INDIA की सलाह मानकर नायडू-नीतीश स्पीकर पद रखेंगे अपने पास? जानिए किसका नाम रेस में आगे

रूपक प्रियदर्शी

लोकसभा स्पीकर के लिए डी पुरंदेश्वरी के नाम की चर्चा शुरू हो गई है. पुरंदेश्वरी आंध्र प्रदेश बीजेपी की अध्यक्ष और सांसद हैं. पुरंदेश्वरी की पार्टी बीजेपी है लेकिन परिवार चंद्रबाबू नायडू का है. पुरंदेश्वरी नायडू की पत्नी भुवनेश्वरी की बहन और चंद्रबाबू की साली लगती हैं.

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Loksabha Speaker: लोकसभा चुनाव के बाद सरकार बन गई. 24 जून से संसद का सत्र भी शुरू हो जाएगा जिसमें सांसदों की शपथ के बाद सबसे बड़ा काम होगा स्पीकर का चुनाव. सरकार के बहुमत में होने से स्पीकर का पद सत्ता पक्ष और डिप्टी स्पीकर विपक्ष को देने की परम्परा रही है. सरकार और विपक्ष में सहमति बनने पर आम सहमति से दोनों पदों पर नियुक्ति हो जाती है लेकिन सहमति नहीं बनी तो चुनाव होना तय है. 26 जून को फैसला हो जाएगी कि कौन होगा लोकसभा स्पीकर. उसी दिन नए स्पीकर चार्ज भी ले लेंगे.

टीडीपी का पहले भी बन चुका है स्पीकर

चर्चा हो रही है कि मोदी कैबिनेट में टीडीपी, जेडीयू, शिवसेना जैसे सहयोगियों को सरकार ने ठग लिया है. टीडीपी के 16 सांसद हैं लेकिन उसके खाते में सिर्फ 1 कैबिनेट मंत्री और 1 राज्‍य मंत्री का पद आया. जेडीयू को 12 सांसदों के बदले सिर्फ एक कैबिनेट मंत्री, एक राज्‍य मंत्री का पद मिला. पहले दिन से चर्चा है कि चंद्रबाबू नायडू ने बीजेपी से स्पीकर का पद मांगा है. वाजपेयी जब एनडीए सरकार चला रहे थे तब भी टीडीपी कोटे से जीएमसी बालयोगी लोकसभा स्पीकर हुआ करते थे.

इंडिया लगातार नीतीश-नायडू को दे रहा सलाह

इंडिया गठबंधन के नेता चंद्रबाबू नायडू, नीतीश कुमार को लगातार समझा रहे हैं कि समर्थन के बदले उन्हें स्पीकर पद अपने पास रखना चाहिए. इससे सरकार पर प्रेशर बना रहेगा. अगर बीजेपी ने आदत के मुताबिक टीडीपी या जेडीयू में तोड़फोड़ की तो स्पीकर होने से बीजेपी का मंसूबा कामयाब नहीं होगा. कांग्रेस के अशोक गहलोत ने बीजेपी को चैलेंज कर दिया कि कुछ गड़बड़ नहीं करनी है तो एनडीए की पुरानी परम्परा के तहत स्पीकर सहयोगी दलों को देना चाहिए. 

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शिवसेना यूबीटी के आदित्य ठाकरे ने बिना मांगे टीडीपी-जेडीयू को सलाह दे दी कि पार्टी बचानी है तो स्पीकर पद अपने पास रखिए. अब एनडीए के सहयोगी दलों को तय करना है कि उन्होंने इंडिया गठबंधन वालों की सलाह लेनी है या नहीं.  बीजेपी भी पूरा जोर लगाएगी कि स्पीकर उसी का हो, क्योंकि कहा भी जाता है कि जिसका स्पीकर, उसकी सरकार.

स्पीकर बनने की रेस में नायडू की साली सबसे आगे!

2014 में मोदी सरकार में सुमित्रा महाजन स्पीकर हुआ करती थीं. 2019 में मोदी 2.0 में ओम बिरला को बीजेपी ने स्पीकर बनाया था. मोदी 3 में बीजेपी के पास 2014- 2019 जैसा बहुमत नहीं है इसलिए अटकलें लग रही हैं कि टीडीपी ने स्पीकर पद मांग लिया है. हालांकि बीजेपी सूत्र कह रही हैं कि किसी ने कुछ नहीं मांगा. मोदी के इटली दौरे से लौटने के बाद बीजेपी से किसी को स्पीकर बनाने का फैसला हो जाएगा. 

यही से स्पीकर के लिए डी पुरंदेश्वरी के नाम की चर्चा शुरू हुई. पुरंदेश्वरी आंध्र प्रदेश बीजेपी की अध्यक्ष और सांसद हैं. पुरंदेश्वरी की पार्टी बीजेपी है लेकिन परिवार चंद्रबाबू नायडू का है. पुरंदेश्वरी नायडू की पत्नी भुवनेश्वरी की बहन और चंद्रबाबू की साली लगती हैं. बीजेपी ने पुरंदेश्वरी का नाम बढ़ाया तो चंद्रबाबू नायडू विरोध नहीं कर पाएंगे. अगर चंद्रबाबू ने पुरंदेश्वरी का नाम लिया तो बीजेपी भी विरोध नहीं करेगी. ऐसी चर्चाओं की पुरंदेश्वरी ने न पुष्टि की, न खंडन किया.

स्पीकर ने गिरवाई थी अटल सरकार? 

स्पीकर संवैधानिक और बेहद शक्तिशाली पद होता हैं. संसद में वोटिंग जैसे मौके पर तो स्पीकर की शक्तियां अपार हो जाती हैं. माना जाता है कि 1999 में जब एक वोट से वाजपेयी सरकार गिर गई थी उस समय स्पीकर बालयोगी ने ही ओडिशा सीएम रहते हुए कांग्रेस सांसद गिरिधर गमांग को वोट देने दिया था. गिरिधर गमांग के एक वोट से वाजपेयी सरकार गिर गई थी. तब AIADMK की जयललिता ने एनडीए सरकार से समर्थन वापस लेकर अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के लिए मजबूर किया था.
 

2024 में स्पीकर का रोल इसलिए भी बहुत अहम माना जा रहा है क्योंकि एनडीए सरकार टीडीपी-जेडीयू के समर्थन से बनी है. जिस दिन दोनों ने बीजेपी से मुंह फेरा उस दिन मोदी की सरकार खतरे में पड़ जाएगी. अविश्वास प्रस्ताव या किसी बिल के पास कराने जैसे मौके पर स्पीकर का फैसला ही अंतिम माना जाता है. 

स्पीकर ओम बिरला पर लगे कई आरोप

मोदी सरकार 2.0 में विपक्ष स्पीकर के कारण भी हैरान-परेशान रहा. स्पीकर ओम बिरला पर आरोप लगते रहे कि उन्होंने पक्षपात करते हुए सरकार के हित में फैसले लिए. विपक्ष के सांसदों के बोलने पर माइक बंद कराना, भाषण देते समय विपक्ष के सांसदों को संसद टीवी पर नहीं दिखाना बहुत कॉमन हो गया था. राहुल को भाषण नहीं देने देना, भाषण देते समय राहुल गांधी को संसद टीवी पर न दिखाने को लेकर बड़ी राजनीति होती रही. 

स्पीकर लोकसभा का हो या विधानसभा में हो, सरकार की एक चाबी अपने हाथ में रखता है. महाराष्ट्र में भी बीजेपी, एनसीपी-शिवसेना में फूट इसलिए करा पाई क्योंकि स्पीकर ने वही किया जो बीजेपी चाहती थी. सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियों के बाद भी वही हुआ जिसका आदेश स्पीकर ने दिया. 
 

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