कांग्रेस ने ओडिशा में चला है 'BJP - BJD की शादी' वाला दांव, क्या नवीन पटनायक फिर पलट पाएंगे बाजी?
ओडिशा कांग्रेस पहले से बीजेडी-बीजेपी की शादी के कार्ड छपवाकर बांट रही है. राहुल गांधी ओडिशा में चुनावी रैली करने गए तो ये समझाकर लौटे कि ओडिशा में BJP-BJD की शादी हो चुकी है. दिल्ली वाले अंकल और नवीन पटनायक ने मिलकर आपका पैसा लूटा है.
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Loksabha Elections 2024: नवीन पटनायक का राजनीतिक करियर करीब 27 साल का है. 27 साल में न तो खुद कभी चुनाव हारे, न पार्टी को हारने दिया. ओडिशा ने नवीन पटनायक ने अजेय बनाया हुआ है. अस्का लोकसभा सीट में आने वाली हिंजिली विधानसभा सीट से नवीन पटनायक ने छठी बार नामांकन भरा. नवीन पटनायक बोलांगीर जिले की कंटाबांजी सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं. नामांकन भरने के लिए भी कलेक्टर के ऑफिस में पांडियन की निगरानी में नामांकन भरा. चुनाव अधिकारी कलेक्टर के दफ्तर में सिर्फ नवीन पटनायक और कलेक्टर कुर्सी पर बैठे थे. बाकी सब खड़े रहे.
क्यों नहीं बनीं बीजेपी-बीजेडी में बात?
शपथ की बारी आई तो नवीन बाबू को कुर्सी से उठना पड़ा. कुर्सी पर बैठे कलेक्टर के सामने शपथ ली कि नामांकन पत्र में जो जानकारी दी है वो सब सही है. ओडिशा में बीजेडी जीत का सिक्सर मार सकती है, इसका अनुमान लगाया जा रहा है लेकिन नवीन पटनायक कोई रिस्क लेना को तैयार नहीं हैं. अपने केस में तो बिलकुल भी नहीं.
ऐसा चांस बन रहा था कि बीजेपी और बीजेडी अलायंस कर लेंगे. बातचीत शुरू भी हुई. नवीन पटनायक ही सबसे पहले नेता थे जिन्होंने मोदी के थर्ड टर्म की मनोकामना की थी. मोदी ने ओडिशा में प्रचार शुरू किया तो नवीन पटनायक या बीजेडी सरकार के खिलाफ एक शब्द नहीं बोलते थे. मार्च तक ये सब चलता रहा लेकिन अलायंस टूटने के बाद दोनों ने पलटी मारी है. बीजेडी से कह रही है मोदी की गारंटी से बेहतर है नवीन की गारंटी.
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पीएम मोदी ने नवीन पटनायक पर साधा निशाना
5 साल में पहली बार मोदी ने नवीन पटनायक पर निशाना साधा. News 18 को दिए इंटरव्यू में मोदी ने ये कहकर हमला किया कि ओडिशा की अस्मिता खतरे में है.उड़िया भाषा खतरे में है. मुझे नहीं लगता कि ओडिशा के लोग इसे लंबे समय तक बर्दाश्त कर पाएंगे. ओडिशा की जनता को बीजेपी को मौका देना चाहिए.
ओडिशा जाकर नवीन पटनायक के खिलाफ मोदी का कुछ न बोलना कांग्रेस के लिए संजीवनी बन सकती है. 25 साल से बीजेडी के जमे रहने से सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस का हुआ जिसने दूसरी पोजिशन भी गंवा दी. कांग्रेस की जगह बीजेपी ओडिशा में मुख्य विपक्षी पार्टी है.
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इसी मिशन से कांग्रेस ओडिशा में चुनाव लड़ रही है. चुनावों में शादी वाला हमला कांग्रेस के लिए शगुन का काम कर रहा है. तेलंगाना में यही बोल-बोलकर राहुल गांधी ने बीजेपी- बीआरएस को हरा दिया. अब वही ओडिशा में भी यही स्ट्रैटजी है. भारत जोड़ो न्याय यात्रा लेकर ओडिशा पहुंचे राहुल तब से बोल रहे हैं कि बीजेपी-बीजेडी मिलीभगत करके लूट रहे हैं.
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बीजेपी-बीजेडी में शादी हो चुकी है: राहुल गांधी
ओडिशा कांग्रेस पहले से बीजेडी-बीजेपी की शादी के कार्ड छपवाकर बांट रही है. राहुल गांधी ओडिशा में चुनावी रैली करने गए तो ये समझाकर लौटे कि ओडिशा में BJP-BJD की शादी हो चुकी है. दिल्ली वाले अंकल और नवीन पटनायक ने मिलकर आपका पैसा लूटा है.
नवीन पटनायक या उनके पिता बीजू जनता दल के संस्थापक बीजू पटनायक की राजनीति कभी कांग्रेस के करीब नहीं रही. पिता की विरासत संभालने के बाद नवीन पटनायक ने बीजेपी का इस्तेमाल सीढ़ी की तरह इस्तेमाल किया. 1999 से 2009 तक बीजेडी एनडीए का हिस्सा रही. 2009 के चुनावों से ठीक पहले नवीन पटनायक ने बीजेपी का साथ छोड़ा. बीजेपी के साथ होने या नहीं होने से उनकी राजनीति पर रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ा. शायद इसीलिए बीजेपी की पुरजोर कोशिशों के बाद भी नवीन पटनायक रिस्क लेने को तैयार हुए लेकिन बीजेपी के साथ दिखने के लिए नहीं.
क्या कहते हैं पोल्स?
ओडिशा में 13 और 20 मई को चुनाव होने हैं. कांग्रेस के लिए हालात आसान नहीं है. बीजेपी और बीजेडी के लिए भी कांटे की लड़ाई है. एबीपी-सी वोटर के ओपिनियन पोल का अनुमान है कि 21 में से 11 सीटें बीजेडी की होगी. बीजेपी के खाते में 10 सीटें जाएंगी. कांग्रेस का खाता नहीं खुलेगा. TV9 Polstrat opinion poll का अनुमान है कि बीजेपी का पलड़ा भारी रहेगा. बीजेपी को 14, बीजेडी को 6 और कांग्रेस को एक सीट मिल सकती है. लोकपोल का अनुमान है कि बीजेपी की सीटें 11 से 13 हो सकती है. बीजेडी के हिस्से में 7 से 9 और कांग्रेस के पास 1 से 2 सीट जा सकती है.
BJP BJD CONG
ABP-C Voter 11 10 0
TV 9 14 6 1
LOK POLL 11-13 7-9 1-2
ओडिशा में प्रो नवीन या एंटी नवीन वोट पड़ने की उम्मीद है. बिलकुल तेलंगाना जैसा चुनाव जिसमें कांग्रेस ने बाजी मारी थी. नवीन पटनायक को हराने की कोशिश में बीजेपी भी है और कांग्रेस भी. नवीन पटनायक को इसी में फायदा दिख रहा है कि उनके खिलाफ वोटों में बिखराव है. इसी से जीत का सिक्सर लगने का चांस है.
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