बैलट से चुनाव की मांग खारिज, VVPAT और EVM का 100% मिलान भी नहीं! SC के फैसले की बड़ी बातें

अभिषेक गुप्ता

ADVERTISEMENT

newstak
social share
google news

SC on EVM-VVPAT: देश में आज लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए वोटिंग हो रही है. इसी बीच देश की सर्वोच्च अदालत ने चुनावों में इस्तेमाल होने वाले EVM और VVPAT को  लेकर एक बड़ा फैसला दे दिया है. सुप्रीम कोर्ट(SC) ने VVPAT मशीनों की पर्चियों से EVM के शत-प्रतिशत मिलान, बैलेट पेपर से मतदान समेत अन्य कई मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है.  जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षा वाली बेंच ने सहमती से फैसला दिया. आइए आपको विस्तार से बताते हैं इस केस की पूरी डिटेल. 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?

EVM से मतदान और VVPAT पर्चियों की मिलान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में ये साफ कर दिया है कि, मतदान EVM मशीन से ही होगा. EVM-VVPAT का 100 फीसदी मिलान भी नहीं किया जाएगा. SC ने कहा कि, 45 दिनों तक VVPAT की पर्ची सुरक्षित रहेगी. इन पर्चियों को उम्मीदवारों के हस्ताक्षर वाले बॉक्स में सुरक्षित तरीके से रखा जाएगा. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि, चुनाव के बाद सिंबल लोडिंग यूनिटों को भी सीलकर सुरक्षित किया जाए. यह भी निर्देश दिया गया है कि उम्मीदवारों के पास नतीजों की घोषणा के बाद टेक्निकल टीम के पाद EVM के माइक्रो कंट्रोलर प्रोग्राम की जांच कराने का विकल्प होगा, जिसे चुनाव घोषणा के सात दिनों के भीतर किया जा सकेगा.

यह फैसला सुनाते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा कि, अगर कोई  VVPAT पेपर के वेरिफिकेशन की मांग करता है तो उसका खर्चा उम्मीदवारों को खुद ही उठाना पड़ेगा. अगर किसी स्थिति में EVM में छेड़छाड़ पाई गई तो खर्च वापस दिया जाएगा. वहीं इस दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि, किसी सिस्टम पर आंख मूंदकर अविश्वास करने से संदेह ही पैदा होता है. लोकतंत्र का मतलब ही विश्वास और सौहार्द बनाए रखना है. 

 

 

क्या है EVM-VVPAT का मामला?

मार्च 2023 में लोकतान्त्रिक सुधारों के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने 100 फीसदी EVM वोटों और VVPAT की पर्चियों के मिलान करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी जिसपर आज जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने फैसला दिया.

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ें...

आपको बता दें कि, वर्तमान में VVPAT वेरिफिकेशन के तहत लोकसभा क्षेत्र की प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के सिर्फ पांच मतदान केंद्रों के EVM वोटों और VVPAT पर्चियों का मिलान किया जाता है. इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में सिर्फ पांच रैंडमली रूप से चयनित EVM को सत्यापित करने के बजाय सभी EVM वोट और VVPAT पर्चियों की गिनती की मांग करने वाली याचिका पर ECI को नोटिस जारी किया था. हालांकि आज कोर्ट ने अपना फैसला दे दिया है. 

SC के फैसले पर क्या है ECI का रुख?

VVPAT पर्चियों के मिलान को लेकर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद चुनाव आयोग ने प्रतिक्रिया दी है. फैसले पर चुनाव आयोग ने कहा कि, कोर्ट के इस फैसले के बाद अब किसी को भी EVM पर शक नहीं होना चाहिए. अब सभी पुराने सवाल खत्म हो जाने चाहिए. चुनाव प्रक्रिया में सवाल उठाने से वोटर के मन में शक उत्पन्न होता है. ECI ने कहा कि, चुनाव सुधार भविष्य में भी जारी रहेगा.

अब VVPAT क्या होता है ये भी जान लीजिए

VVPAT मतलब वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल होता है जो EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) का एक स्वतंत्र पेपर रिकॉर्ड है. VVPAT एक प्रिंटर के माध्यम से EVM से अटैच होता है, जो EVM में डाले गए वोट की सही रिकॉर्डिंग को वेरीफाइड करने के लिए एक पेपर स्लिप में रिकॉर्ड करता है. इसको लाने के पीछे का उद्देश्य ये था कि मतदाता अपना मतपत्र डालने से पहले अपने वोट को वेरिफाई कर सके जिससे चुनावी धोखाधड़ी और धांधली की संभावना को खत्म किया जा सके. लेकिन वर्तमान में मतदान पर्ची मतदाताओं को ना मिलते हुए एक बॉक्स में इकट्ठा होती है जिससे वोटर्स अपने मतपत्र को देख नहीं पाते.

ADVERTISEMENT

कब लाया गया था VVPAT?

VVPAT पहली बार भारत में सितंबर 2013 में नागालैंड  के नाकसेन (विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र) में एक चुनाव में इस्तेमाल किया गया था. फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 8 लोकसभा सीटों पर इसका प्रयोग किया गया था. 2017 के गोवा विधानसभा चुनावों में संपूर्ण रूप से VVPAT से लैस EVM का प्रयोग किया गया था.

ADVERTISEMENT

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT