दुष्यंत चौटाला जिसके डर से बीजेपी ने हरियाणा में पलट दी सरकार, जानिए उनकी कहानी

रूपक प्रियदर्शी

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Dushyant Chautala
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Dushyant Chautala: मनोहर लाल खट्टर को हटाकर बीजेपी ने जिस नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया है उनकी चुनावी राजनीति 2014 में शुरू हुई थी. 10 साल होते-होते सैनी विधायक से हरियाणा की सियासत के सुप्रीम हो गए. जब नायब सिंह विधायक हुआ करते थे तब दुष्यंत चौटाला संसद में होते थे. सिर्फ 26 साल की उम्र में दुष्यंत चौटाला हिसार से पहला लोकसभा चुनाव जीतकर सबसे कम उम्र के सांसद बने थे. देश के संसदीय इतिहास में सबसे कम उम्र का सांसद बनने का रिकॉर्ड दुष्यंत चौटाला के नाम पर है. चौधरी देवीलाल के खानदान की चौथी पीढ़ी के दुष्यंत चौटाला के तेवर अलग ही रहे. उसी तेवर से दुष्यंत चौटाला ने बीजेपी को भयभीत किया हुआ था. 

बीजेपी से अलायंस पर नहीं बनी बात 

दुष्यंत को आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी से अलायंस करना था. अचानक बीजेपी ने दुष्यंत को बाहर का रास्ता दिखा दिया. चार साल बीजेपी के साथ रहने के बाद नौजवान दुष्यंत की राजनीति की दुर्गति हो रही है. दुष्यंत की राजनीति डुबोने की कगार पर है. बीजेपी के गठबंधन तोड़ने के बाद 10 में से 5 जेजेपी विधायक दुष्यंत के रडार से बाहर बताए जा रहे हैं. जननायक जनता पार्टी आधी टूट सकती है. लेकिन दुष्यंत चौटाला अब भी हरियाणा की राजनीति में हैं. दुष्यंत के साथ रहने भी बीजेपी को नुकसान का डर था और खिलाफ में होने से भी नुकसान की आशंका रहेगी. दुष्यंत का जलवा ही था कि दुष्यंत चौटाला से पिंड छुड़ाने के लिए बीजेपी को पहले अपनी सरकार गिरानी पड़ी. फिर नए सिरे से सरकार बनानी पड़ी. चौटाला परिवार का सबसे बड़ा वोट बैंक जाटों का माना जाता है. बीजेपी का यही डर है कि दुष्यंत जाटलैंड में डैमेज कर सकते हैं.  

अमेरिका से की है पढ़ाई 

अमेरिका के कैलिफोर्निया से एमबीए करने के बाद परिवार की राजनीतिक विरासत संभालने हरियाणा लौटे थे. राजनीति तो परिवार से विरासत में मिल गई लेकिन पार्टी नहीं पाई. चाचा अभय सिंह चौटाला से वर्चस्व की लड़ाई में हारने के बाद दुष्यंत ने खानदारी पार्टी पर कब्जे की जिद छोड़ दी. 2018 में अपनी पार्टी जननायक जनता पार्टी यानी जेजेपी खड़ी कर ली. हरियाणा में चौधरी देवीलाल जननायक कहे जाते हैं. वहीं से उन्होंने पार्टी मे जननायक शब्द जोड़ा. पहले चुनाव से ही दुष्यंत का कद इतना बड़ा हुआ कि उनके समर्थन से 4 साल से बीजेपी की सरकार चल रही थी. 10 विधायकों के दम पर 31 साल की उम्र में हरियाणा के डिप्टी सीएम बन गए थे दुष्यंत चौटाला.

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चौधरी देवीलाल कर खानदान से है ताल्लुक 

दुष्यंत चौटाला चौधरी देवीलाल के परपोते लगते हैं जो वीपी सिंह की सरकार में डिप्टी पीएम हुआ करते थे. हरियाणा के सीएम रहे. देवीलाल की विरासत उनके बेटे ओम प्रकाश चौटाला ने आगे बढ़ाई. वो भी हरियाणा के सीएम रहे. ओम प्रकाश चौटाला ने ही इंडियन नेशनल लोकदल पार्टी बनाई थी. ओम प्रकाश चौटाला के दो बेटे हैं-अजय चौटाला और अभय चौटाला. दुष्यंत चौटाला अजय चौटाला के बेटे हैं. दादा ओम प्रकाश चौटाला, पिता अजय चौटाला टीचर्स भर्ती घोटाला में जेल जा चुके हैं. सजा के कारण चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. मां नैना चौटाला बेटे के साथ राजनीति में हैं और दुष्यंत की पार्टी जेजेपी की विधायक हैं. भाई दिग्विजय चौटाला भी राजनीति में हैं. पार्टी के प्रधान महासचिव हैं लेकिन 2019 का चुनाव नहीं लड़े थे. अगर बीजेपी के साथ अलायंस हो जाता तो दिग्विजय जेजेपी के टिकट पर महेंद्रगढ़-भिवानी से लोकसभा चुनाव हो सकते थे. 

चौटाला परिवार

ओम प्रकाश चौटाला की बनाई पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल का कब्जे की पारिवारिक लड़ाई में बंटाधार हो गया. पार्टी तो अभय चौटाला के पास चली गई लेकिन जनाधार इधर-उधर बंट गया. माना जा सकता है कि बड़ा हिस्सा दुष्यंत के पास भी आया. दुष्यंत ने पार्टी बनाने के बाद 2019 में पहला चुनाव लड़ा था. पहले चुनाव में ही जेजेपी ने 10 सीटें जीतक सनसनी मचा दी. बीजेपी को बहुमत से कम नंबर था. दुष्यंत चौटाला किंग मेकर की हैसियत से बीजेपी के साथ जुड़े थे. 

हरियाणा में शान है चौटाला परिवार की 

चौटाला हरियाणा के सबसे ताकतवर परिवार का नाम है. हरियाणा की राजनीति पिछले 50 साल से चौधरी देवीलाल के परिवार के इर्दगिर्द घूम रही है. उनको टक्कर दिया करते थे कांग्रेस के बंसीलाल, भजन लाल और भूपिंदर सिंह हुड्डा. बीजेपी तो तब कहीं सीन में भी नहीं थी. चौटाला वर्सेज कांग्रेस-हरियाणा में बरसों-बरस तक यही राजनीति थी. बीजेपी को फायदा मिला चौटाला परिवार में बिखराव और कांग्रेस के कमजोर होने से. हरियाणा में अब कांग्रेस भी काफी कमजोर मानी जाती है. 2019 के विधानसभा चुनाव में अभय चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल को सिर्फ एक सीट मिली. जेजेपी ने 10 सीटें निकाली. कांग्रेस के पास 30 सीटें आईं लेकिन बीजेपी ने 41 सीटें जीतकर दुष्यंत चौटाला को साथ लेकर सरकार बना ली थी. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अकेले सभी 10 सीटें जीत ली. 

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कांग्रेस कैंप और बीजेपी कैंप में बंटी देश की राजनीति को देखते हुए ये सवाल सामान्य ज्ञान के किसी प्रश्न की तरह है कि दुष्यंत चौटाला ने बीजेपी को क्यों चुना. बीजेपी से धोखा खाने के बाद भी दुष्यंत चौटाला ने कांग्रेस का रुख नहीं किया. हरियाणा की राजनीति पर नजर रखने वाले मानते हैं कि दुष्यंत चौटाला कांग्रेस को अपना और चौटाला परिवार का कट्टर दुश्मन मानते हैं. पिता और दादा को हुई जेल की सजा के लिए दुष्यंत कांग्रेस के नेताओं को जिम्मेदार मानते हैं. कांग्रेस के साथ जाने का विकल्प तब तक हर्गिज नहीं जब तक दुष्यंत खुद न कह दें कि वो कांग्रेस के साथ जाने के लिए तैयार हैं.


 

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