के लिए भी एक तैयारी के रूप में भी समझा जा रहा है, क्योंकि राहुल गांधी लगातार ओबीसी वर्ग की बात कर रहे हैं.
इंडिया टुडे के लिए लिखे एक लेख में वरिष्ठ पत्रकार मिलिंद घटवाई बताते हैं कि कांग्रेस ने इस बार के घोषणा पत्र में ओबीसी के प्रति खास प्रेम दिखाया है. घटवाई के मुताबिक 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने भगवा राजनीति को केंद्र में रखा था, जबकि इस बार ओबीसी वर्ग को तरजीह दी गई है. 2008 और 2013 के घोषणापत्रों में कांग्रेस बार-बार अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिमों का जिक्र करती रही थी. मदरसों का आधुनिकीकरण, सच्चर कमेटी की रिपोर्ट, उर्दू और अरबी भाषाओं का प्रमुखता से जिक्र किया जाता था.
2023 के घोषणापत्र में कांग्रेस ने एमपी में सरकार आने पर जातिगत जनगणना की बात की है. ओबीसी वर्ग के लिए संवैधानिक निकायों में आरक्षण के अनुपात में नियुक्तियों और नामांकन की भी बात की गई है. ओबीसी आरक्षण को संविधान की नौंवी अनुसूची में डालने को लेकर केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने की बात कही गई है. आपको बता दें कि संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल कानूनों के खिलाफ न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है. सभी पदों पर एक ओबीसी सदस्य रखने के साथ ही ओबीसी क्रीमी लेयर की वार्षिक आय की सीमा को 12 लाख तक बढ़ाने की बात कही गई है. ऐसे ही कई वादे किए गए हैं.
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ओबीसी+हिंदुत्व का कॉकटेल
कांग्रेस ने ओबीसी के साथ-साथ हिंदुत्व के मुद्दों का भी ध्यान रखा है. यानी 2018 के विधानसभा चुनावों में अपनाए गए फॉर्म्युले को पूरी तरह से भुलाया नहीं गया है. कांग्रेस ने राम वन गमन पथ और श्रीलंका में माता सीता का मंदिर बनवाने का वादा दोहराया है. मिलिंद लिखते हैं कि बिहार में आए कास्ट सर्वे के आंकड़ों से पता चलता है कि ओबीसी और अति पिछड़ी जाति (ईबीसी) की कुल आबादी 2/3 के करीब है. कांग्रेस को उम्मीद है कि अधिकतर राज्यों में भी यही स्थिति होगी. इसलिए, वह ओबीसी को लेकर खास रणनीति बना रही है
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